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Operation Polo: हैदराबाद का भारत में विलय

ऑपरेशन पोलो (Operation Polo) भारतीय सेना द्वारा 1948 में चलाया गया एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य हैदराबाद रियासत को भारतीय संघ में शामिल करना था। यह अभियान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक था, जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे के बाद कई रियासतें भारतीय संघ में शामिल होने की प्रक्रिया में थीं।

पृष्ठभूमि:

  • 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप का विभाजन हुआ, जिसके तहत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के फलस्वरूप भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ।
  • विभाजन के समय भारतीय संघ में 562 रियासतें थीं, जो स्वतंत्र रूप से भारत के साथ या पाकिस्तान के साथ जुड़ने की स्थिति में थीं।
  • हैदराबाद, जो कि एक बड़ा और महत्वपूर्ण रियासत था, भारतीय संघ में शामिल नहीं हुआ और स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया।

हैदराबाद की स्थिति:

  • हैदराबाद रियासत, जो कि भारत के दक्षिणी भाग में स्थित था, उस समय नवाब मीर उस्मान अली के शासन में था।
  • नवाब मीर उस्मान अली ने भारतीय संघ में शामिल होने की बजाए एक स्वतंत्र रियासत के रूप में बने रहने का निर्णय लिया।
  • इसके अलावा, हैदराबाद की स्थिति में सुलह की कोशिशें असफल रहीं, और रियासत में अराजकता और सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया।

रज़ाकारों की भूमिका:

  • हैदराबाद की स्थिति रज़ाकारों की उपस्थिति से और भी जटिल हो गई थी।
  • रज़ाकार एक अर्धसैनिक बल था, जिसका नेतृत्व कासिम रिज़वी ने किया था, जो कट्टरपंथी मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) पार्टी का नेता था।
  • रज़ाकार हैदराबाद में मुस्लिम शासन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध थे और भारतीय संघ में शामिल होने के विचार का विरोध करते थे।
  • उन्होंने हिंदू बहुसंख्यकों पर आतंक का शासन चलाया, जिससे व्यापक हिंसा, अत्याचार और विस्थापन हुआ।

Operation Polo का उद्देश्य:

  • भारतीय सरकार ने हैदराबाद को भारतीय संघ में शामिल करने के लिए सैन्य कार्रवाई की योजना बनाई।
  • Operation Polo का मुख्य उद्देश्य हैदराबाद में शांति और कानून व्यवस्था स्थापित करना और रियासत को
  • भारतीय संघ में सम्मिलित करना था।
  • यह सैन्य अभियान 13 सितंबर 1948 को शुरू हुआ और 18 सितंबर 1948 को समाप्त हुआ।

Operation Polo का क्रियान्वयन: Operation Polo के लिए भारतीय सेना ने एक पूर्ण सैन्य अभियान की योजना बनाई। भारतीय सेना ने हैदराबाद पर हमले की तैयारी के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों को ध्यान में रखा:

  1. सैन्य तैयारी: भारतीय सेना ने हैदराबाद की सीमा के पास सैन्य बलों को तैनात किया। इसमें आर्टिलरी, इन्फैंट्री और टैंक शामिल थे। सैन्य शक्ति की दृष्टि से निज़ाम की सेना की संख्या 25,000 से भी कम थी और उनमें से केवल एक अंश ही अच्छी तरह प्रशिक्षित था
  2. आत्म-रक्षा: भारतीय सेना ने हैदराबाद की सीमा को कवर करने के लिए अलग-अलग दिशा में सैन्य कार्रवाई की।
  3. ताकतवर दबाव: भारतीय सेना ने हैदराबाद में स्वतंत्रता समर्थकों और विरोधियों के खिलाफ बल का इस्तेमाल किया और प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित किया।

Operation Polo का परिणाम:

  • Operation Polo के सफल क्रियान्वयन के बाद, भारतीय सेना ने हैदराबाद की स्थिति को नियंत्रित किया और रियासत को भारतीय संघ में शामिल कर लिया।
  • नवाब मीर उस्मान अली को औपचारिक रूप से भारतीय संघ के तहत एक उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया।
  • इससे भारतीय संघ की एकता और अखंडता को मजबूत किया गया।

विवाद और आलोचना:

