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KATRIN प्रयोग (KATRIN EXPERIMENT) | Apni Pathshala

KATRIN EXPERIMENT

 

KATRIN EXPERIMENT

संदर्भ:

KATRIN (Karlsruhe Tritium Neutrino) सहयोग ने न्यूट्रिनो के तीन ज्ञात प्रकारों के कुल द्रव्यमान पर एक नई ऊपरी सीमा प्रकाशित की है। यह परिणाम मार्च 2019 से जून 2021 के बीच पाँच माप चक्रों में एकत्रित 259 दिनों के डेटा पर आधारित है।

KATRIN प्रयोग:

क्या है KATRIN EXPERIMENT ?
  • KATRIN (Karlsruhe Tritium Neutrino) एक वैज्ञानिक प्रयोग है जो जर्मनी के Karlsruhe Institute of Technology में संचालित होता है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य है: इलेक्ट्रॉन एंटी-न्यूट्रिनो के द्रव्यमान (mass) को अत्यंत उच्च सटीकता से मापना।

प्रारंभ और संचालन:

  • इस प्रयोग की शुरुआत 2018 में हुई थी और डेटा संग्रहण 2019 से प्रारंभ हुआ।
  • अब तक के निष्कर्ष 259 दिनों के माप (measurements) पर आधारित हैं।

वैज्ञानिक सिद्धांत:

  • यह प्रयोग ट्रिटियम बीटा क्षय (Tritium Beta Decay) पर आधारित है:
    • ट्रिटियम (Hydrogen का एक रेडियोधर्मी रूप) हेलियम, एक इलेक्ट्रॉन, और एक न्यूट्रिनो में टूटता है।
    • इस प्रक्रिया में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा स्पेक्ट्रम का अध्ययन किया जाता है।

मुख्य फोकस क्षेत्र:

  • KATRIN उन इलेक्ट्रॉनों का विश्लेषण करता है जो ऊर्जा स्पेक्ट्रम के अंतिम बिंदु (endpoint) के निकट होते हैं।
  • यही इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो के द्रव्यमान से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, इसीलिए इन्हीं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

KATRIN न्यूट्रिनो के द्रव्यमान को कैसे मापता है?

ऊर्जा रुकावट:

  • एक विशेष बिजली क्षेत्र (electric field) का प्रयोग करके कम ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन रोक लिए जाते हैं।
  • केवल सबसे उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन ही मापे जाते हैं, जिनसे न्यूट्रिनो के द्रव्यमान की जानकारी मिलती है।

डेटा विश्लेषण:

  • लाखों क्षय घटनाओं (decay events) का विश्लेषण किया जाता है।
  • इससे यह निर्धारित किया जाता है कि न्यूट्रिनो का अधिकतम संभावित द्रव्यमान (upper limit) क्या हो सकता है।

KATRIN की प्रमुख विशेषताएँ और महत्व:

मुख्य विशेषताएँ:

  • विशाल डिटेक्टर: 200 टन का स्पेक्ट्रोमीटर उपयोग करता है, जो ट्रिटियम क्षय के दौरान इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा को अत्यंत सटीकता से मापता है।
  • ट्रिटियम क्षय निगरानी: ट्रिटियम के बीटा क्षय को ट्रैक करता है, जिससे इलेक्ट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा मापी जाती है और न्यूट्रिनो का द्रव्यमान ज्ञात होता है।
  • मजबूत डेटा संग्रह: 259 दिनों में 3.6 करोड़ से अधिक इलेक्ट्रॉनों का विश्लेषण किया गया — न्यूट्रिनो पर आधारित सबसे समृद्ध अध्ययनों में से एक।
  • प्रत्यक्ष मापन विधि: प्रारंभिक ब्रह्मांड आधारित मॉडल्स पर निर्भर नहीं, सीधे माप पर आधारित।

महत्व:

  • न्यूट्रिनो भौतिकी में प्रगति: न्यूट्रिनो द्रव्यमान की ऊपरी सीमा तय की — स्टैंडर्ड मॉडल से परे भौतिकी के लिए अहम इनपुट।
  • सिद्धांत की पुष्टि और चुनौती: साबित करता है कि न्यूट्रिनो का द्रव्यमान है, जबकि स्टैंडर्ड मॉडल इन्हें द्रव्यमानरहित मानता है।
  • नई भौतिकी की संभावना: Majorana बनाम Dirac न्यूट्रिनो की पहचान का रास्ता खोलता है — जिससे कण भौतिकी में नई दिशाएं मिल सकती हैं।
  • मॉडलस्वतंत्र परिणाम: बिना किसी खगोलीय मान्यताओं के — परिणाम अधिक विश्वसनीय।
  • भविष्य की आधारशिला: विश्व भर के आगामी न्यूट्रिनो प्रयोगों और डिटेक्टरों के लिए तकनीकी मानक तय करता है।

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