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जलवाहक योजना

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भारत ने जलवाहक योजना शुरू करने की घोषणा की है। यह एक सरकारी नीति है, जिसका उद्देश्य देश की आंतरिक जलमार्गों (नदियों और नहरों) के जरिए लंबी दूरी का माल परिवहन बढ़ावा देना है। इससे माल ढुलाई सस्ती, तेज और पर्यावरण के अनुकूल बनने की उम्मीद है।

जलवाहक योजना के बारे में:

उद्देश्य:

  • देश के आंतरिक जलमार्गों में व्यापार की संभावनाओं को बढ़ावा देना।
  • परिवहन लागत कम करना और सड़क एवं रेल नेटवर्क पर बोझ घटाना।

मुख्य विशेषताएँ:

  1. लंबी दूरी के माल परिवहन पर प्रोत्साहन: 300 किमी से अधिक दूरी तक जलमार्ग से माल ढुलाई करने वाले मालिकों को परिचालन लागत पर 35% तक की सब्सिडी मिलेगी।
  2. योजना की अवधि: यह योजना तीन वर्षों के लिए लागू रहेगी।
  3. पर्यावरण के अनुकूल परिवहन: राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (गंगा), 2 (ब्रह्मपुत्र), और 16 (बराक नदी) पर सस्ते और टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
  4. निर्धारित मालवाहक सेवा:
    • हल्दिया से NW 1 (कोलकाता-पटना-वाराणसी-पटना-कोलकाता) और NW 2 (कोलकाता-पांडु, गुवाहाटी) के बीच निश्चित दिन और समय पर मालवाहक जहाज चलेंगे।
    • इन जहाजों के लिए भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग (IBPR) का उपयोग किया जाएगा।
  5. समयबद्ध डिलीवरी: नियमित माल परिवहन सेवाओं के माध्यम से समय पर डिलीवरी सुनिश्चित होगी।

भारत में आंतरिक जलमार्गों की वर्तमान स्थिति:

  1. नेटवर्क का विस्तार:
    • भारत में कुल 20,236 किमी का अंतर्देशीय जलमार्ग नेटवर्क है, जिसमें 17,980 किमी नदियाँ और 2,256 किमी नहरें हैं, जो यांत्रिक नौकाओं के लिए उपयुक्त हैं।
    • भारत में वर्तमान में 111 राष्ट्रीय जलमार्ग (NWs) हैं, जिन्हें राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत घोषित किया गया है।
  2. कार्गो परिवहन में वृद्धि:
    • राष्ट्रीय जलमार्गों के माध्यम से माल ढुलाई 2013-14 में 07 मिलियन मीट्रिक टन (MT) से बढ़कर 2023-24 में 132.89 मिलियन MT हो गई है।
    • भारत का लक्ष्य 2030 तक 200 मिलियन MT और 2047 तक 500 मिलियन MT माल जलमार्गों के माध्यम से परिवहन करना है।

आंतरिक जलमार्गों का महत्व:

  1. लॉजिस्टिक लागत में कमी: भारत में लॉजिस्टिक्स लागत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 14% है, जबकि वैश्विक औसत 8-10% है।
  2. यातायात दबाव में कमी: जलमार्गों के उपयोग से सड़क और रेल नेटवर्क पर दबाव कम होगा।
  3. पर्यावरण के अनुकूल परिवहन: ईंधन की खपत और प्रदूषण में कमी भारत के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) और जलवायु कार्रवाई के लक्ष्यों के अनुरूप है।
  4. आर्थिक लाभ: जलमार्गों से माल परिवहन बढ़ने से व्यापार और वाणिज्य को प्रोत्साहन मिलेगा, विशेष रूप से राष्ट्रीय जलमार्गों के आसपास के क्षेत्रों में।

आंतरिक जलमार्गों के विकास की चुनौतियाँ:

  1. बुनियादी ढाँचे की कमी: आधुनिक टर्मिनल, घाट और नेविगेशनल सुविधाओं की कमी के कारण परिवहन में बाधा आती है।
  2. गहराई और नेविगेशन की समस्या: कई नदियों में मौसमी पानी की कमी से नौवहन बाधित होता है।
  3. सड़क और रेल से प्रतिस्पर्धा: सड़क और रेल परिवहन की मजबूत स्थिति जलमार्गों के प्रति बदलाव को सीमित करती है

 

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