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भारतीय डॉक्टर की होगी यूनिक ID: NMC पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जरूरी

Mains GS II – सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप, स्वास्थय, सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर (NMR) पोर्टल का उद्घाटन किया गया था। यह पोर्टल भारत में चिकित्सा से जुड़ा एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इसके उद्घाटन के बाद अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने इस पोर्टल पर चिकित्सकों की पंजीकरण करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके तहत हर डॉक्टर को एक यूनिक आईडी प्राप्त होगी। यह कदम चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता और सुव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।

राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर (NMR) पोर्टल क्या है?

  • नेशनल मेडिकल रजिस्टर (एनएमआर) एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह भारत में सभी एमबीबीएस डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन के लिए अनिवार्य है।
  • एनएमआर का उद्देश्य देशभर के सभी एलोपैथिक डॉक्टरों का एक व्यापक और गतिशील डेटाबेस बनाना है, जिसमें डॉक्टरों के नाम और मान्यता प्राप्त योग्यताएँ शामिल होंगी।
  • यह पोर्टल एनएमसी अधिनियम, 2019 की धारा 31 के तहत स्थापित किया गया है, जो एक इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
  • एनएमआर पोर्टल डॉक्टरों की आधार आईडी से जुड़ा होता है, जो उनकी प्रामाणिकता सुनिश्चित करता है और पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
  • इस पोर्टल में पंजीकरण के लिए सभी एमबीबीएस डॉक्टरों को अनिवार्य रूप से शामिल होना होता है।
  • एनएमआर पोर्टल पर डॉक्टर अपनी अतिरिक्त योग्यताएँ जोड़ सकते हैं, आवेदनों को ट्रैक कर सकते हैं, और डिजिटल डॉक्टर प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।
  • इसमें कुछ डेटा आम जनता के लिए उपलब्ध होगा, जबकि अन्य संवेदनशील जानकारी केवल एनएमसी, राज्य चिकित्सा परिषद (एसएमसी), और संबंधित चिकित्सा संस्थानों के लिए उपलब्ध होगी।
  • इस पोर्टल में 13 लाख से अधिक डॉक्टरों का डेटा स्टोर किया जा सकता है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC):

●   राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) भारत का एक प्रमुख वैधानिक निकाय है जिसे 25 सितंबर 2020 को स्थापित किया गया था।

●   इसका उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा पेशेवरों, संस्थानों और अनुसंधान को नियंत्रित करना और मानक स्थापित करना है।

●   एनएमसी ने भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की जगह ली है और इसकी जिम्मेदारी में चिकित्सा योग्यता को मान्यता देना, मेडिकल स्कूलों को मान्यता प्रदान करना, चिकित्सकों का पंजीकरण करना, और चिकित्सा पद्धतियों की निगरानी करना शामिल है।

●   यह आयोग एनएमसी अधिनियम, 2019 के तहत कार्य करता है, जो चिकित्सा शिक्षा और पेशेवर मानकों को सुधारने के लिए एक आधुनिक और कुशल प्रणाली स्थापित करता है। 

●   एनएमसी मेडिकल सलाहकार परिषद और विभिन्न स्वायत्त बोर्डों का गठन करता है जो चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण के मानकों को बनाए रखने और सुधारने के लिए काम करते हैं।

●   राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में कुल 33 सदस्य होते हैं, जिनमें एक अध्यक्ष और 32 अन्य सदस्य शामिल होते हैं।

●   अध्यक्ष केवल चिकित्सा पेशेवर होते हैं और अन्य सदस्य में शामिल हैं: स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा बोर्डों के अध्यक्ष, चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड के अध्यक्ष, आदि।

●   इसमें 22 अंशकालक सदस्य होते हैं जो विभिन्न क्षेत्रों जैसे प्रबंधन, कानून, चिकित्सा नैतिकता, और स्वास्थ्य अनुसंधान में विशेषज्ञता रखते हैं।

NMR की आवश्यकता क्यों हुई?

  • नेशनल मेडिकल रजिस्टर (NMR) की आवश्यकता इसलिए हुई क्योंकि देश में अब तक डॉक्टरों की सटीक संख्या, उनकी योग्यताएं, और उनकी वर्तमान स्थिति का कोई केंद्रीकृत और विश्वसनीय डेटा नहीं था।
  • एक अनुमानित संख्या होने के बावजूद, यह स्पष्ट नहीं था कि कुल कितने डॉक्टर सक्रिय रूप से सेवाएं दे रहे हैं, कितने डॉक्टर देश छोड़ चुके हैं, या किन डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द किया गया है।
  • इसके साथ ही, जिन डॉक्टरों की मृत्यु हो चुकी है, उनकी जानकारी भी अब तक व्यवस्थित रूप से उपलब्ध नहीं थी।
  • इस कारण से, NMR का निर्माण किया गया ताकि एक केंद्रीकृत पोर्टल पर सभी डॉक्टरों का विस्तृत और अद्यतित डेटा उपलब्ध हो सके।

