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कोरोना वायरस का JN.1 वैरिएंट (JN.1 Variant of the Coronavirus) | UPSC Preparation

JN.1 Variant of the Coronavirus

 

सामान्य अध्ययन पेपर II: स्वास्थ्य, महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत सहित सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में कोरोना मामलों में वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार JN.1 वैरिएंट संक्रमण का मुख्य कारण है। 19 मई 2025 तक भारत में संक्रमितों की संख्या 250 पार कर चुकी है।

(JN.1 Variant of the Coronavirus)  क्या है?
    • परिचय: 
      • कोरोना वायरस की उत्पत्ति के वर्षों बाद भी इसके नए-नए रूप सामने आ रहे हैं। हाल ही में JN.1 वैरिएंट ने एक बार फिर से वैश्विक चिंता को बढ़ा दिया है। 
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह रूप गंभीर निगरानी योग्य है।
    • उत्पत्ति:
      • JN.1 वैरिएंट, ओमिक्रॉन के BA.2.86 वंश (जिसे Pirola कहा जाता है) का एक उपप्रकार है। 
      • यह पहली बार अगस्त 2023 में पहचाना गया और दिसंबर 2023 में WHO द्वारा एक विशेष श्रेणी में वर्गीकृत किया गया। 
    • आनुवंशिक विशेषताएँ: 
      • इस वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में एक प्रमुख परिवर्तन हुआ है, जो इसे मानव कोशिकाओं से आसानी से जुड़ने की क्षमता प्रदान करता है। 
      • यही कारण है कि JN.1 अपने पूर्वज BA.2.86 की तुलना में अधिक संक्रामक माना जाता है। 
      • इसकी आनुवंशिक संरचना इसके पूर्वज से भिन्न हैं। 
      • इसमें करीब 30 म्यूटेशन हैं जो इसे मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) से बच निकलने में सक्षम हैं।
    • लक्षण: 
      • JN.1 के लक्षण पहले के ओमिक्रॉन वेरिएंट्स के समान हैं। 
      • अधिकांश मामलों में लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन फिर भी सतर्कता आवश्यक है।
      • प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं: गले में खराश, नाक बहना या बंद होना,सूखी खांसी, बुखार और कंपकंपी, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द, थकावट या कमजोरी, मतली या दस्त, स्वाद या गंध की कमी।
  • परीक्षण:
  • JN.1 की पहचान के लिए सबसे पहले RT-PCR टेस्ट किया जाता है। 
  • इस टेस्ट से सबसे सटीक जानकारी प्राप्त होती हैं और 24–48 घंटे में रिपोर्ट करी जाती हैं।
  • यदि सैंपल पॉजिटिव आता है, तो उसे आगे जीनोमिक अनुक्रमण (Genomic Sequencing) के लिए भेजा जाता है ताकि विशेष वैरिएंट की पुष्टि की जा सके।
  • प्रभाव:
    • सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग जैसे देशों में यह वैरिएंट तेज़ी से फैल रहा है। सिंगापुर में अप्रैल के अंत से मई की शुरुआत तक मामलों में 28% की वृद्धि दर्ज की गई।
    • हॉन्ग कॉन्ग में एक सप्ताह में 31 मौतें और 1,000 से अधिक नए केस सामने आए। 
    • भारत में मई 2025 तक 250 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है, इसमें 2 लोगों की मौत हो चुकी हैं। वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्रालय ने निगरानी बढ़ा दी है।

कोरोना वायरस से संबंधित जानकारी 

कोरोना वायरस वैश्विक चिंता का कारण है। यह वायरस अत्यधिक संक्रामक है, तीव्र रूप से फैलता है, और इसके नए वैरिएंट्स लगातार उत्पन्न हो रहे हैं।

