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हाल ही में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने महाराष्ट्र की कुछ जातियों को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की केंद्रीय सूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को सलाह दी है। अनुच्छेद 342ए के तहत, राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBC) को निर्दिष्ट कर सकें।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के बारे में :
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 102वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBC) के कल्याण और उनके अधिकारों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- इससे पहले NCBC केवल एक सांविधिक निकाय था, जो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत कार्य करता था।
- इस संशोधन के बाद आयोग को संवैधानिक शक्तियाँ प्राप्त हुईं, जिससे इसकी भूमिका और अधिकारों में वृद्धि हुई।
NCBC का इतिहास और पृष्ठभूमि:
- काका कालेलकर आयोग (1953) और बी.पी. मंडल आयोग (1979) के माध्यम से पिछड़े वर्गों की पहचान और कल्याण के लिए पहले प्रयास किए गए थे।
- इंद्रा साहनी मामला (1992) में सर्वोच्च न्यायालय ने पिछड़े वर्गों की सुरक्षा और समावेशन के लिए एक स्थायी आयोग के गठन का निर्देश दिया, जिसके बाद 1993 में NCBC का गठन हुआ।
- 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 ने NCBC को संवैधानिक दर्जा दिया, जिससे इसका प्रभाव और जिम्मेदारियाँ बढ़ीं।
NCBC की संरचना:
- पांच सदस्य होते हैं: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य।
- इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और सेवा शर्तें भी राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 338B: सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के संरक्षण और उनके कल्याणकारी उपायों की जाँच और निगरानी के लिए NCBC को शक्तियाँ प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 342A: राष्ट्रपति को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को निर्दिष्ट करने का अधिकार प्रदान करता है। इसके लिए राष्ट्रपति संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श कर सकते हैं, और किसी संशोधन के लिए संसद की अनुमति आवश्यक होती है।
शक्तियाँ एवं कार्य:
- संवैधानिक सुरक्षा उपायों की निगरानी: NCBC को OBC वर्गों के लिए संविधान या कानून के तहत प्रदत्त संरक्षण उपायों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करने का अधिकार है।
- सिफारिशें और परामर्श: सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सलाह देता है और उनके उत्थान के लिए योजनाएँ सुझाता है।
- रिपोर्टिंग: NCBC अपनी वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जिसे संसद में पेश किया जाता है। यदि रिपोर्ट राज्य से संबंधित हो, तो राज्य सरकार को इसकी एक प्रति भेजी जाती है।
- न्यायिक शक्तियाँ: सुनवाई के दौरान NCBC को दीवानी न्यायालय के समान शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
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