नेशनल मेडिकल रजिस्टर (NMR) पोर्टल कार्यप्रणाली

  • सबसे पहले इस पोर्टल पर डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया होती है। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए डॉक्टरों को तीन मुख्य दस्तावेजों की आवश्यकता होती है: आधार आईडी, MBBS डिग्री सर्टिफिकेट, और प्रैक्टिस सर्टिफिकेट जो उन्हें राज्य चिकित्सा परिषद (State Medical Council) या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) से प्राप्त होता है।
  • इन दस्तावेजों को डिजिटल रूप में पोर्टल पर अपलोड करना आवश्यक होता है, साथ ही बाकी व्यक्तिगत और पेशेवर जानकारी डॉक्टरों को स्वयं दर्ज करनी होती है।
  • फॉर्म सबमिट करने के बाद यह आवेदन वैरिफिकेशन के लिए संबंधित राज्य चिकित्सा परिषद (State Medical Council) को भेजा जाता है। राज्य चिकित्सा परिषद आवेदन की समीक्षा करने के लिए इसे संबंधित मेडिकल कॉलेज या संस्थान को भेजती है, जहां से डॉक्टर ने अपनी मेडिकल शिक्षा प्राप्त की होती है।
  • जब कॉलेज या संस्थान आवेदन की पुष्टि कर देता है, तो इसे अंतिम चरण में नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) को भेजा जाता है। NMC द्वारा आवेदन की पुनः वैरिफिकेशन की जाती है, और सभी विवरण सत्यापित हो जाने पर डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर लाइव कर दिया जाता है।
  • इस प्रक्रिया के माध्यम से डॉक्टर का पूरा प्रोफाइल राष्ट्रीय स्तर पर मान्य और सुरक्षित होता है।

राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर (NMR) पोर्टल के लाभ:

  • भारत में डॉक्टरों की सही संख्या, उनकी योग्यता, और उनके पंजीकरण की स्थिति की जानकारी का कोई केंद्रीय डेटाबेस नहीं था। NMR के माध्यम से देशभर के डॉक्टरों का एक अद्यतन और सटीक डेटा प्राप्त किया जा सकेगा, जिससे चिकित्सा पेशेवरों की संख्या और उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखना आसान होगा।
  • NMR के जरिए चिकित्सा पेशेवरों के मानक और मान्यता की निगरानी की जा सकेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी डॉक्टरों के पास मान्य और अद्यतित योग्यताएं हैं और उनके लाइसेंस और प्रमाणपत्र वैध हैं।
  • NMR द्वारा डॉक्टरों की आधार आईडी से जुड़े डेटा की प्रामाणिकता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे धोखाधड़ी और फर्जी प्रमाणपत्र की संभावनाओं को कम किया जा सकेगा। यह चिकित्सीय सेवाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ावा देगा।
  • NMR सभी चिकित्सा संस्थानों, राज्य चिकित्सा परिषदों और अन्य संबंधित संगठनों के साथ एकीकृत प्लेटफॉर्म पर काम करेगा, जिससे डेटा साझा करना और सहयोग करना आसान होगा। इससे चिकित्सा पेशेवरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा।

भारत सरकार की डिजिटल हेल्थकेयर और डॉक्टर से संबंधित योजनाएं

  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM): इस मिशन का उद्देश्य देश में एकीकृत डिजिटल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है। इसमें हर नागरिक को एक स्वास्थ्य आईडी प्रदान की जाती है, जिसके माध्यम से मरीज की स्वास्थ्य जानकारी डिजिटल रूप से सेव की जा सकती है। डॉक्टर भी इस पोर्टल के जरिए मरीज की पूरी मेडिकल हिस्ट्री देख सकते हैं और सही उपचार कर सकते हैं।
  • ई-संजीवनी (eSanjeevani) टेलीमेडिसिन सेवा: यह भारत सरकार की टेलीमेडिसिन सेवा है, जिसके तहत मरीज घर बैठे डॉक्टरों से ऑनलाइन परामर्श ले सकते हैं। डॉक्टर भी मरीजों की रिपोर्ट्स और जानकारी ऑनलाइन देख सकते हैं और उपचार की सलाह दे सकते हैं।
  • ई-हॉस्पिटल: यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसके तहत सरकारी अस्पतालों को एकीकृत किया गया है। इस प्रणाली के माध्यम से मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड्स, डॉक्टर अपॉइंटमेंट्स, और उपचार की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होती है।
  • नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM): इस मिशन के तहत देश में एक डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिसमें डॉक्टरों और अस्पतालों के लिए एक साझा डेटा नेटवर्क होगा। इससे मरीजों की हेल्थ हिस्ट्री और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी डिजिटल रूप से सुरक्षित और उपलब्ध रहेगी।

नेशनल मेडिकल रजिस्टर (NMR) से संबंधित चुनौतियाँ

  • एनएमआर की सफलता के लिए आवश्यक है कि सभी डॉक्टर अपनी जानकारी को सही समय पर अपडेट करें। हालाँकि, डॉक्टरों के पास पहले से कई जिम्मेदारियाँ होती हैं, और तकनीकी जानकारी की कमी के कारण सभी डॉक्टर रजिस्टर में अपनी जानकारी सही और समय पर अपलोड नहीं कर पाते। दूरदराज के क्षेत्रों के डॉक्टरों को इस प्रणाली में जोड़ना भी एक चुनौती है, क्योंकि वहाँ डिजिटल पहुँच सीमित होती है।
  • एनएमआर में बड़ी संख्या में डॉक्टरों की संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी होती है, जैसे आधार आईडी, मेडिकल सर्टिफिकेट्स और अन्य दस्तावेज। यह डेटा साइबर अटैक का निशाना बन सकता है। इसलिए, पोर्टल की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
  • अगर किसी भी कारण से एनएमआर पोर्टल में डेटा ब्रिज होता है, तो यह डॉक्टरों के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है। डेटा उल्लंघन से जुड़ी कानूनी और नैतिक समस्याएँ भी उभर सकती हैं।

UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र कई समस्याओं का सामना कर रहा है। इस कथन के प्रकाश में भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

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