Northeast India and Myanmar
संदर्भ:
हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने शिलॉन्ग से सिलचर तक 166.8 किमी लंबे फोर-लेन हाईवे को मंज़ूरी दी है।
- यह हाईवे आगे मिज़ोरम के ज़ोरिनपुई तक बढ़ाया जाएगा और पूर्वोत्तर भारत के मध्य से होकर तेज़ सड़क नेटवर्क के ज़रिए कलादन मल्टी–मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMMTTP) से जोड़ा जाएगा।
(Northeast India and Myanmar) भारत का पूर्वोत्तर और म्यांमार
सीमा और कनेक्टिविटी:
- सीमा लंबाई: भारत-म्यांमार सीमा 1,643 किमी।
- सीमावर्ती राज्य: अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम।
- महत्व: म्यांमार भारत का दक्षिण–पूर्व एशिया से संपर्क द्वार है।
कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP):
उद्देश्य:
- कोलकाता से मिजोरम को सिटवे पोर्ट (म्यांमार) और पलटवा अंतर्देशीय जलमार्ग के माध्यम से जोड़ना।
- मल्टीमॉडल कार्गो प्रवाह: समुद्र, नदी और सड़क के माध्यम से।
- समय और दूरी में कमी:
- ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर (सिलीगुड़ी) के मुकाबले कम।
- भारत के ईस्ट–वेस्ट औद्योगिक कॉरिडोर से जुड़ाव।
प्रमुख चरण:
- कोलकाता से सिटवे (समुद्र): 539 किमी (पूर्ण)
- सिटवे से पलटवा (नदी): 158 किमी (पूर्ण)
- पलटवा से ज़ोरिनपुई (सड़क): 108 किमी (आंशिक रूप से पूर्ण, रखाइन राज्य में सशस्त्र संघर्ष के कारण विलंब)
- ज़ोरिनपुई से आइजोल और शिलांग (सड़क विस्तार):
- शिलांग-सिलचर-ज़ोरिनपुई कॉरिडोर, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा स्वीकृत।
पूर्वोत्तर–कोलकाता लिंक का महत्व:
कनेक्टिविटी रणनीति में बदलाव:
- पारंपरिक निर्भरता: पूर्वोत्तर भारत का परिवहन बांग्लादेश पर आधारित था।
- नया मार्ग:
- भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट।
- लक्ष्य: 2030 तक परियोजना पूर्ण।
- लाभ: व्यापार, पर्यटन और क्षेत्रीय एकीकरण में वृद्धि।
भू–राजनीतिक विचार:
- बांग्लादेश पर निर्भरता में कमी: बांग्लादेश के अस्थायी सरकार के पूर्वोत्तर को ‘लैंडलॉक्ड’ कहने के बाद वैकल्पिक मार्ग पर बल।
- अर्थव्यवस्था और रणनीतिक लाभ:
- व्यापार स्वतंत्रता: बांग्लादेश से पारगमन शुल्क और प्रक्रियात्मक बाधाओं में कमी।
- पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास में सुधार।
- एक्ट ईस्ट नीति को मजबूती: दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संबंधों को गहरा बनाने का प्रयास।
आगे का रास्ता
- सुरक्षा और समन्वय को मजबूत करना: कलादान परियोजना के शेष हिस्सों को सुरक्षित और समय पर पूरा करने के लिए म्यांमार और स्थानीय भागीदारों के साथ सहयोग।
बुनियादी ढांचे का विस्तार: पूर्वोत्तर भारत में संपर्क मार्गों और परिवहन नेटवर्क का तेजी से विकास।