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राजस्थान ने सतत निर्माण और बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने के लिए M-सैंड नीति (M-Sand Policy) 2024 की शुरुआत की है।
M-सैंड (M-Sand) क्या है?
- M-सैंड चट्टानों, ओवरबर्डन और निर्माण कचरे को कुचलने, आकार देने, छानने और वर्गीकृत करने की प्रक्रिया से तैयार की जाती है।
- यह एक पर्यावरण के अनुकूल और उच्च गुणवत्ता वाली निर्माण सामग्री है, जो नदी पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव डाले बिना उद्योग की मांग को पूरा करती है।
- यह नदी की रेत का एक सरल और किफायती विकल्प प्रदान करती है।
- नदी की रेत पर निर्भरता को कम कर नदी पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाले नुकसान को कम करती है।
राजस्थान M-सैंड नीति (M-Sand Policy) 2024:
उद्देश्य:
- M-सैंड उत्पादन को 2028-29 तक 30 मिलियन टन (MT) वार्षिक तक बढ़ाना (वर्तमान में राज्य केवल 13 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन करता है)।
- राजस्थान में नदी की रेत की कुल मांग वर्तमान में लगभग 70 मिलियन टन प्रति वर्ष है।
- M-सैंड इकाइयों को प्रोत्साहित करना, नियमों को सरल बनाना, और गुणवत्ता मानकों को बढ़ावा देना।
M-सैंड (निर्मित रेत) के लाभ:
- लागत प्रभावी (Cost-Effective): उत्पादन लागत कम होने के कारण M-सैंड प्राकृतिक रेत की तुलना में अधिक सस्ती होती है।
- गुणवत्ता में समानता (Quality Consistency): समान अनाज आकार और आकार होने के कारण यह निर्माण परियोजनाओं के लिए आदर्श है।
- पर्यावरणीय लाभ (Environmental Benefits):
- प्राकृतिक रेत खनन पर निर्भरता कम करता है और पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- कोयला खदानों के ओवरबर्डन को पुनः उपयोग करके इसे उपयोगी सामग्री में परिवर्तित करता है।
- पानी की खपत में कमी (Reduced Water Consumption): इसे धोने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे निर्माण के दौरान पानी की बचत होती है।
- सुरक्षा में सुधार (Enhanced Mine Safety): भूमिगत खानों में रेत भराई के लिए उपयोगी है, जिससे सुरक्षा और संरक्षण में वृद्धि होती है।
- नदी रेत खनन में कमी (Reduction in River Sand Extraction):
- नदी तल कटाव को रोकता है।
- जलीय आवासों की रक्षा करता है और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखता है।
सरकारी पहल:
- निर्माण कार्यों में M-सैंड का उपयोग:
- राज्य सरकार द्वारा किए गए विभिन्न निर्माण कार्यों में उपयोग की जाने वाली रेत की कुल मात्रा का न्यूनतम 25% M-सैंड होना अनिवार्य।
- इसे 2028-29 तक चरणबद्ध तरीके से 50% तक बढ़ाया जाएगा।
- निर्माताओं को वित्तीय सहायता: राज्य सरकार एकमुश्त सहायता के रूप में निर्माताओं के फंड जुटाने के प्रयास का 50% और अधिकतम ₹5 लाख तक वहन करेगी।
- स्टाम्प ड्यूटी और बिजली शुल्क में छूट: स्टाम्प ड्यूटी में एक सीमा तक छूट और सात वर्षों के लिए बिजली शुल्क में पूर्ण छूट।
- राज्य कर की प्रतिपूर्ति: M-सैंड इकाइयों को 10 वर्षों के लिए देय राज्य कर का 75% प्रतिपूर्ति की जाएगी।