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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लॉन्च की सौर ट्राइसाइकिल

Mains GS II – सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

GS III – ऊर्जा, प्रौद्योगिकी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आंध्र प्रदेश मेडटेक ज़ोन (AMTZ) में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्राइसाइकिलों (Solar Tricycle) का अनावरण किया। ये ट्राइसाइकिलें विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए बनाई गई हैं। नितिन गडकरी के नेतृत्व में, सरकार लगातार ऐसी योजनाओं को आगे बढ़ा रही है, जो सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण दोनों के लिए लाभकारी हैं। इस पहल का आयोजन आंध्र प्रदेश मेडटेक ज़ोन (AMTZ) और CRC के संयुक्त प्रयास से हुआ।

सौर संचालित ट्राइसाइकिल (Solar Tricycle) क्या है?

सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्राइसाइकिल एक विशेष प्रकार की तिपहिया साइकिल है जो सौर ऊर्जा के माध्यम से चलती है। ये वे वाहन होते हैं जो सीधे सूर्य की रोशनी से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करके चलते हैं। इन वाहनों में सौर पैनल लगे होते हैं जो सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करके विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं। इस विद्युत ऊर्जा का उपयोग फिर वाहन को चलाने के लिए किया जाता है।

AMTZ (आंध्र प्रदेश मेडटेक ज़ोन)

● AMTZ विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में स्थित एक विशेष क्षेत्र है जो चिकित्सा प्रौद्योगिकी (मेडटेक) के विकास और नवाचार के लिए समर्पित है।

● इसका उद्देश्य चिकित्सा उपकरणों और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अनुसंधान, विकास, और उत्पादन को बढ़ावा देना है।

● यह संगठन भारत में चिकित्सा प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने और समावेशी, लागत-कुशल समाधानों को प्रदान करने के लिए काम करता है।

CRC (कम्पोजिट रीजनल सेंटर)

● CRC (कम्पोजिट रीजनल सेंटर) विकलांग व्यक्तियों के लिए सहायक तकनीकों और उपकरणों को प्रदान करने वाले केंद्र हैं।

● ये केंद्र विकलांगता के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तकनीकी सहायता और उपकरण प्रदान करते हैं, ताकि विकलांग व्यक्तियों को उनकी दैनिक जीवन की गतिविधियों में अधिक स्वतंत्रता और सुविधा मिल सके।

● CRC का मुख्य उद्देश्य विकलांग लोगों को बेहतर जीवन गुणवत्ता और स्वायत्तता प्रदान करना है।

सौर ट्राइसाइकिल (Solar Tricycle) लॉन्च का उद्देश्य

  • सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्राइसाइकिल के लॉन्च का मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना और उन्हें अधिक स्वतंत्रता और गतिशीलता प्रदान करना है।
  • इस पहल के तहत, विकलांग व्यक्तियों को ऐसी ट्राइसाइकिलें प्रदान की जा रही हैं, जो न केवल उनकी यात्रा को आसान बनाती हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदार हैं।
  • यह पहल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देती है और यह सुनिश्चित करती है कि विकलांग व्यक्ति भी आधुनिक तकनीकों का लाभ उठा सकें।

सौर ट्राइसाइकिल (Solar Tricycle) की कार्यप्रणाली

सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्राइसाइकिल की कार्यप्रणाली बेहद सरल और पर्यावरण के अनुकूल है। इस ट्राइसाइकिल में सोलर पैनल्स लगे होते हैं, जो सूर्य की रोशनी से ऊर्जा को एकत्रित करते हैं। यह ऊर्जा बैटरी में संग्रहीत होती है, जिसे बाद में मोटर को चलाने के लिए उपयोग किया जाता है। ट्राइसाइकिल की मोटर इस संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग कर पहियों को घुमाती है, जिससे ट्राइसाइकिल चलती है। इसके अतिरिक्त, इसमें एक इलेक्ट्रिक ब्रेकिंग सिस्टम भी होता है जो सुरक्षा सुनिश्चित करता है। आवश्यकता पड़ने पर इस ट्राइसाइकिल को बिजली से भी चार्ज किया जा सकता है, जिससे यह किसी भी मौसम में और परिस्थिति में उपयोग के लिए उपयुक्त रहती है।

