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संदर्भ:
कृषि क्षेत्र में बढ़ते संकट के संकेत के रूप में, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) को छोड़कर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खातों के खराब ऋणों में 42% की तेज वृद्धि दर्ज की गई है।
किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card – KCC)
- परिचय (Introduction):
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना की शुरुआत 1998 में की गई थी ताकि किसानों को उनकी जोत के आधार पर KCC जारी किए जा सकें।
- इसका उद्देश्य था कि किसान इसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक जैसी कृषि इनपुट्स खरीदने और अपनी उत्पादन आवश्यकताओं के लिए नकद निकासी के रूप में आसानी से उपयोग कर सकें।
- 2004 में, यह योजना किसानों की सहायक और गैर–कृषि गतिविधियों के लिए निवेश ऋण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बढ़ाई गई।
- बजट 2018-19 में, सरकार ने मछलीपालन और पशुपालन किसानों की कार्यशील पूंजी (Working Capital) की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए KCC सुविधा का विस्तार किया।
- क्रियान्वयन (Implementation): किसान क्रेडिट कार्ड योजना का क्रियान्वयन वाणिज्यिक बैंकों (Commercial Banks), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs), लघु वित्त बैंकों (Small Finance Banks) और सहकारी बैंकों (Cooperatives) द्वारा किया जाता है।
- उद्देश्य (Objective):
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उद्देश्य किसानों को एकल विंडो प्रणाली के तहत लचीली और सरल प्रक्रिया के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करना है। इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- फसल उत्पादन के लिए अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति।
- कटाई के बाद के खर्चों का प्रबंधन।
- उत्पाद का विपणन ऋण (Produce Marketing Loan)।
- किसान परिवार की उपभोग आवश्यकताओं की पूर्ति।
- कृषि संपत्तियों के रखरखाव और कृषि से संबंधित सहायक गतिविधियों के लिए कार्यशील पूंजी।
- कृषि और सहायक गतिविधियों के लिए निवेश ऋण की आवश्यकता।
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उद्देश्य किसानों को एकल विंडो प्रणाली के तहत लचीली और सरल प्रक्रिया के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करना है। इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
NPA में वृद्धि (Increase in NPA – Non-Performing Assets):
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डेटा के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) के किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खातों में बकाया NPA (Non-Performing Assets) मार्च 2021 के अंत में ₹68,547 करोड़ से बढ़कर दिसंबर 2024 तक ₹97,543 करोड़ हो गया।
- यह वृद्धि दर्शाती है कि किसानों को अपने ऋणों का भुगतान करने में बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- NPA में यह बढ़ोतरी किसानों की आर्थिक स्थिति, फसल की असफलता, प्राकृतिक आपदाओं और बाजार की अस्थिरता जैसी समस्याओं की ओर भी इशारा करती है।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खातों में NPA वृद्धि के कारण:
- कृषि चुनौतियाँ: प्राकृतिक आपदाएँ, कीट हमले और बीमारियाँ फसल खराब होने व आय घटने का कारण बनती हैं।
- बाजार अस्थिरता: कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों की अपेक्षित आय प्रभावित होती है।
- बढ़ती लागत: बीज, उर्वरक और उपकरणों की कीमतें बढ़ने से वित्तीय बोझ बढ़ता है।
- वित्तीय साक्षरता की कमी: सही क्रेडिट उपयोग की जानकारी न होने से डिफॉल्ट की संभावना बढ़ती है।
- बीमा दावों में देरी: फसल नुकसान के बाद बीमा भुगतान में देरी से ऋण चुकाने में कठिनाई होती है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- KCC ऋण सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख (बजट 2025-26 में घोषणा)।
- किसानों की वित्तीय जरूरतें पूरी करने और ऋण चुकाने की क्षमता बढ़ाने पर जोर।