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बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS)

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संदर्भ:

भारत सरकार ने हाल ही में बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है ताकि राज्यों को इस योजना को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस सुधार का उद्देश्य किसानों को उनके कृषि उत्पादों का उचित मूल्य दिलाना और बाजार में स्थिरता बनाए रखना है।

बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) : किसानों के लिए राहत योजना

  1. योजना का परिचय:
    • MIS (Market Intervention Scheme) प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) का एक घटक है।
    • यह तब लागू किया जाता है जब नाशवंत कृषि/बागवानी उत्पादों के बाजार मूल्य एक निश्चित स्तर से नीचे गिर जाते हैं।
    • यह उन फसलों पर लागू होता है जिनका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय नहीं किया गया है, जैसे टमाटर, प्याज, आलू (TOP फसलें)
  2. योजना की कार्यप्रणाली:
    • यह योजना राज्य/केंद्रशासित प्रदेश (UT) सरकारों के अनुरोध पर लागू होती है।
    • यदि किसी फसल के बाजार मूल्य में पिछले सामान्य सीजन की तुलना में 10% या अधिक गिरावट आती है, तब सरकार MIS के तहत हस्तक्षेप करती है।
  3. MIS के मुख्य उद्देश्य:
    • किसानों को संकटग्रस्त बिक्री (Distress Sale) से बचाना।
    • MSP के दायरे से बाहर की फसलों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना।
    • बाजार में मूल्य स्थिरता बनाए रखना और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
    • किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer) या खरीद प्रणाली (Procurement Mechanism) द्वारा समर्थन देना।
    • उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाना ताकि किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त हो।

बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के कार्यान्वयन के लिए संशोधित दिशानिर्देश:

  1. MIS लागू करने की शर्तें: यदि मौजूदा बाजार मूल्य पिछले सामान्य वर्ष की तुलना में 10% या अधिक कम हो जाता है, तो MIS लागू की जाएगी।
  2. उत्पादन सीमा में वृद्धि: फसलों के उत्पादन की खरीद/कवरेज सीमा 20% से बढ़ाकर 25% कर दी गई है।
  3. किसानों को सीधी राशि हस्तांतरण: अब राज्य सरकारें किसानों के बैंक खाते मेंबाजार हस्तक्षेप मूल्य (MIP)” और विक्रय मूल्य के अंतर की राशि सीधे जमा कर सकती हैं, जिससे भौतिक खरीद (Physical Procurement) की आवश्यकता कम होगी।
  4. TOP फसलों (टमाटर, प्याज, आलू) के लिए विशेष प्रावधान:
    • यदि उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के बीच मूल्य में अंतर होता है, तो केंद्रीय नोडल एजेंसियाँ (CNA) जैसे NAFED और NCCF भंडारण और परिवहन लागत की भरपाई करेंगी।
    • NCCF को मध्य प्रदेश से दिल्ली तक 1,000 टन खरीफ टमाटर के परिवहन लागत की प्रतिपूर्ति के लिए स्वीकृति दी गई है।
  5. अतिरिक्त एजेंसियों की भागीदारी: अब NAFED और NCCF के अलावा, किसान उत्पादक संगठन (FPO), किसान उत्पादक कंपनियाँ (FPCs), राज्य-नामित एजेंसियाँ और अन्य केंद्रीय नोडल एजेंसियों को MIS के तहत TOP फसलों की खरीद, भंडारण और परिवहन का कार्य सौंपा जाएगा।

 

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