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एमईपीसी-83 (MEPC-83) – UPSC Preparation

MEPC-83

संदर्भ:

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के मरीन एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन कमेटी (MEPC-83) सत्र में शिपिंग से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए एक नई प्रणाली को मंजूरी देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

MEPC-83 में प्रमुख प्रस्ताव और परिणाम:

प्रमुख प्रस्ताव

  • अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग चैंबर (ICS): प्रत्येक टन CO₂ उत्सर्जन के लिए एक निश्चित लेवी का सुझाव।
  • चीन: बाजार-चालित दृष्टिकोण का समर्थन, जिसमें जहाज अनुपालन इकाइयों का व्यापार कर सकें।
  • यूरोपीय संघ (EU): IMO फंड द्वारा प्रबंधित एक निश्चित ग्रीनहाउस गैस लेवी का प्रस्ताव।
  • भारत: शून्य या निकट-शून्य ईंधन उपयोगकर्ताओं को प्रोत्साहन देते हुए गैर-अनुपालन वाले जहाजों को लक्षित करने वाला ‘ब्रिजिंग मैकेनिज्म’ प्रस्तावित।
  • सिंगापुर: भारत के मॉडल में सुधार करते हुए GHG ईंधन मानक और उत्सर्जन के लिए स्तरीय प्रणाली का सुझाव।

मतदान परिणाम और अगले कदम

मतदान परिणाम:

  • MEPC-83 में सिंगापुर के हाइब्रिड मॉडल को 63-16 के मतों से समर्थन मिला।
  • इसे नेट जीरो फ्रेमवर्क के रूप में अपनाया गया।
  • वैश्विक उद्योग में पहली बार:
    • अंतरराष्ट्रीय शिपिंग उद्योग में अनिवार्य उत्सर्जन लेवी लागू होने वाली है।

अंतिम स्वीकृति के लिए कदम:

  • MARPOL संधि के अनुच्छेद VI में संशोधन की आवश्यकता।
  • छह महीने की समीक्षा: अंतिम स्वीकृति के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता।
  • वर्तमान स्थिति: कुछ सदस्य राज्यों द्वारा संभावित आपत्तियों के कारण परिणाम अभी भी अनिश्चित।

सुस्पष्ट और समयबद्ध लक्ष्य:

  • IMO ने ठोस लक्ष्य निर्धारित किए हैं:
    • 2030: कार्बन तीव्रता में 40% की कमी
    • 2040: 70% की कमी
    • 2050: नेट-शून्य उत्सर्जन

ग्रीन शिपिंग: पर्यावरणीय अनुकूल समुद्री परिवहन

परिचय:

  • ग्रीन शिपिंग का अर्थ है समुद्री उद्योग में ऐसी प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों का उपयोग जो पर्यावरणीय प्रभाव को कम करें।
  • इसमें ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कमी, ऊर्जा दक्षता में सुधार और समुद्री प्रदूषण को न्यूनतम करना शामिल है।

ग्रीन शिपिंग की आवश्यकता:

  • वैश्विक उत्सर्जन: शिपिंग उद्योग से प्रतिवर्ष लगभग 1 बिलियन टन GHG उत्सर्जन होता है, जो वैश्विक उत्सर्जन का 8% है।
  • भविष्य का अनुमान: नियंत्रण न किया गया, तो 2050 तक उत्सर्जन में 50-250% तक वृद्धि हो सकती है।

पहले से लागू उपाय:

  • ऊर्जा दक्षता डिजाइन सूचकांक (EEDI): नए जहाजों के लिए दक्षता मानकों को निर्धारित करता है।
  • ऊर्जा दक्षता प्रबंधन योजना (SEEMP): उत्सर्जन को कम करने के लिए परिचालन योजना।
  • अनिवार्य ईंधन तेल खपत रिपोर्टिंग: जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार के लिए अनिवार्य रिपोर्टिंग।

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