संदर्भ:
लाजवर्द (Lapis Lazuli), एक रूपांतरित शिला (Metamorphic Rock) और अर्ध-कीमती रत्न है, जो अपनी गहरी नीली रंगत के लिए प्रसिद्ध है। यह प्राचीन सभ्यताओं में समृद्धि, शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता था।
लाजवर्द (Lapis Lazuli): A Precious Blue Stone:
- संरचना और रंग:
- लैपिस लाजुली एक गहरा नीला रूपांतरित (metamorphic) शिला है, जिसे रंग और चमकदार बनावट के लिए महत्व दिया जाता है।
- यह मुख्य रूप सेलाजुराइट (Lazurite) से बना होता है और इसमें कैल्साइट (Calcite) और पाइराइट (Pyrite) की मिलावट से सुनहरे चमकदार धब्बे होते हैं।
- मुख्य भंडार:
- अफगानिस्तान के बदख्शां प्रांत में सबसे प्रसिद्ध और उच्च गुणवत्ता वाला लैपिस लाजुली पाया जाता है।
- इसके अतिरिक्त, चिली, रूस और अमेरिका में भी इसके स्रोत मौजूद हैं।
- ऐतिहासिक महत्व:
- प्राचीन काल से इसे मिस्र, मेसोपोटामिया और ग्रीस में आभूषणों और सजावटी वस्तुओं में उपयोग किया जाता रहा है।
- इसका उपयोग अल्ट्रामरीन (Ultramarine) नामक रंगद्रव्य (pigment) बनाने में भी किया जाता था, जो पहले बेहद मूल्यवान था।
सिंधु घाटी सभ्यता में लाजवर्द (Lapis Lazuli) का महत्व:
- व्यापार और आयात:
- सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1900 ईसा पूर्व) का मेसोपोटामिया और अफगानिस्तान के साथ गहरा व्यापारिक संबंध था।
- लैपिस लाजुली मुख्य रूप से अफगानिस्तान के बदख्शान क्षेत्र से आयात किया जाता था।
- आभूषणों में उपयोग:
- मोहनजो–दड़ो और हड़प्पा की खुदाई में लैपिस लाजुली से बनी मणियाँ, पेंडेंट और आभूषण प्राप्त हुए हैं।
- यह एक बहुमूल्य और प्रतिष्ठित पत्थर था, जिसे उच्च वर्ग के लोग पहनते थे।
- धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
- लैपिस लाजुली को पवित्र पत्थर माना जाता था और इसे आध्यात्मिकता और उच्च सामाजिक स्तर का प्रतीक माना जाता था।
- इसे धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता था और संभवतः देवताओं के प्रतीक के रूप में प्रयुक्त होता था।
- कला और तकनीकी कौशल:
- सिंधु सभ्यता के कारीगरों को मनका निर्माण (bead-making) में महारत हासिल थी।
- लैपिस लाजुली को सोने और अन्य कीमती पत्थरों के साथ मिलाकर जटिल डिज़ाइन थे।
- खुदाई में मिले उत्कीर्ण (incised) और रंगे हुए मनके (painted beads) उनकी उन्नत तकनीकी विशेषज्ञता को दर्शाते हैं।
लाजवर्द (Lapis Lazuli) का ऐतिहासिक महत्व और उपयोग:
- प्राचीन भारत में व्यापार: भारतीय व्यापारीलगभग 1000 ईसा पूर्वसे अफगानिस्तान के बदख्शान क्षेत्र से लैपिस लाजुली का आयात करते थे।
- सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजो–दड़ो और हड़प्पा जैसे स्थलों की खुदाई में लाजवर्द (Lapis Lazuli) के आभूषण मिले हैं, जो इसकी महत्ता दर्शाते हैं।
- प्राचीन मिस्र में उपयोग
- मिस्र की सभ्यता में गहनों, ताबीज (amulets) और नेत्र सज्जा (eye makeup) के लिए लैपिस लाजुली का उपयोग किया जाता था।
- इसे पवित्र और शक्ति का प्रतीक माना जाता था।
- पुनर्जागरण काल में यूरोप में उपयोग: यूरोप के पुनर्जागरण काल(Renaissance) में कलाकारलैपिस लाजुली को पीसकर अल्ट्रामरीन (ultramarine) नामक महंगे नीले रंग में बदलते थे।
- इसे चित्रकला में एक महत्वपूर्ण रंगद्रव्य के रूप में प्रयोग किया जाता था।