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समुद्री क्षेत्र की प्रमुख पहलें

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संदर्भ:

समुद्री क्षेत्र की प्रमुख पहलें: केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) के तहत प्रमुख पहलें लॉन्च कीं, जिनका उद्देश्य भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण, वैश्विक व्यापार में इसकी भागीदारी बढ़ाना और स्थिरता को बढ़ावा देना है।

इन पहलों के तहत:

  • बंदरगाहों की दक्षता में सुधार
  • सुविधाओं का उन्नयन और वैश्विक व्यापार नेटवर्क से एकीकरण
  • कार्गो हैंडलिंग क्षमता में वृद्धि
  • हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाकर पर्यावरण अनुकूल बंदरगाह संचालन

शुरू की गई प्रमुख पहलें:

  1. वन नेशन-वन पोर्ट प्रोसेस (ONOP)
    1. भारत के प्रमुख बंदरगाहों के संचालन को मानकीकृत और सुव्यवस्थित करने की पहल।
    2. लाभ: परिचालन देरी, अक्षमताओं और लागत में कमी।
  2. सागर अंकलन – लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPPI)
    1. भारत के बंदरगाहों की दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए विकसित एक उपकरण।
    2. प्रमुख संकेतक: कार्गो हैंडलिंग, टर्नअराउंड समय आदि का मूल्यांकन।
  3. भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम: भारत की समुद्री व्यापार पहुंच को विस्तारित करने और व्यापार लचीलेपन को मजबूत करने की पहल।
  4. मैत्री (MAITRI) ऐप
    1. अंतरराष्ट्रीय व्यापार और नियामकीय प्रक्रियाओं को सरल और तेज करने हेतु एक मास्टर एप्लिकेशन।
    2. लाभ: व्यापार प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, अनावश्यक नौकरशाही प्रक्रियाओं में कटौती और शीघ्र स्वीकृति।
  5. इंडिया मैरीटाइम वीक (27-31 अक्टूबर, 2025)
    1. भारत की समुद्री विरासत और विकास को समर्पित द्विवार्षिक वैश्विक आयोजन।
    2. प्रतिभागी: 100 देश और 1,00,000 से अधिक प्रतिनिधि।

 भारत का समुद्री क्षेत्र:

रणनीतिक स्थिति: दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों पर स्थित, भारत एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र और उभरती वैश्विक शक्ति है।

  • महत्व: भारत का समुद्री क्षेत्र 95% व्यापार (वॉल्यूम में) और 70% (मूल्य में) संभालता है, जिससे इसका बुनियादी ढांचा अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कार्गो हैंडलिंग में वृद्धि: 2014-15 से 2023-24 तक प्रमुख बंदरगाहों की वार्षिक कार्गो हैंडलिंग क्षमता में 01% की वृद्धि हुई।
  • निर्यात में बढ़ोतरी: भारत का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट FY23 में 451 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो FY22 में 417 अरब डॉलर था।
  • वैश्विक स्थान: भारत 16वां सबसे बड़ा समुद्री राष्ट्र है, और इसके जलमार्गों से प्रमुख व्यापारिक मार्ग गुजरते हैं।

भारत सरकार की प्रमुख समुद्री पहल:

  • मैरिटाइम इंडिया विजन 2030 (MIV 2030): भारत को शीर्ष 10 शिपबिल्डिंग राष्ट्र बनाने और 150+ नई योजनाओं के साथ एक प्रभावी और सतत समुद्री प्रणाली विकसित करने की योजना।
  • सागरमाला कार्यक्रम: भारत के समुद्री तट और जलमार्गों का अधिकतम उपयोग कर बंदरगाह अवसंरचना, तटीय विकास और कनेक्टिविटी को मजबूत करना।
  • मैरिटाइम डेवलपमेंट फंड: ₹25,000 करोड़ का कोष बंदरगाहों और शिपिंग अवसंरचना के आधुनिकीकरण के लिए, जिससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  • अंतर्देशीय जलमार्ग विकास: 26 नए राष्ट्रीय जलमार्गों को विकसित कर सड़क और रेल यातायात के दबाव को कम करना और परिवहन का हरित विकल्प प्रदान करना।
  • ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP): 2040 तक सभी प्रमुख बंदरगाहों पर पारंपरिक ईंधन वाले टग्स को हरित, पर्यावरण-अनुकूल टग्स से बदलने की योजना।
  • सागरमंथन संवाद: भारत को वैश्विक समुद्री रणनीतिक चर्चाओं का केंद्र बनाने के लिए एक वार्षिक संवाद।
  • शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस पॉलिसी (SBFAP 2.0): भारतीय शिपयार्ड को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाने के लिए आर्थिक सहायता और नीति सुधार।

भविष्य की योजना:

  • $82 अरब निवेश से 2035 तक बंदरगाह बुनियादी ढांचे को मजबूत करना।
  • नई शिपिंग कंपनी स्थापित कर 1,000 से अधिक जहाजों का बेड़ा बढ़ाने की योजना।

 

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