Kaleshwaram Irrigation Project
संदर्भ:
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) को कलेश्वरम सिंचाई परियोजना से संबंधित जांच के लिए न्यायिक आयोग ने समन जारी किया है। यह आयोग परियोजना में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच कर रहा है। केसीआर से पूछताछ का उद्देश्य परियोजना के कार्यान्वयन और वित्तीय व्यवस्थाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
केसीआर (KCR) को समन क्यों भेजा गया ? –
- कथित अनियमितताओं की जांच: कलेश्वरम सिंचाई परियोजना में हुए कथित भ्रष्टाचार और निर्माण गड़बड़ियों की जांच कर रही न्यायिक आयोग ने केसीआर को समन भेजा है।
- बैराज क्षति की जांच: परियोजना के तहत बने बैराजों को हुए नुकसान की गंभीरता को देखते हुए आयोग यह जानना चाहता है कि पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में केसीआर की भूमिका क्या रही।
- पूर्व शासन की जिम्मेदारी तय करने हेतु: यह परियोजना BRS सरकार के शासनकाल में बनी थी, इसलिए आयोग पूर्व मुख्यमंत्री और उस समय के अन्य मंत्रियों से जवाब मांग रहा है कि इस विशाल परियोजना में अनियमितताएं क्यों और कैसे हुईं।
- जनधन का दुरुपयोग: यह परियोजना 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनी है। इतने बड़े सार्वजनिक धन के उपयोग में पारदर्शिता की जांच करना आयोग का उद्देश्य है।
- राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना: राष्ट्रीय डैम सेफ्टी अथॉरिटी (NDSA) ने इस परियोजना को देश की “सबसे बड़ी मानव निर्मित आपदा” बताया है। इस बयान के बाद जांच और तेज हो गई है।
(Kaleshwaram Irrigation Project) कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना –
- दुनिया की सबसे बड़ी लिफ्ट सिंचाई परियोजना: KLIP (Kaleshwaram Lift Irrigation Project) विश्व की सबसे बड़ी बहु-चरणीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना है, जो तेलंगाना के भूपालपल्ली ज़िले में गोदावरी नदी पर स्थित है।
- विस्तार और कवरेज: यह परियोजना 13 ज़िलों में फैली हुई है और इसकी कुल लंबाई लगभग 500 किमी है, जिसमें 1,800 किमी लंबा नहर नेटवर्क शामिल है।
- जल आपूर्ति लक्ष्य: KLIP का उद्देश्य कुल 240 टीएमसी (हज़ार मिलियन क्यूबिक फीट) जल की आपूर्ति करना है, जिसमें से लगभग 70% जल सिंचाई के लिए आरक्षित है।
- स्थान: यह परियोजना गोदावरी और प्राणहिता नदियों के संगम से शुरू होती है, जो इसका जल स्रोत है।
- तकनीकी विशेषता: यह परियोजना विशाल पंपिंग सिस्टम और सर्ज पूल्स (Surge Pools) का उपयोग करती है, जो जल को ऊँचाई पर स्थित डिलीवरी चेंबरों तक उठाकर बड़े कमांड क्षेत्र में वितरित करती है।
कलेश्वरम परियोजना से जुड़ी समस्याएँ –
- बैराज में संरचनात्मक विफलता: अक्टूबर 2023 में मेडिगड्डा बैराज का स्तंभ संख्या 20 धँस गया, जिससे बाढ़ और अन्य क्षति हुई।
- तीनों बैराजों में संरचनात्मक संकट:
अप्रैल 2024 की राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (NDSA) की रिपोर्ट में यह पाया गया कि मेडिगड्डा, अन्नाराम और सुंदिल्ला – तीनों बैराज खराब डिजाइन, भू–तकनीकी अध्ययन की कमी, और अपर्याप्त सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण संरचनात्मक संकट में हैं। - ओवरलोडिंग के कारण नींव को नुकसान:
बैराजों में क्षमता से अधिक जल संग्रह (2 टीएमसी के बजाय 10 टीएमसी) किया गया, जिससे नींव को गंभीर क्षति पहुँची। - आर्थिक बोझ: तेलंगाना सरकार को इस परियोजना से जुड़े ऋण और ब्याज चुकाने में प्रति वर्ष ₹16,000 करोड़ खर्च करना पड़ता है, जबकि विशेषज्ञों द्वारा इसे एक “मानव निर्मित आपदा” (Man-Made Disaster) कहा गया है।