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हाल ही में रवांडा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की हैं कि मारबर्ग वायरस रोग के प्रकोप के कारण छह लोगों की मौत हुई है। वर्तमान में लगभग 20 रोगियों का इलाज चल रहा है, जिनमें से अधिकांश स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं।
मारबर्ग वायरस रोग क्या है?
- मारबर्ग वायरल रोग एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी बुखार है, जो इबोला जैसा है।
- यह वायरस रक्तस्राव और अंग विफलता का कारण बनता है, और इसकी उच्च मृत्यु दर के लिए जाना जाता है।
- यह फिलोवायरस परिवार से संबंधित है, जिसमें इबोला भी शामिल है, और इसने अफ्रीका में कई घातक प्रकोप उत्पन्न किए हैं।
- पड़ोसी तंजानिया में 2023 में मामले सामने आए, जबकि युगांडा में इसका अंतिम प्रकोप 2017 में देखा गया था। तीनों पूर्वी अफ्रीकी देश सीमाएं साझा करते हैं, जिससे सीमा पार संक्रमण की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
फैलने का तरीका:
- इस विषाणु का संदिग्ध प्राकृतिक वाहक अफ्रीकी चमगादड़ माना जाता है, जो बिना बीमार पड़े रोगाणु को अपने साथ ले जाता है।
- वायरस चमगादड़ों से मनुष्यों और अन्य प्राइमेट्स में फैल सकता है, और संक्रमित व्यक्तियों के रक्त या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क के माध्यम से प्रसारित होता है।
- इसका नाम जर्मन शहर मारबर्ग से लिया गया है, जहाँ 1967 में पहली बार इसकी पहचान हुई थी।
मृत्यु दर : औसत एमवीडी केस मृत्यु दर लगभग 50% है। पिछले प्रकोपों में केस मृत्यु दर वायरस के प्रकार और केस प्रबंधन के आधार पर 24% से 88% तक भिन्न रही है।
टीका या एंटीवायरल उपचार:
- वर्तमान में मारबर्ग वायरल रोग के लिए कोई टीका या एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है।
- हालांकि, प्रायोगिक उपचारों, रक्त उत्पादों, और प्रारंभिक चरण के टीकों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा रहा है।
निष्कर्ष: मारबर्ग वायरस का प्रकोप एक गंभीर चिंता का विषय है, और इसके प्रसार को रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। संबंधित स्वास्थ्य प्राधिकरण संक्रमित व्यक्तियों और उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान और निगरानी कर रहे हैं, ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।
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