MGNREGS
संदर्भ:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025–26 की पहली छमाही के लिए वार्षिक आवंटन के 60% तक खर्च की सीमा निर्धारित की है। अब तक यह योजना एक मांग-आधारित कार्यक्रम के रूप में कार्य कर रही थी, जिसमें व्यय पर कोई पूर्व निर्धारित सीमा नहीं होती थी।
मुख्य तथ्य: मनरेगा बजट 2025–26:
- कुल वार्षिक बजट: ₹86,000 करोड़
- पहली छमाही (अप्रैल–सितंबर 2025) के लिए व्यय सीमा: ₹51,600 करोड़ (कुल बजट का 60%)
- 8 जून 2025 तक हुआ व्यय: ₹24,485 करोड़ (कुल बजट का 28.47%)
- लंबित बकाया (वित्त वर्ष 2024–25 से): ₹21,000 करोड़
- लक्ष्यित श्रम बजट (पूरा वर्ष): 198.86 करोड़ श्रमदिवस
- पहली छमाही का लक्ष्य: 133.45 करोड़ श्रमदिवस (वार्षिक लक्ष्य का 67.11%)
मनरेगा (MGNREGS) के बारे में
शुरुआत: वर्ष 2005 में
उद्देश्य: ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिनों का सुनिश्चित मज़दूरी आधारित रोज़गार देना।
केंद्र बिंदु: अकुशल (unskilled) शारीरिक श्रम के लिए कानूनी अधिकार प्रदान करना।
विशेषताएँ (Unique Features):
- प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन का रोज़गार सुनिश्चित किया जाता है।
- वयस्क सदस्य स्वेच्छा से अकुशल श्रम कार्य के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- यदि 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं दिया जाता, तो बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है।
- कार्य स्थल आवेदनकर्ता के निवास से 5 किमी के भीतर होना चाहिए।
- केंद्र सरकार द्वारा:
- 100%: अकुशल श्रमिकों के वेतन का भुगतान
- 75%: कुशल श्रमिक और सामग्री लागत
- 6%: प्रशासनिक व्यय वहन किया जाता है।
महत्वपूर्ण प्रावधान (Key Provisions)
- ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने का अधिकार।
- प्राकृतिक आपदा या अनुसूचित जनजातियों के लिए अतिरिक्त कार्य दिवस दिए जा सकते हैं।
- सोशल ऑडिट (सामाजिक लेखा परीक्षा) की व्यवस्था — सभी रिकॉर्ड जनता के लिए खुले होते हैं।
- कार्य स्थलों पर निम्न सुविधाएँ अनिवार्य:
- क्रेच (Creche) या शिशु देखभाल की सुविधा
- पीने का पानी
- प्राथमिक उपचार (First Aid)
मनरेगा से जुड़ी हालिया चुनौतियाँ:
- भुगतान में देरी:
- जनवरी 2025 तक मज़दूरी और प्रशासनिक खर्चों के लिए ₹11,423 करोड़ की राशि बकाया।
- कई श्रमिकों को हफ्तों या महीनों तक भुगतान नहीं मिल रहा है।
- अपर्याप्त मज़दूरी दर:
- मज़दूरी दर महँगाई दर (inflation) से नहीं जुड़ी है।
- 2024–25 में सबसे अधिक दैनिक मज़दूरी ₹374 (हरियाणा) है, जो राष्ट्रीय न्यूनतम मज़दूरी से कम है।
- तकनीकी समस्याएँ:
- आधार-आधारित भुगतान प्रणाली और मोबाइल निगरानी तंत्र में गड़बड़ियों के कारण:
- भुगतान अटक जाता है या
- गलत खातों में चला जाता है।
- बजट में कटौती:
- मनरेगा का बजट FY22 में GDP का 0.4% था, जो FY25 में घटकर 0.2% रह गया।
- इससे कार्य दिवसों की संख्या और समय पर भुगतान दोनों प्रभावित हुए हैं।
- सामाजिक ऑडिट में अनियमितताएँ: ग्राम सभाओं द्वारा नियमित ऑडिट नहीं हो पाने से पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठे हैं।