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भारत ने 2040 तक चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इसका उद्देश्य पृथ्वी की कक्षा से बाहर एक स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करना है। यह स्टेशन मानवयुक्त चंद्र मिशनों का समर्थन करेगा और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।
- इस पहल से भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों को एक नया आयाम मिलेगा, और यह अंतरिक्ष अन्वेषण में देश की प्रमुख भूमिका को और भी मजबूत करेगा।
भारत की चंद्र अंतरिक्ष स्टेशन योजना के मुख्य बिंदु:
- लक्ष्य: भारत ने 2040 तक चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी की कक्षा से बाहर स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करना है।
- चंद्र अंतरिक्ष स्टेशन: यह स्टेशन मानवयुक्त चंद्र मिशनों का समर्थन करेगा और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
- इसरो की योजना: इसरो ने चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें पहले चरण में 2028 में चंद्रयान-4 सैंपल-रिटर्न मिशन शामिल है, जिसका उद्देश्य चंद्र नमूने पृथ्वी पर लाना है।
- मानवयुक्त चंद्र मिशन: दूसरे चरण में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की योजना है, और प्रधानमंत्री मोदी ने 2035 तक चंद्रमा पर मानव उड़ान और 2040 तक लैंडिंग का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण: इसरो के अंतरिक्ष यात्री बेंगलुरु और रूस में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
चंद्र उपस्थिति का दीर्घकालिक लक्ष्य:
- 2040 तक चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला स्टेशन स्थापित करने की योजना।
- स्टेशन का उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बेस और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए केंद्र बनाना।
- 2050 से पहले एक स्थायी चंद्र बेस स्थापित करने की योजना।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत का प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों को संचालित करने का कार्य करता है। इसका गठन 1969 में डॉ. विक्रम साराभाई द्वारा किया गया था, और तब से यह भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में अग्रणी बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।
मुख्य उद्देश्य और कार्यक्षेत्र: ISRO का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के माध्यम से भारत की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में योगदान देना है। यह सैटेलाइट प्रक्षेपण, अंतरिक्ष मिशन, दूरसंचार, मौसम विज्ञान, आपदा प्रबंधन, कृषि और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में कार्य करता है।
महत्वपूर्ण मील के पत्थर:
- चंद्रयान–1 (2008): यह मिशन भारत का पहला चंद्र मिशन था और इसने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज की, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
- मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) (2013): इसरो ने मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर भारत को एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय सफलता दिलाई, जिससे भारत मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बन गया।
- चंद्रयान–2 (2019): इस मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडर को भेजने का प्रयास किया था, हालांकि लैंडर का संपर्क टूट गया था, लेकिन यह मिशन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था।
- चंद्रयान–3 (2023): इस मिशन के जरिए भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की, और यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था।
भविष्य की योजनाएँ: ISRO के पास कई महत्वाकांक्षी मिशन हैं, जिनमें मंगल और चंद्रमा के और अधिक अन्वेषण, मानव अंतरिक्ष मिशन (गगनयान), और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, ISRO 2040 तक चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और स्थायी चंद्र बेस बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
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