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अंतरिक्ष दिवस 2024 – इतिहास, महत्त्व तथा विषय

National Space Day –

भारत सरकार ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन की शानदार कामयाबी का जश्न मनाने के लिए 23 अगस्त को “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” (National Space Day) घोषित किया है। इसी दिन विक्रम लैंडर चांद पर सफलतापूर्वक उतरा और प्रज्ञान रोवर ने दक्षिणी ध्रुव के पास चांद की सतह पर कदम रखा।

  • यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में आगे बढ़ाने वाले देशों की खास सूची में शामिल करती है।
  • भारत चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास पहुंचने वाला पहला देश बन गया है।
  • इस कामयाबी को जुलाई और अगस्त 2024 में पूरे देश में मनाया जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी को अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिले।
  • चंद्रयान-3 मिशन की इस बड़ी सफलता को यादगार बनाने के लिए मत्स्य पालन विभाग, डॉ. अभिलक्ष लिखी के नेतृत्व में, तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में “मत्स्य पालन क्षेत्र में अंतरिक्ष तकनीकों का उपयोग” पर संगोष्ठियों और प्रदर्शनियों की एक श्रृंखला आयोजित कर रहा है।
  • ये संगोष्ठियाँ और प्रदर्शन 18 जगहों पर हो रहे हैं, जिनमें मछली पालन में अंतरिक्ष तकनीक का एक सिंहावलोकन, समुद्री क्षेत्र के लिए संचार और नौवहन प्रणाली, अंतरिक्ष से निगरानी और मछली पालन क्षेत्र में इसके सकारात्मक प्रभाव जैसे विषय शामिल हैं।

मिशन चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चंद्रमा पर भेजा गया एक अभूतपूर्व मिशन है। यह मिशन चंद्रयान-2 का अनुवर्ती है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग तथा रोवर की गतिशीलता का प्रदर्शन करना था। Chandrayaan-3 ने 23 अगस्त 2023 को भारतीय समयानुसार शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक लैंडिंग की, जिससे भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया।

मिशन के उद्देश्य:

  • सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग: चंद्रयान-3 का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना था, जो चंद्रयान-2 मिशन में हासिल नहीं हो सका था।
  • रोवर की गतिशीलता: मिशन में एक रोवर शामिल था जिसे चंद्रमा की सतह पर घूमने और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  • वैज्ञानिक प्रयोग: लैंडर और रोवर दोनों वैज्ञानिक उपकरणों से लैस थे, जिनका उद्देश्य चंद्रमा की सतह, उसके वातावरण और उसकी संरचना का अध्ययन करना था।

मिशन की संरचना:

चंद्रयान-3 में तीन मुख्य मॉड्यूल शामिल थे:

  1. प्रोपल्शन मॉड्यूल: यह मॉड्यूल लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा में ले जाने के लिए जिम्मेदार था।
  2. लैंडर मॉड्यूल (विक्रम): यह मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  3. रोवर मॉड्यूल (प्रज्ञान): यह रोवर लैंडर से बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह पर घूमता है और वैज्ञानिक प्रयोग करता है।

मिशन की समयरेखा:

  • 14 जुलाई 2023: Chandrayaan-3  को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया।
  • 5 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया।
  • 17 अगस्त 2023: लैंडर मॉड्यूल प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ।
  • 23 अगस्त 2023: लैंडर मॉड्यूल ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की।
  • 23 अगस्त 2023: रोवर लैंडर से बाहर निकला और चंद्रमा की सतह पर अन्वेषण शुरू किया।

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 का विषय:

भारत 23 अगस्त, 2024 को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा है, जिसका विषय “चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा।” (“Touching Lives while Touching the Moon: India’s Space Saga.”) है।

मिशन का महत्व:

चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। यह मिशन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। चंद्रयान-3 द्वारा किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों से चंद्रमा के बारे में हमारी समझ में वृद्धि होगी और भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)  के बारे में –

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों को संचालित करने और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देश को अग्रणी बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इसरो का मुख्यालय बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थित है, और यह संगठन विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अभियानों के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी संगठनों में से एक माना जाता है।

इसरो की स्थापना और इतिहास –

इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था। डॉ. विक्रम साराभाई, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है, इसरो के संस्थापक अध्यक्ष थे। उन्होंने भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान की नींव रखी और इसे आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसरो की पहली उपलब्धि 1975 में “आर्यभट्ट” नामक भारत के पहले उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के रूप में आई। इसके बाद इसरो ने कई सफल प्रक्षेपण किए और विभिन्न मिशनों के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसरो की प्रमुख उपलब्धियाँ –

1.      आर्यभट्ट (1975): भारत का पहला उपग्रह, जिसे सोवियत संघ के सहयोग से लॉन्च किया गया था।

2.      चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की उपस्थिति का पता लगाया।

3.      मंगलयान (2013): भारत का पहला मंगल मिशन, जिसने भारत को विश्व का पहला ऐसा देश बना दिया जिसने अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया।

4.      चंद्रयान-2 (2019): भारत का दूसरा चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन किया।

5.      चंद्रयान-3 (2023): चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर को भेजने का मिशन, जिसने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की। यह उपलब्धि भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बनाती है।

6.      पीएसएलवी और जीएसएलवी: इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) ने कई उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा है।

7.      नाविक (NAVIC): भारत का अपना क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, जो जीपीएस के समान है।

8.      GSAT श्रृंखला: संचार उपग्रहों की एक श्रृंखला, जिसने भारत में टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट और मोबाइल संचार को सुदृढ़ किया है।

इसरो के प्रमुख प्रक्षेपण स्थल –

·     सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SHAR), श्रीहरिकोटा: यह इसरो का मुख्य प्रक्षेपण स्थल है, जहाँ से अधिकांश अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किए जाते हैं।

·     तिरुवनंतपुरम, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC): यह केंद्र लॉन्च वाहनों और उपग्रहों के विकास के लिए जिम्मेदार है।

इसरो के भविष्य के मिशन –

·     गगनयान: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री (गगननौट्स) को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

·     आदित्य-एल1: सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला मिशन।

·     शुक्रयान: शुक्र ग्रह का अध्ययन करने वाला मिशन।

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