सौर ट्राइसाइकिल

सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्राइसाइकिल (Solar Tricycle) की विशेषताएँ

  • ट्राइसाइकिल को चलाने के लिए आवश्यक ऊर्जा बैटरी से मिलती है। एक बार चार्ज होने पर, यह ट्राइसाइकिल को 40 किलोमीटर तक की दूरी तय करने की क्षमता प्रदान करती है।
  • ट्राइसाइकिल की अधिकतम स्पीड 23 किमी प्रति घंटा है। सौर पैनल से पूरी तरह चार्ज होने में लगभग 5 घंटे लगते हैं।
  • इस ट्राइसाइकिल का डिज़ाइन मजबूत और कॉम्पैक्ट है, जो इसे स्थिर और दीर्घकालिक उपयोग के लिए उपयुक्त बनाता है।
  • इसमें एक इलेक्ट्रिक ब्रेक कंट्रोल सिस्टम भी शामिल है, जो सुरक्षा और नियंत्रण को बेहतर बनाता है।
  • इसमें समायोज्य हैंडल और बैटरी स्तर संकेतक जैसे अतिरिक्त फीचर्स भी शामिल हैं।

सौर संचालित ट्राइसाइकिल (वाहन) के लाभ

  • पर्यावरणीय लाभ: सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्राइसाइकिल का सबसे बड़ा पर्यावरणीय लाभ यह है कि यह शून्य उत्सर्जन वाहन है। क्योंकि यह सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करती है, इसके संचालन के दौरान किसी भी प्रकार का हानिकारक गैस या प्रदूषक तत्व उत्सर्जित नहीं होता है।
  • यह ट्राइसाइकिल ध्वनि प्रदूषण को भी कम करती है, क्योंकि यह बैटरी से संचालित होती है और चलने के दौरान बहुत कम आवाज उत्पन्न करती है।
  • आर्थिक लाभ: आर्थिक दृष्टिकोण से, सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्राइसाइकिलें उपयोगकर्ताओं के लिए दीर्घकालिक लाभ प्रदान करती हैं। एक बार चार्ज होने के बाद, यह अच्छी माइलेज देती है। इसके अलावा, इनका रखरखाव पारंपरिक वाहनों की तुलना में कम महंगा होता है, क्योंकि इनमें इंजन या अन्य जटिल यांत्रिक उपकरण नहीं होते।
  • सौर ऊर्जा का स्रोत निःशुल्क और अक्षय होने के कारण, यह उपयोगकर्ताओं को नियमित ईंधन खर्च से मुक्ति दिलाती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

सौर ऊर्जा क्या है?

सौर ऊर्जा सूर्य की किरणों से प्राप्त ऊर्जा है, जिसे विभिन्न तकनीकों द्वारा बिजली, गर्मी, या अन्य उपयोगी रूपों में परिवर्तित किया जा सकता है। सौर ऊर्जा अक्षय और प्रदूषण-रहित ऊर्जा स्रोत है, जो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ स्थायी ऊर्जा समाधान भी प्रदान करती है।

सौर ऊर्जा के उपयोग:

  • बिजली उत्पादन: सौर ऊर्जा का सबसे सामान्य उपयोग सोलर पैनलों द्वारा बिजली उत्पन्न करना है। इसे घरों, व्यवसायों, और उद्योगों में बिजली की आपूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है।
  • जल हीटिंग: सोलर वॉटर हीटर का उपयोग गर्म पानी प्रदान करने के लिए किया जाता है, जो घरेलू और औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में उपयोगी है।
  • सौर कुकिंग: सोलर कुकर का उपयोग खाना पकाने के लिए किया जाता है, जिससे खाना पकाने के लिए आवश्यक ऊर्जा की खपत में कमी आती है।
  • विद्युतीकरण: सौर ऊर्जा का उपयोग उन दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है जहां बिजली की पहुंच सीमित है, जिससे वहां रहने वाले लोगों को बिजली की सुविधा मिलती है।

