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संदर्भ:
मत्स्य-6000 पनडुब्बी: भारत की चौथी पीढ़ी की गहरे समुद्र में जाने वाली पनडुब्बी “मत्स्य–6000″ ने सफलतापूर्वक वेट टेस्टिंग पूरी कर ली है। यह पनडुब्बी 2025 के अंत तक 500 मीटर की गहराई तक परीक्षण प्रदर्शन करेगी, जिससे भारत की गहरे समुद्री अन्वेषण क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
गहरे महासागर मिशन (DOM):
DOM (Deep Ocean Mission) को 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा मंजूरी दी गई थी और इसका उद्देश्य समुद्र के गहरे हिस्सों के अध्ययन और संसाधन दोहन के लिए प्रमुख पहलें शुरू करना है। मिशन की कुल लागत ₹4,077 करोड़ है, जो पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से खर्च की जाएगी।
DOM के छह प्रमुख स्तंभ:
- गहरे समुद्र खनन के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास: इसमें 6,000 मीटर गहरे महासागर में तीन लोगों को ले जाने वाली एक मानवयुक्त पनडुब्बी का निर्माण शामिल है।
- महासागर जलवायु परिवर्तन पर सलाहकार सेवाओं का विकास: महासागर अवलोकन और मॉडलों का उपयोग करके जलवायु भविष्यवाणियाँ और विश्लेषण प्रदान करने की योजना है।
- गहरे समुद्र जैव विविधता के अन्वेषण और संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकीय नवाचार: समुद्र के गहरे हिस्सों में जैव विविधता की रक्षा और खोज को बढ़ावा देना।
- गहरे समुद्र सर्वेक्षण और अन्वेषण: भारतीय महासागर के मध्य महासागर रिड्ज़ पर बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड्स खनिजीकरण की संभावित साइटों की पहचान करना।
- समुद्र से ऊर्जा और ताजे पानी का दोहन: समुद्र से ऊर्जा और ताजे पानी के स्रोतों का अन्वेषण करना।
- उन्नत समुद्री स्टेशन की स्थापना: समुद्री जैविकी और ब्लू बायोटेक्नोलॉजी में नवाचारों के लिए एक केंद्र के रूप में एक उन्नत समुद्री स्टेशन की स्थापना करना, जो नए अवसरों को बढ़ावा दे और प्रतिभा को विकसित करे।
महत्व:
- ‘न्यू इंडिया 2030′ दस्तावेज़ में नीली अर्थव्यवस्था का महत्व: भारत के विकास के लिए नीली अर्थव्यवस्था को छठे मुख्य उद्देश्य के रूप में पहचाना गया है।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘महासागर विज्ञान का दशक‘ (2021-2030): संयुक्त राष्ट्र ने 2021 से 2030 तक के वर्षों को महासागर विज्ञान का दशक घोषित किया है, जो समुद्र के संसाधनों और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करता है।
- प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार परामर्श परिषद (PMSTIAC) के तहत DOM: DOM मिशन प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार परामर्श परिषद (PMSTIAC) के तहत नौ महत्वपूर्ण मिशनों में से एक है।
- सतत संसाधन दोहन: यह मिशन बहुमूल्य संसाधनों जैसे पॉलिमेटालिक नोड्यूल्स और पॉलिमेटालिक सल्फाइड्स का सतत और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित तरीके से निष्कर्षण करने के लिए महत्वपूर्ण है।
मत्स्य-6000 पनडुब्बी की मुख्य विशेषताएँ:
- आकार और डिज़ाइन:
- Matsya-6000 में 1 मीटर व्यास वाली गोलाकार केज (spherical hull) है, जिसे विशेष रूप से तीन व्यक्तियों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह संरचना गहरे समुद्र की खोज और अनुसंधान के लिए मजबूत और प्रभावी है।
- प्रौद्योगिकी और उपप्रणाली:
- मुख्य बैलास्ट सिस्टम:यह डाइविंग के लिए जिम्मेदार होता है, जिससे उपग्रह को गहरे समुद्र में उतरने में सहायता मिलती है।
- थ्रस्टर्स:यह मल्टीडायरेक्शनल मूवमेंट के लिए उपयोग किए जाते हैं, जो उपग्रह को विभिन्न दिशाओं में गतिशील बनाने में सक्षम बनाते हैं।
- बैटरी बैंक:विद्युत आपूर्ति के लिए बैटरी बैंक की व्यवस्था की जाती है।
- सिंटैक्टिक फोम:यह बायोन्सी के लिए उपयोग होता है, जिससे उपग्रह को समुद्र में तैरने में मदद मिलती है।
- संचार और नेविगेशन:
- अकाउस्टिक मोडम:यह पानी के भीतर संचार के लिए काम करता है।
- अंडरवाटर टेलीफोन और VHF रेडियो:पानी के भीतर और सतह पर संवाद सुनिश्चित करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
- अंडरवाटर एक्यूस्टिक पोजीशनिंग और GPS:उपग्रह की सटीक स्थिति को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- जीवित समर्थन प्रणाली: यह प्रणाली पर्यावरणीय स्थितियों की निगरानी करती है और ऑपरेशंस के दौरान चालक दल को आवश्यक समर्थन प्रदान करती है।
- महासागर विज्ञान और डेटा संग्रहण: सेंसर्स और अंडरवाटर कैमरा:उपग्रह में समुद्र विज्ञान से संबंधित सेंसर और अंडरवाटर कैमरे फिट होते हैं, जो गहरे समुद्र के अनुसंधान के दौरान महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करने में मदद करते हैं।