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उपराष्ट्रपति ने समाज में व्याप्त सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव पर ध्यान देने पर जोर दिया

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समाज में प्रत्यक्ष लैंगिक भेदभाव (जैसे लिंग संवेदनशील बुनियादी ढांचे की कमी) कम हो गया है, लेकिन सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव ने इसका स्थान ले लिया है। हाल ही में उपराष्ट्रपति ने इस सूक्ष्म भेदभाव को पहचानने और ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव क्या है?

सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव उन दृष्टिकोणों और व्यवहारों के माध्यम से प्रकट होता है जो पहली नजर में सहायक या निष्कपट लग सकते हैं, लेकिन वास्तव में पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को मजबूत करते हैं और असमानता को कायम रखते हैं।

सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव के प्रकार:

  • रूढ़िवादी प्रशंसा: ऐसी सकारात्मक टिप्पणियाँ जो पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को बढ़ावा देती हैं और महिलाओं की क्षमताओं को कम आंकती हैं।
  • नियुक्ति और पदोन्नति में पूर्वाग्रह: शारीरिक शक्ति या नेतृत्व की आवश्यकताओं वाले रोल्स के लिए पुरुषों को प्राथमिकता देना।
  • सूक्ष्म आक्रामकता: छोटी-छोटी टिप्पणियाँ जो लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देती हैं, जैसे कि पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण महिलाओं की करियर प्रतिबद्धता पर संदेह करना।
  • कार्य-जीवन संतुलन की मान्यताएँ: पारिवारिक जिम्मेदारियों के सामाजिक अपेक्षाओं के कारण महिलाओं पर कार्य-जीवन संतुलन संबंधी मान्यताओं का प्रभाव।

सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव को कम करने  के उपाय:

  •  मूल्यांकन: नौकरी के आवेदकों की शारीरिक विशेषताओं को छिपाकर अचेतन पूर्वाग्रह को कम करना।
  • समावेशिता की संस्कृति का निर्माण: ऐसे कार्यस्थल को बढ़ावा देना जो सभी के सुझावों का सम्मान करता हो, बिना लिंग की परवाह किए।
  • अचेतन लिंग पूर्वाग्रह का आकलन: धारणा सर्वेक्षण, भाषा विश्लेषण, और वेतन और कैरियर उन्नति में लिंग अंतर का विश्लेषण करके।
  • पुरुष मानसिकता में परिवर्तन: व्यापक लिंग संवेदीकरण के माध्यम से बदलाव की दिशा में काम करना।

लिंग भेदभाव रोकने के लिए उठाए गए कदम:

  • समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976: वेतन अंतर को कम करने के लिए लागू किया गया।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना: लैंगिक पूर्वाग्रह के खिलाफ जागरूकता और कल्याणकारी सेवाओं की प्रभावशीलता में सुधार।
  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी): महिलाओं को उद्यम स्थापित करने में सहायता प्रदान करना।
  • मिशन शक्ति: महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण के लिए व्यापक योजना।

निष्कर्ष:

सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव की पहचान और निवारण के लिए सक्रिय कदम उठाना आवश्यक है। इसके लिए नीति निर्माताओं, कार्यस्थलों और समाज को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे ताकि लिंग समानता को वास्तविकता बनाया जा सके।

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