संदर्भ:
भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS-MSME) शुरू की है, जिसका उद्देश्य क्रेडिट संकट को दूर करना और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा देना है।
म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS-MSME):
- उद्देश्य:
- यह योजना नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा 60% गारंटी कवरेज प्रदान करती है।
- सदस्य ऋणदाता संस्थानों (MLIs) को 100 करोड़ रुपये तक की ऋण सुविधा के लिए गारंटी दी जाएगी।
- यह सहायता योग्य एमएसएमई (MSME) को उपकरण/मशीनरी खरीदने के लिए दी जाएगी।
- एमएसएमई क्षेत्र में विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) सेक्टर की भूमिका:
- विनिर्माण क्षेत्र एमएसएमई परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह क्षेत्र 3 मिलियन (2.73 करोड़) श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है।
विशेषताएँ:
- योग्यता: उधारकर्ता को वैध उद्यम पंजीकरण संख्या (Udyam Registration Number) के साथ MSME होना चाहिए।
- ऋण राशि:
- अधिकतम ₹100 करोड़ तक के ऋण को गारंटी दी जाएगी।
- परियोजना की कुल लागत ₹100 करोड़ से अधिक भी हो सकती है।
- उपकरण/मशीनरी की न्यूनतम लागत:
- परियोजना लागत का कम से कम 75% उपकरण/मशीनरी पर होना चाहिए।
- ऋण चुकौती अवधि:
- ₹50 करोड़ तक के ऋण के लिए 8 वर्ष तक की पुनर्भुगतान अवधि होगी, जिसमें 2 वर्ष तक का मोरेटोरियम (मूलधन किस्तों पर स्थगन) मिलेगा।
- ₹50 करोड़ से अधिक के ऋण के लिए अधिक पुनर्भुगतान अवधि और मोरेटोरियम की अनुमति दी जा सकती है।
- प्रारंभिक योगदान: गारंटी कवर आवेदन के समय ऋण राशि का 5% जमा करना अनिवार्य होगा।
- वार्षिक गारंटी शुल्क:
- ऋण स्वीकृति के पहले वर्ष में शून्य (Nil)।
- अगले 3 वर्षों तक 5% प्रति वर्ष (मार्च 31 को शेष ऋण राशि के आधार पर)।
- उसके बाद 1% प्रति वर्ष (मार्च 31 को शेष ऋण राशि के आधार पर)।
- योजना की समय–सीमा: यह योजना 4 वर्षों के लिए लागू होगी या ₹7 लाख करोड़ की कुल गारंटी जारी होने तक, जो भी पहले हो।
मुख्य प्रभाव:
- विनिर्माण क्षेत्र का योगदान: वर्तमान में विनिर्माण क्षेत्र भारत के GDP में 17% का योगदान देता है।
- इसमें 3 मिलियन (2.73 करोड़) से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं।
- ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड‘ पहल: प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड का आह्वान किया है।
- सरकार का लक्ष्य विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 25% तक बढ़ाना है।
- MSME क्षेत्र को सहायता: Mutual Credit Guarantee Scheme (MCGS-MSME) के माध्यम से MSME सेक्टर को आसान ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
- यह प्लांट, मशीनरी और उपकरणों की खरीद को प्रोत्साहित करेगा।
- भारतीय विनिर्माण को बढ़ावा: यह योजना मेक इन इंडिया अभियान को मजबूत करेगी और देश के विनिर्माण क्षेत्र को गति प्रदान करेगी।
MSME को क्रेडिट तक आसान पहुंच बनाने के लिए अन्य कदम:
- क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE): सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSEs) को बिना गारंटी (कोलेटरल–फ्री) लोन देने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट की स्थापना।
- RAMP (Raising and Accelerating MSME Performance) कार्यक्रम: MSME क्षेत्र के विकास के लिए ₹6,000 करोड़ का निवेश।
- 5 वर्षों की अवधि में MSMEs के प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर ध्यान।
- प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending – PSL) मानदंड: MSMEs को दिए गए सभी बैंक ऋण प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के अंतर्गत आते हैं।
- इससे MSMEs को सस्ते और आसान ऋण उपलब्ध हो पाते हैं।
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