Minimum Support Price (MSP)
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने 2025–26 विपणन वर्ष के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय का कुल वित्तीय भार ₹2.07 लाख करोड़ होगा।
उद्देश्य:
- किसानों की आय को दोगुना करना: सरकार का यह निर्णय वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- उत्पादन लागत की भरपाई सुनिश्चित करना: यह नीति 2018–19 के बजट की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें यह प्रावधान किया गया था कि MSP को देशभर की औसत उत्पादन लागत का कम से कम 5 गुना तय किया जाएगा।
- किसानों को उनकी उपज का न्यायसंगत मूल्य दिलाना: यह निर्णय किसानों को उनकी मेहनत के बदले उचित और लाभकारी मूल्य प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- कृषि को लाभकारी और टिकाऊ बनाना: MSP वृद्धि से कृषि को एक सतत और आर्थिक रूप से व्यवहारिक क्षेत्र के रूप में प्रोत्साहन मिलेगा।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना: किसानों की आमदनी बढ़ने से ग्रामीण मांग और खपत में वृद्धि होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना: यह निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम है।
Minimum Support Price (MSP) :
परिचय:
- MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी उपज खरीदने की गारंटी देती है, भले ही बाजार मूल्य इससे कम क्यों न हो।
- इसका उद्देश्य किसानों को कीमतों में गिरावट से सुरक्षा प्रदान करना है।
इतिहास:
- 1960 के दशक के खाद्यान्न संकट (विशेषकर बिहार अकाल 1966–67) के बाद MSP की शुरुआत हुई।
- 1965 में Agricultural Price Commission (APC) की स्थापना की गई ताकि तयशुदा मूल्य पर खरीद जैसे मूल्य नीति उपाय लागू किए जा सकें।
- 1985 में APC को Commission for Agricultural Costs and Prices (CACP) में परिवर्तित किया गया, जिससे इसके कार्यक्षेत्र का विस्तार हुआ।
घोषणा प्रक्रिया:
- MSP की घोषणा भारत सरकार द्वारा प्रत्येक फसल सीजन के लिए की जाती है।
- यह निर्णय CACP की सिफारिशों के आधार पर होता है, जो विभिन्न कारकों को ध्यान में रखता है:
- उत्पादन लागत
- मांग व आपूर्ति
- बाजार मूल्य रुझान
- उपभोक्ता और किसान हितों का संतुलन
- अंतरराष्ट्रीय कीमतें
- फसल का पारिस्थितिकीय महत्व
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गणना विधि:
A2+FL सूत्र: MSP निर्धारण का आधार–
- A2 (Paid-out Cost):
- वे सभी खर्चे जो किसान नकद या वस्तु के रूप में करता है।
- उदाहरण: बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, मशीनरी, पट्टे की भूमि का किराया, मजदूरी आदि।
- FL (Family Labour): परिवार के सदस्यों द्वारा दी गई श्रम का मूल्य, जिसका भुगतान नहीं किया जाता लेकिन उसे गणना में जोड़ा जाता है।
- A2 + FL: यह वह लागत है जिसे भारत सरकार MSP तय करने के लिए मुख्य रूप से आधार मानती है।
एमएसपी के अंतर्गत आने वाली फसलें:
खरीफ फसलें:
- अनाज: धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का
- दालें: अरहर, मूंग, उड़द
- तिलहन: मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, तिल, नाइजर-सीड
- वाणिज्यिक: कपास
रबी फसलें:
- गेहूँ, जौ, चना, मसूर, रेपसीड और सरसों, कुसुम
वाणिज्यिक फसलें: खोपरा, जूट और तोरिया तथा छिलका रहित नारियल भी संबंधित एमएसपी के अंतर्गत आते हैं