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“मेक इन इंडिया” कार्यक्रम

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 सितंबर, 2014 को शुरू किया गया “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम भारत के आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। यह कार्यक्रम उस समय की गई जब देश की आर्थिक प्रगति में गिरावट देखी जा रही थी और कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। “मेक इन इंडिया” का उद्देश्य भारत को डिजाइन और विनिर्माण के क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र में बदलना था।

कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य:

  • निवेश को सुविधाजनक बनाना: नए निवेशकों को आकर्षित करना और व्यवसायिक वातावरण को सुधारना।
  • नवाचार को प्रोत्साहित करना: नए विचारों और तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
  • विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा विकसित करना: उद्योगों के लिए आधुनिक और सुविधाजनक बुनियादी ढाँचा तैयार करना।

मेक इन इंडिया” के स्तंभ:

  • नई प्रक्रियाएँ : ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ‘व्यापार करने में आसानी’ को प्रमुख माना। व्यवसाय के वातावरण को सुधारने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं, जिससे स्टार्टअप और स्थापित कंपनियों के लिए बेहतर और अनुकूल माहौल तैयार हुआ है।
  • नया बुनियादी ढाँचा : सरकार ने औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट शहरों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। अत्याधुनिक तकनीक और तेज संचार नेटवर्क को शामिल करके विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचा तैयार किया गया है। बेहतर पंजीकरण प्रणाली और उन्नत बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) ढाँचे के माध्यम से नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित किया गया है। उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार कार्यबल के विकास पर भी ध्यान दिया गया है।
  • नए क्षेत्र : रक्षा उत्पादन, बीमा, चिकित्सा उपकरण, निर्माण और रेलवे बुनियादी ढाँचे जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा दिया गया है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों में एफडीआई नियमों को सरल बनाया गया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय निवेश और विकास को प्रोत्साहन मिला है।
  • नया दृष्टिकोण : सरकार ने एक नियामक की बजाय एक सुविधा प्रदान करने वाले की भूमिका अपनाई है और देश की आर्थिक प्रगति को बढ़ाने के लिए उद्योगों के साथ सहयोग किया है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य औद्योगिक विकास और नवाचार के लिए एक बेहतर माहौल तैयार करना है।

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उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएँ:

भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने और विनिर्माण क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए ₹1.97 लाख करोड़ (26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) के निवेश के साथ पीएलआई योजनाएँ शुरू की गईं। ये योजनाएँ 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती हैं:

  1. मोबाइल विनिर्माण और इलेक्ट्रॉनिक घटक
  2. महत्वपूर्ण दवा मध्यस्थ और सक्रिय दवा घटक
  3. चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण
  4. ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक
  5. फार्मास्यूटिकल्स ड्रग्स
  6. विशेष स्टील
  7. दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद
  8. इलेक्ट्रॉनिक/प्रौद्योगिकी उत्पाद
  9. व्हाइट गुड्स (एयर कंडीशनर और एलईडी)
  10. खाद्य उत्पाद
  11. कपड़ा उत्पाद: एमएमएफ खंड और तकनीकी वस्त्र
  12. उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल
  13. उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी
  14. ड्रोन और ड्रोन घटक

पीएलआई योजनाओं का मुख्य उद्देश्य निवेश को आकर्षित करना, उन्नत तकनीक को शामिल करना और परिचालन दक्षता सुनिश्चित करना है। इन योजनाओं से विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास में योगदान की उम्मीद है।

रिकॉर्ड एफडीआई और व्यापार में सुगमता:

“मेक इन इंडिया” की सफलता को रिकॉर्ड तोड़ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से बल मिला है। एफडीआई प्रवाह में निरंतर वृद्धि के साथ, भारत ने 2014-15 में $45.14 बिलियन से शुरू होकर 2021-22 में रिकॉर्ड $84.83 बिलियन तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2023-24 में एफडीआई प्रवाह 70.95 बिलियन डॉलर था, जो भारत की बढ़ती वैश्विक साख को दर्शाता है।

वाणिज्यिक सुगमता में सुधार:

भारत सरकार ने व्यापार और वाणिज्यिक क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वर्ल्ड बैंक की इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत की रैंकिंग 2014 में 142वें स्थान पर थी, लेकिन अब यह सुधार कर 63वें स्थान पर पहुंच गई है। यह सुधार नियमों को सरल बनाने, नौकरशाही बाधाओं को कम करने और व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने के परिणामस्वरूप हुआ है।

मेक इन इंडिया” के तहत प्रमुख उपलब्धियाँ:

  1. स्वदेशी टीकों का विकास: भारत ने कोविड-19 टीकाकरण कवरेज में रिकॉर्ड समय में सफलता प्राप्त की और कई देशों को जीवन रक्षक टीकों का निर्यातक बना।
  2. वंदे भारत ट्रेन: भारत की पहली स्वदेशी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन, वंदे भारत, आधुनिक और बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करती है।
  3. INS विक्रांत: भारत का पहला घरेलू विमानवाहक पोत, आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम।
  4. इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में वृद्धि: भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन वित्त वर्ष 23 में 101 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
  5. वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका: भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 437.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापारिक निर्यात दर्ज किया।
  6. अंतरराष्ट्रीय मान्यता: भारतीय साइकिलें, जूते, और कश्मीर विलो बैट वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना चुके हैं।

निष्कर्ष:

मेक इन इंडिया” पहल ने भारत को डिज़ाइन, नवाचार और विनिर्माण के लिए एक प्रमुख केंद्र में बदल दिया है। वंदे भारत ट्रेनों और INS विक्रांत जैसी स्वदेशी परियोजनाओं की सफलता, रिकॉर्ड एफडीआई प्रवाह, और वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका यह दर्शाती है कि भारत की औद्योगिक क्षमताएं और आत्मनिर्भरता निरंतर बढ़ रही हैं। जैसे-जैसे पीएलआई योजनाएँ और अन्य पहलों के साथ भारत आगे बढ़ रहा है, यह आर्थिक विकास और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है।

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