भारत और दुनिया की पहली सौर ऊर्जा वाली गाड़ी

  • भारत में सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों का विकास तेजी से हो रहा है, जिसमें “Eva” (ईवा) को देश की पहली सोलर एनर्जी इलेक्ट्रिक कार के रूप में पेश किया गया है।
  • दुनिया में भी कई कंपनियाँ सौर ऊर्जा पर आधारित वाहनों के विकास में जुटी हैं, जिसमें दुनिया की पहली गाड़ी “लाइटईयर वन” एक प्रमुख उदाहरण है। इस प्रकार के वाहन सूर्य की रोशनी से संचालित होते हैं और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में उभर रहे हैं।

सौर संचालित वाहनों की चुनौतियाँ

  • ऊर्जा घनत्व और बैटरी स्टोरेज: सौर ऊर्जा का उत्पादन समय-समय पर बदलता रहता है, खासकर बादल वाले दिनों या रात में। इसलिए, पर्याप्त बैटरी स्टोरेज की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान बैटरी तकनीक में सीमित क्षमता होती है, जिससे लंबे समय तक ऊर्जा का संचयन कठिन हो जाता है।
  • प्रारंभिक लागत: सोलर पैनलों और बैटरी सिस्टम की लागत उच्च होती है, जिससे सौर संचालित वाहनों की प्रारंभिक खरीद महंगी हो जाती है।
  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: सौर संचालित वाहनों के लिए विशेष चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता होती है, जो अभी तक व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
  • वातावरणीय प्रभाव: सौर पैनल का प्रभावी प्रदर्शन सूर्य की किरणों पर निर्भर करता है, जो मौसम और भौगोलिक स्थिति के अनुसार बदलता है। धूल, गंदगी, और पत्तियों जैसी बाधाएं सोलर पैनलों की प्रभावशीलता को कम कर सकती हैं।

भारत सरकार के प्रयास

भारत सरकार ने सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। इनमें नए बिजली नियमों के तहत सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना को आसान और तेज़ बनाने के उद्देश्य से संशोधन किए गए हैं।

  • 10 किलोवाट तक की सौर प्रणालियों के लिए तकनीकी व्यवहार्यता अध्ययन से छूट दी गई है, जिससे स्थापना की प्रक्रिया सरल हो गई है। बड़े सोलर पैनलों के लिए अध्ययन की समयसीमा घटाकर 15 दिन कर दी गई है।
  • उपभोक्ता अब इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग से बिजली कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे चार्जिंग में सुविधा होगी और यह स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग कर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगा।

भारत की सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उपलब्धियां

  • साल 2023 में भारत ने सौर ऊर्जा उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ दिया और तीसरे सबसे बड़े सौर ऊर्जा उत्पादक देश के रूप में उभरा।
  • भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन में रूफ़टॉप सौर ऊर्जा और सोलर पार्क का योगदान सबसे ज़्यादा है।
  • भारत में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता में साल 2021 में 10 गीगावाट की वृद्धि हुई थी। यह 12 महीनों में हुई सबसे बड़ी वृद्धि थी।
  • भारत में सौर ऊर्जा की क्षमता में पिछले 9 सालों में 30 गुना की वृद्धि हुई है। जुलाई 2024 तक यह 87.2 गीगावाट हो गई है।
  • भारत में मार्च 2024 तक कुल स्थापित रूफ़टॉप सोलर (RTS) क्षमता 11.87 गीगावाट (GW) थी.

भारत की सौर नीतियां

  • राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission):
    • यह भारत सरकार की “नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय” के तहत एक प्रमुख पहल है।
    • इसका उद्देश्य 2030 तक 100 गीगावॉट (GW) सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है।
  • सोलर रूफटॉप पैनल योजना:
    • इस योजना के तहत, निवासियों और व्यवसायों को छत पर सौर पैनल लगाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है।
    • इसमें सब्सिडी और टैक्स छूट जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
  • सौर पार्क योजना (Solar Parks Scheme):
    • इस योजना के तहत, बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए विशेष पार्क स्थापित किए जाते हैं।
    • इन पार्कों में सौर पैनल लगाने के लिए भूमि, बुनियादी ढांचा, और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (NEMMP):
    • इस मिशन का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को बढ़ाना और सौर ऊर्जा से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँँ हैं। विस्तृत वर्णन कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020)

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