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केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों में कक्षा 5 और 8 के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy)’ समाप्त करने का निर्णय लिया है। 2019 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) में संशोधन के बाद, अब तक 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस नीति को समाप्त कर दिया है।
कक्षा 5 और 8 में ‘नो–डिटेंशन पॉलिसी‘ समाप्त:
प्रभावित विद्यालय: यह निर्णय लगभग 3,000 केंद्रीय विद्यालयों पर लागू होगा, जिनमें सैनिक स्कूल (रक्षा मंत्रालय के अधीन) और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अधीन) शामिल हैं।
नो डिटेंशन पॉलिसी का उद्देश्य:
- अधिनियम: शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 16 के तहत कक्षा 8 तक छात्रों को फेल करना प्रतिबंधित था।
- कारण: बच्चों को पढ़ाई छोड़ने से रोकने और कम से कम एक न्यूनतम शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह नीति लागू की गई थी।
नई नीति के अंतर्गत प्रावधान:
- फेल होने पर दोबारा मौका: जो छात्र वार्षिक परीक्षा में फेल होंगे, उन्हें दो महीने के भीतर पुन: परीक्षा का अवसर मिलेगा।
- रिकॉर्ड रखना अनिवार्य: स्कूल प्रमुख को कमजोर छात्रों का रिकॉर्ड बनाए रखना होगा।
- माता–पिता और छात्रों का मार्गदर्शन: कक्षा शिक्षक को छात्रों और उनके माता-पिता दोनों का मार्गदर्शन करना अनिवार्य होगा।
- रीमेडियल शिक्षण: फेल छात्रों के लिए अनिवार्य रीमेडियल शिक्षण की व्यवस्था।
- सीखने की कमी पर ध्यान: छात्रों की सीखने की कमियों को पहचानने और उन्हें दूर करने पर फोकस।
नो–डिटेंशन पॉलिसी समाप्त करने के कारण:
शैक्षणिक गिरावट की आलोचना:
- विशेषज्ञों का मानना था कि यह नीति शैक्षणिक मानकों और छात्रों की जवाबदेही में कमी का कारण बनी।
- स्कूलों को शिक्षण केंद्रों की बजाय मध्याह्न भोजन योजना केंद्रों के रूप में देखा जाने लगा।
राज्यों और विशेषज्ञों का समर्थन:
- 2016 तक, अधिकांश राज्यों ने केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड (CABE) की बैठक में इस नीति को समाप्त करने का समर्थन किया।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने शिक्षा की पहुंच बनाए रखते हुए सीखने के परिणाम सुधारने पर जोर दिया।
जवाबदेही और समानता का संतुलन: इस बदलाव का उद्देश्य पढ़ाई में गंभीरता लाना है, साथ ही कमजोर छात्रों के लिए सुधारात्मक उपाय प्रदान करना।
नो डिटेंशन पॉलिसी क्या है?
- नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत, किसी भी बच्चे को स्कूल में प्रवेश करने के बाद तब तक किसी भी कक्षा में फेल नहीं किया जाएगा या निष्कासित नहीं किया जाएगा, जब तक वह अपनी प्राथमिक शिक्षा (कक्षा VIII तक) पूरी नहीं कर लेता।
- यह नीति 2009 के “राइट टू एजुकेशन एक्ट” (RTE) के तहत धारा 16 में प्रदान की गई है।
आलोचना और संशोधन:
- आलोचना: छात्रों की पढ़ाई के प्रति गंभीरता कम होने के कारण राज्यों ने इसे समाप्त करने की मांग की।
- 2019 संशोधन: इस अधिनियम में संशोधन के बाद राज्यों को कक्षा 5 और 8 में छात्रों को फेल करने का अधिकार दिया गया।
- स्थिति: अब तक 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया है।
निष्कर्ष:
- शैक्षणिक मानकों में सुधार: ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म होने के बाद, फेल होने का डर बच्चों को बुनियादी अवधारणाओं को सीखने के लिए प्रेरित करेगा।
- दीर्घकालिक लाभ: यह नीति बच्चों को लाभान्वित करेगी और भारत में शैक्षणिक और शैक्षिक मानकों को बढ़ावा देगी।