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विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (FCRA)

संदर्भ:

विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (FCRA): गृह मंत्रालय (MHA) ने विदेशी फंडिंग से जुड़ी अपनी नीति में बदलाव करते हुए पूर्व अनुमति (Prior Permission) के माध्यम से प्राप्त विदेशी अंशदान की वैधता अब केवल चार वर्ष तक सीमित कर दी है। पहले की नीति में ऐसी कोई समय-सीमा नहीं थी, और संगठन तब तक फंड का उपयोग कर सकते थे जब तक पूरी राशि खर्च न हो जाए।

विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (FCRA) क्या है?

  1. परिचय (Introduction):
    • यह कानून पहली बार 1976 में लागू किया गया था।
    • इसके बाद 2010 और 2020 में संशोधन किए गए।
    • इसका उद्देश्य सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए विदेशी अंशदान (foreign donations) को नियमित करना है।
  2. पंजीकरण (Registration):
    • विदेशी धन प्राप्त करने के लिए NGO को FCRA के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
    • यह कानून NGO के साथसाथ किसी भी संगठन या समूह पर लागू होता है जो विदेशी अंशदान प्राप्त करता है।
    • पंजीकरण 5 वर्षों के लिए मान्य होता है और इसे नवीनीकृत (renew) किया जा सकता है।
  3. वार्षिक रिटर्न (Annual Returns): सभी पंजीकृत संस्थाओं को हर वर्ष आयकर की तरह वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होता है।
  4. 2015 के नियम (Rules by MHA):
    • गृह मंत्रालय (MHA) ने 2015 में नियम बनाए कि विदेशी फंड का उपयोग
      • भारत की संप्रभुता, एकता, सांप्रदायिक सौहार्द
      • और विदेशी संबंधों को प्रभावित करने के लिए नहीं किया जा सकता।

छूट और प्रतिबंध (Exemptions & Restrictions):

  1. निम्न व्यक्तियों और संस्थाओं को विदेशी अंशदान प्राप्त करने की अनुमति नहीं:
    • विधायक और सांसद
    • राजनैतिक दल
    • सरकारी अधिकारी
    • न्यायाधीश
    • मीडिया कर्मी
  2. 2017 संशोधन: राजनीतिक दल अब उन विदेशी कंपनियों से फंड ले सकते हैं जिनकी भारतीय कंपनियों में 50% से अधिक हिस्सेदारी है या जो भारत में सहायक कंपनियाँ चलाते हैं।

नई नीति की मुख्य बातें:

  1. पूर्व अनुमति के माध्यम से प्राप्त फंड:
    • अब फंड अनुमोदन तिथि से 4 वर्षों तक ही वैध रहेगा।
    • पहले यह तब तक वैध रहता था जब तक पूरा फंड खर्च न हो जाए।
  2. समय सीमा का उल्लंघन (Violation): निर्धारित समय सीमा का पालन न करने परकानून का उल्लंघन माना जाएगा और दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
  3. पूर्व अनुमोदित आवेदन: यदि 7 अप्रैल 2025 तक किसी संस्था के पास पहले से पूर्व अनुमति है और परियोजना में 3 वर्ष से अधिक बचे हैं, तो
    • नया समय – 3 वर्ष तक फंड प्राप्त करने की सीमा और 4 वर्ष तक उपयोग की सीमा – 7 अप्रैल 2025 से लागू होगी।
  4. पूर्व अनुमति की पात्रता:
    • यदि कोई NGO FCRA पंजीकरण के योग्य नहीं है, तो वहविशिष्ट प्रोजेक्ट के लिए पूर्व अनुमति ले सकता है।
    • शर्त यह है कि वह निम्न में से किसी अधिनियम के तहत पंजीकृत हो:
      • Societies Registration Act, 1860
      • Indian Trusts Act, 1882
      • Companies Act, 1956 की धारा 25 (अब धारा 8 के अंतर्गत)

FCRA का महत्व (Significance of FCRA):

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा: विदेशी फंड का उपयोग भारत की संप्रभुता और एकता के विरुद्ध न हो, यह सुनिश्चित करता है।
  2. विदेशी अंशदान का नियमन: विदेशी धन के प्रवाह को नियंत्रित और मॉनिटर करता है।
  3. पारदर्शिता को बढ़ावा: विदेशी फंड के लेखाजोखा और उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
  4. राजनीतिक हस्तक्षेप से रोकथाम: राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को विदेशी धन लेने से रोकता है।
  5. मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम: विदेशी चैनलों के माध्यम से अवैध गतिविधियों और वित्तीय अपराधों को रोकता है।

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