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नीति आयोग ने किया क्वांटम कंप्यूटिंग रणनीति का आह्वान

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संदर्भ:

क्वांटम कंप्यूटिंग: नीति आयोग ने नई दिल्ली में क्वांटम कंप्यूटिंग के तेज़ी से विकास और इसके राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव को लेकर एक रणनीतिक पेपर जारी किया है। इस पेपर में क्वांटम प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग, संभावित अवसरों और साइबर सुरक्षा, एन्क्रिप्शन और राष्ट्रीय रक्षा तंत्र पर इसके प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। भारत के तकनीकी परिदृश्य में यह पहल क्वांटम अनुसंधान और नवाचार को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

नीति आयोग की रिपोर्ट: क्वांटम कंप्यूटिंग के मुख्य बिंदु

  1. वैश्विक क्वांटम निवेश
    • 30+ सरकारों ने कुल 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया।
    • चीन (15 अरब डॉलर) सबसे आगे, इसके बाद अमेरिका और यूरोप।
  2. भारत में क्वांटम टेक्नोलॉजी का परिदृश्य
    • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) की शुरुआत।
    • ₹6,003 करोड़ का बजट स्वदेशी क्वांटम क्षमताओं के विकास के लिए।
    • भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाने का लक्ष्य।
  3. संभावित प्रभाव (Implications)
    • सैन्य और खुफिया क्षेत्र में उपयोग
      • एन्क्रिप्शन मजबूत करेगा और निगरानी प्रणाली  में सुधार करेगा।
      • अत्याधुनिक हथियार प्रणाली विकसित करने में मदद।
      • राष्ट्रीय सुरक्षा में तकनीकी बढ़त दिलाने में सहायक।
    • आर्थिक प्रभाव
      • नवाचार (Innovation) को बढ़ावा, हाई-टेक उद्योगों का विकास।
      • नए निवेश आकर्षित कर भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करेगा।

क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है?

  • क्वांटम कंप्यूटिंग क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) का उपयोग करती है, जो सुपरपोजिशन और एंटैंगलमेंट के कारण एक साथ कई अवस्थाओं में रह सकते हैं। जहां पारंपरिक कंप्यूटर बिट्स को 0 या 1 के रूप में प्रोसेस करते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर समानांतर गणनाएँ कर सकते हैं, जिससे उनकी प्रोसेसिंग शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

हालिया प्रगति और उपलब्धियाँ:

  • लंबी क्यूबिट स्थिरता: एटम कंप्यूटिंग और कोल्डक्वांटा ने क्यूबिट की स्थिरता को बढ़ाया, जिससे लंबी अवधि तक गणना संभव हुई।
  • उच्चशुद्धता क्यूबिट नियंत्रण: आईबीएम और क्वांटिनम क्यूबिट की सटीकता बढ़ाकर गणना त्रुटियों को कम कर रहे हैं
  • त्रुटि सुधार में प्रगति: गूगल के ‘विलो’ चिप ने आत्म-सुधार करने वाली क्वांटम प्रणाली विकसित की, जिससे त्रुटि-मुक्त क्वांटम कंप्यूटिंग संभव हुई।
  • टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स: माइक्रोसॉफ्ट के ‘मेजोराना-1’ ने स्थिरता बढ़ाई, जिससे जटिल त्रुटि सुधार की आवश्यकता घटी।
  • विविध क्यूबिट तकनीकें: सुपरकंडक्टिंग सर्किट, ट्रैप्ड आयन, फोटोनिक क्यूबिट और न्यूट्रल एटम्स जैसी कई विधियाँ विकसित हो रही हैं।

भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग का विकास:

  • शुरुआती विकास: भारत का क्वांटम भौतिकी में सैद्धांतिक योगदान मजबूत है, लेकिन व्यावसायिक अनुप्रयोगों में अभी पीछे है।
  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (2023): ₹6,003 करोड़ का बजट क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार, क्रिप्टोग्राफी और कार्यबल विकास के लिए निर्धारित।
  • क्वांटम स्टार्टअप्स: क्यूपीआईएआई, बोसॉनक्यू साई और टीसीएस क्वांटम कंप्यूटिंग लैब जैसी भारतीय कंपनियाँ नवाचार कर रही हैं।
  • सार्वजनिकनिजी भागीदारी: शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग से क्षमता बढ़ाने का प्रयास।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत अमेरिका, यूरोप और जापान के साथ क्वांटम अनुसंधान में साझेदारी कर रहा है।

रक्षा क्षेत्र में क्वांटम तकनीक की भूमिका:

  • रक्षा रसद अनुकूलन: क्वांटम एआई से युद्धक्षेत्र संसाधन आवंटन और रणनीतिक योजना में सुधार।
  • आर्थिक युद्ध सुरक्षा: वित्तीय बाजारों, महत्वपूर्ण अवसंरचना और सरकारी डेटा की सुरक्षा।
  • साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी: मौजूदा एन्क्रिप्शन तोड़ने की क्षमता, जिससे ‘पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी’ आवश्यक।
  • खुफिया और निगरानी: बड़ी मात्रा में डेटा को तुरंत प्रोसेस कर उन्नत सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) प्रदान करता है।
  • सैन्य हार्डवेयर: क्वांटम सामग्री स्टील्थ डिटेक्शन, स्वायत्त हथियार और सटीक नेविगेशन में सहायक।

क्वांटम कंप्यूटिंग की चुनौतियाँ:

  • साइबर सुरक्षा जोखिम: देशों को क्वांटम-प्रूफ एन्क्रिप्शन अपनाना होगा, ताकि क्वांटम डिक्रिप्शन क्षमताओं से बचा जा सके।
  • उच्च लागत और अवसंरचना की आवश्यकता: क्रायोजेनिक कूलिंग, उच्च सटीक नियंत्रण और भारी अनुसंधान निवेश आवश्यक।
  • उच्च त्रुटि दर: क्वांटम गणनाएँ शोर के प्रति संवेदनशील होती हैं, जिससे जटिल त्रुटि सुधार की आवश्यकता होती है।
  • हार्डवेयर विस्तार में कठिनाई: बड़े पैमाने पर दोषरहित क्यूबिट प्रणाली विकसित करना चुनौतीपूर्ण है।

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