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भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद (BRIC) ने “वन डे वन जीनोम” पहल की शुरुआत की है।
- इस परियोजना का उद्देश्य भारत की सूक्ष्मजीव संपदा को मानचित्रित करना और कृषि, पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य में सूक्ष्मजीवों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है।
- यह पहल 9 नवम्बर 2024 को नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (NII) में BRIC के पहले स्थापना दिवस पर अमिताभ कांत द्वारा लॉन्च की गई।
- इसके तहत जीनोम अनुक्रमण का उपयोग करके सूक्ष्मजीवों की अद्वितीय प्रजातियों के महत्व और उनके संभावित लाभों को सामने लाया जाएगा।
वन डे वन जीनोम” पहल:
“वन डे वन जीनोम” पहल के तहत जीनोम अनुक्रमण और शोध की संभावनाएं अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इस पहल से सूक्ष्मजीवों की कार्यक्षमताओं का गहन अध्ययन संभव होगा, जिससे कई क्षेत्रों में नए दृष्टिकोण प्राप्त होंगे।
- जीन संबंधी जानकारी: शोधकर्ताओं के लिए यह पहल महत्वपूर्ण एंजाइम, जैव सक्रिय यौगिक, और रोगाणुरोधी प्रतिरोध से संबंधित जानकारी का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेगी।
- पर्यावरण प्रबंधन: सूक्ष्मजीवों के जीनोम पर आधारित शोध पर्यावरणीय प्रबंधन, उन्नत कृषि प्रथाओं, और स्वास्थ्य देखभाल समाधानों में क्रांति ला सकता है।
- नवाचार का आधार: यह पहल नई खोजों और स्थायी समाधानों को प्रेरित करेगी, जो समाज के लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं।
सूक्ष्मजीवों का महत्व
- सूक्ष्मजीव जैव रासायनिक चक्रों, मृदा उर्वरता, अपशिष्ट विघटन और मीथेन उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- कृषि में, ये पोषक तत्वों का परिसंचरण, नाइट्रोजन स्थिरीकरण, कीट नियंत्रण और पौधों के तनाव प्रतिक्रियाओं में सहायता करते हैं।
- मनुष्यों में, सूक्ष्मजीव पाचन, प्रतिरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं।
जीनोम (Genome): किसी भी जीव के डीएनए (या कुछ वायरस के मामले में आरएनए) में मौजूद संपूर्ण आनुवंशिक सामग्री का संग्रह है। यह वह निर्देश सेट है जो किसी जीव के विकास, कार्य, प्रजनन और जीवन चक्र को नियंत्रित करता है। जीनोम में जीन और गैर-कोडिंग डीएनए दोनों शामिल होते हैं।
जीनोम के प्रमुख तत्व
- गुणसूत्र (Chromosomes):
- जीनोम को कई खंडों में व्यवस्थित किया जाता है, जिन्हें गुणसूत्र कहा जाता है।
- मनुष्यों में, प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं (कुल 46), जिनमें से एक सेट माता और दूसरा पिता से प्राप्त होता है।
- माइटोकॉन्ड्रिया (कोशिका की ऊर्जा उत्पादन इकाई) में भी एक छोटा गोलाकार डीएनए अणु होता है, जिसे माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम कहा जाता है।
- जीन (Genes):
- जीनोम में मौजूद सक्रिय खंड जिन्हें जीन कहा जाता है, प्रोटीन और आरएनए का उत्पादन करने के लिए आवश्यक निर्देश प्रदान करते हैं।
- मनुष्यों में अनुमानतः 20,000-25,000 जीन होते हैं।
- गैर–कोडिंग डीएनए (Non-coding DNA):
- जीनोम का बड़ा हिस्सा कोडिंग नहीं होता, यानी यह प्रोटीन का निर्माण नहीं करता।
जीनोम का महत्व
- आनुवंशिक विविधता:
- जीनोम अध्ययन से जीवों की आनुवंशिक विविधता को समझने में मदद मिलती है।
- यह विभिन्न प्रजातियों के बीच और एक ही प्रजाति के सदस्यों के बीच भिन्नताओं का कारण बताता है।
- रोगों की समझ:
- जीनोम विश्लेषण से यह समझने में मदद मिलती है कि आनुवंशिक परिवर्तन (mutations) बीमारियों का कारण कैसे बनते हैं।
- उदाहरण: कैंसर, डायबिटीज और आनुवंशिक विकारों का अध्ययन।
- जीनोम अनुक्रमण:
- इसमें जीनोम में मौजूद प्रत्येक आधार (एडेनिन, थाइमिन, गुआनिन, साइटोसिन) की सटीक व्यवस्था का निर्धारण किया जाता है।
- पहला मानव जीनोम परियोजना (Human Genome Project) 2003 में पूरा हुआ, जिसने मानव जीनोम की पूरी संरचना को उजागर किया।
- अनुप्रयोग:
- औषधि विकास: व्यक्तिगत जीनोम डेटा के आधार पर अनुकूलित चिकित्सा।
- कृषि: अधिक उपज देने वाली, रोग-प्रतिरोधी फसलें।
पर्यावरण: सूक्ष्मजीवों के जीनोम का उपयोग प्रदूषण नियंत्रण में।
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