    • महामारी:
      • कोविड-19 महामारी की शुरुआत दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई। प्रारंभ में यह संक्रमण स्थानीय स्तर पर सीमित रहा, परंतु कुछ ही हफ्तों में इसने वैश्विक महामारी का रूप ले लिया। 
        • महामारी (Pandemic) उस स्थिति को कहते हैं जब कोई संक्रामक रोग पूरे देश या विश्वभर में फैल जाता है। 
        • यह न केवल लाखों-करोड़ों लोगों की जान ले लेता है, बल्कि सामाजिक ढांचे, अर्थव्यवस्था, जनसंख्या संरचना और सांस्कृतिक जीवन को भी गहराई से प्रभावित करता है।
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 30 जनवरी 2020 को इसे अंतरराष्ट्रीय जनस्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया और 11 मार्च 2020 को इसे वैश्विक महामारी करार दिया। 
      • इस वायरस की विशेषता यह थी कि यह तेज़ी से इंसानों के बीच फैलता था और प्रारंभिक लक्षणों की गंभीरता भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में अलग-अलग होती थी।
  • ज़ूनोटिक उत्पत्ति
      • कोरोना वायरस का वैज्ञानिक नाम SARS-CoV-2 है, जो कि बेट (चमगादड़) और संभवतः पैंगोलिन जैसे स्तनधारियों से इंसानों में आया। 
      • इस प्रकार के संक्रमण को ज़ूनोटिक संक्रमण कहा जाता है। 
      • विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ, और इसके जैविक या कृत्रिम रिसाव के सिद्धांतों को अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।
      • वायरस की विशेषता यह है कि इसका स्पाइक प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं से चिपकने और प्रवेश करने में मदद करता है, जिससे यह आसानी से फैल सकता है।
    • वेरिएंट:
      • कोरोना वायरस की सबसे खतरनाक विशेषता उसकी लगातार म्यूटेट (रूपांतरण) होने की प्रवृत्ति है। 
      • अब तक कई वैरिएंट्स सामने आ चुके हैं जैसे कि अल्फा, बीटा, डेल्टा, ओमिक्रॉन, और इनके कई सब-वैरिएंट्स जैसे BA.1, BA.2, BA.5। 
      •  वैरिएंट्स जैसे KP.2, KP.3, JN.1.18 को WHO ने वैरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग की सूची में रखा है।
  • प्रभाव:
    • कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में करोड़ों लोग संक्रमित हुए और लाखों की जान चली गई। 
    • स्वास्थ्य प्रणालियाँ चरमरा गईं, अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की भारी कमी हो गई। 
    • वहीं दूसरी ओर, लॉकडाउन और प्रतिबंधों के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति भी बुरी तरह प्रभावित हुई। 
    • बेरोजगारी, मानसिक तनाव, शिक्षा में व्यवधान, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में टूटन जैसी कई समस्याएं एक साथ उत्पन्न हुईं।

इतिहास में महामारी का प्रकोप

इतिहास में बार-बार ऐसी महामारियाँ आईं जिन्होंने पूरी सभ्यता की दिशा ही बदल दी है।

  • 165 से 600 ई:
      • एंटोनाइन प्लेग (165-180 ई.) रोमन साम्राज्य की सेना के साथ फैली, जिससे लगभग 50 लाख लोगों की मृत्यु हुई। माना जाता है कि यह या तो चेचक (Smallpox) या खसरा (Measles) था। 
      • इसके बाद जस्टिनियन प्लेग (541-542 ई.) ने यूरोप, एशिया और अफ्रीका में लगभग 30 से 50 मिलियन लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसका मूल स्रोत चूहों में पाए जाने वाले पिस्सू माने गए।
  • मध्य युग:
      • ब्लैक डेथ (1347-1351) या ब्यूबोनिक प्लेग, मानव इतिहास की सबसे घातक महामारियों में से एक रही। इसने यूरोप की लगभग 50% जनसंख्या को समाप्त कर दिया और 20 करोड़ लोगों की मृत्यु का कारण बना। यह बीमारी भी चूहों और पिस्सुओं के माध्यम से फैली थी। 
      • 1520 में फैली चेचक (Smallpox) ने 56 मिलियन से अधिक लोगों की जान ली। यह विशेष रूप से अमेरिका के मूल निवासियों के लिए विनाशकारी साबित हुई, जहाँ इससे लगभग 90% आबादी समाप्त हो गई। चेचक के कारण यूरोपीय उपनिवेशवाद को बल मिला।
  • आधुनिक युग:
    • हांगकांग फ्लू (1968-1970) और एशियाई फ्लू (1957-1958) ने संयुक्त रूप से 2 मिलियन से अधिक लोगों की जान ली। 
    • स्पैनिश फ्लू (1918-1919) प्रथम विश्व युद्ध के बाद उत्पन्न मानवीय असुरक्षा और भीड़भाड़ में फैली, जिसने वैश्विक स्तर पर 4 से 8 करोड़ लोगों की जान ली। 
    • एचआईवी/एड्स (1981 से अब तक) एक धीमी गति से फैलने वाली लेकिन अत्यंत घातक महामारी रही है, जिसने दुनियाभर में 2.5 से 3.5 करोड़ लोगों की जान ली है।
    • इसके अलावा, सार्स (2002), मर्स (2012), इबोला (2014) और स्वाइन फ्लू (2009) जैसी महामारियाँ भी स्वास्थ्य जगत के लिए बड़ी चेतावनी बनीं है।

कोविड-19 (2019 से वर्तमान) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बनकर सामने आया, जिससे अब तक 90 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और दुनिया की पूरी जीवनशैली बदल गई।

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