Mahabodhi temple
संदर्भ:
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर पर केवल बौद्ध समुदाय को नियंत्रण देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को यह मामला उच्च न्यायालय में उठाने की सलाह दी। यह मुद्दा धार्मिक स्थल के प्रशासनिक नियंत्रण और धार्मिक अधिकारों से जुड़ी संवेदनशील बहस को रेखांकित करता है।
(Mahabodhi temple) महाबोधि मंदिर: बौद्ध धर्म का पवित्र धरोहर स्थल–
ऐतिहासिक महत्त्व:
- महाबोधि मंदिर यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) है।
- यह बुद्ध के जीवन से जुड़े चार पवित्र स्थलों में एक है — जहाँ बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया।
स्थापत्य और निर्माण:
- महाबोधि मंदिर परिसर की शुरुआत सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ई.पू. में उनके बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद हुई थी।
- वर्तमान मंदिर का निर्माण 5वीं–6वीं शताब्दी में हुआ।
- यह ईंटों से बना सबसे प्रारंभिक बौद्ध मंदिरों में से एक है और ईंट स्थापत्य विकास का प्रमुख उदाहरण माना जाता है।
प्रशासनिक इतिहास:
- 13वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण तक मंदिर का प्रबंधन बौद्ध भिक्षुओं के हाथों में था।
- 16वीं शताब्दी के अंत में हिंदू संत घमंडी गिरि ने यहाँ बोधगया मठ की स्थापना की।
स्वतंत्रता के बाद की स्थिति (1949):
- बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 के तहत मंदिर का प्रशासन बिहार सरकार के अधीन एक प्रबंधन समिति को सौंपा गया।
- इस समिति में हिंदू और बौद्ध दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व होता है।