  • Operation Polo के दौरान कुछ आलोचनाएँ भी सामने आईं।
  • आलोचकों का तर्क है कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो के दौरान अत्यधिक बल का प्रयोग किया।
  • इस अभियान में नागरिक क्षेत्रों में भी सैन्य कार्रवाई की गई, जिससे कई निर्दोष लोग प्रभावित हुए।
  • सैन्य बल के इस्तेमाल को अनिवार्य और संतुलित नहीं मानते हुए, कुछ लोगों ने इसे अत्यधिक और असंगत बताया।

नेहरू-पटेल के मतभेद:

  • भारतीय नेताओं के बीच हैदराबाद के मुद्दे को सुलझाने के तरीके पर मतभेद थे।
  • प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू राजनयिक समाधान की ओर झुके हुए थे और बातचीत के जरिए समस्या सुलझाना चाहते थे।
  • इसके विपरीत, उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल, जो गृह मंत्री भी थे, का मानना था कि हैदराबाद को भारतीय संघ में शामिल करने के लिए बल प्रयोग की आवश्यकता है।

भारत का राजनीतिक एकीकरण

भारत की स्वतंत्रता के बाद 15 अगस्त 1947 को, उपमहाद्वीप दो स्वतंत्र राष्ट्रों, भारत और पाकिस्तान में विभाजित हो गया था। इस विभाजन के साथ, भारत के पास लगभग 562 स्वायत्त रियासतें थीं, जो स्वतंत्रता के बाद भारत के संघ में विलय के लिए विचाराधीन थीं। इन रियासतों का राजनीतिक एकीकरण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती थी, जिसे एक सशक्त और एकीकृत राष्ट्र बनाने के लिए पूरा करना आवश्यक था।

मुख्य खिलाड़ी:

1.      सरदार वल्लभभाई पटेल: भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री, सरदार पटेल ने रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी दृढ़ता और राजनैतिक कौशल के साथ, रियासतों के राजाओं को भारतीय संघ में शामिल होने के लिए मनाया।

2.      वी.पी. मेनन: वी.पी. मेनन, जो कि स्वतंत्रता के समय भारत सरकार के प्रमुख सचिव थे, ने पटेल के साथ मिलकर रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया का कुशल प्रबंधन किया। उन्होंने विभिन्न रियासतों के शासकों और प्रतिनिधियों के साथ समझौते और वार्ताएँ कीं।

रियासतों का एकीकरण:

1.      सहमति और समझौते: रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया में प्रमुख समझौते और सहमतियाँ शामिल थीं। अधिकांश रियासतों ने भारतीय संघ में शामिल होने के लिए औपचारिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें आंतरिक स्वायत्तता, धार्मिक स्वतंत्रता, और विशेष प्रावधानों की गारंटी शामिल थी।

2.      सैन्य हस्तक्षेप: कुछ रियासतों में विलय के लिए सैन्य हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी। प्रमुख उदाहरण हैं:

o   जूनागढ़: जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा की, लेकिन भारतीय सरकार ने इस फैसले को मान्यता नहीं दी। भारतीय सेना ने 1948 में Operation Polo के तहत जूनागढ़ में सैन्य कार्रवाई की, जिससे यह भारतीय संघ में शामिल हो गया।

o   हैदराबाद: हैदराबाद के निज़ाम ने भी स्वतंत्रता की घोषणा की। भारतीय सेना ने सितंबर 1948 में Operation Polo के तहत हैदराबाद में सैन्य कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप यह भारतीय संघ में शामिल हो गया।

3.      सामान्य विलय: अधिकांश रियासतों ने भारतीय संघ में स्वेच्छा से विलय किया। इनमें से कई रियासतों ने भारतीय संविधान के तहत स्वायत्तता प्राप्त की और उनके शासकों को सम्मानित किया गया। उदाहरण के लिए, मेवाड़, मध्यप्रदेश, और कश्मीर जैसे क्षेत्रों ने भारतीय संघ के साथ विलय किया।

4.      संविधान और कानूनी प्रक्रिया: 1950 में भारतीय संविधान लागू होने के साथ, रियासतों के विलय की कानूनी मान्यता प्राप्त हुई। संविधान ने भारतीय संघ की संरचना को आधिकारिक रूप से स्थापित किया और सभी क्षेत्रों को एक एकीकृत भारतीय संघ का हिस्सा बना दिया।

महत्व:

●       भौगोलिक एकता: रियासतों का एकीकरण भारत की भौगोलिक एकता को मजबूत करने में सहायक था। इसने एक एकीकृत राष्ट्र के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।

●       राजनीतिक स्थिरता: यह प्रक्रिया भारत की राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित करने में सहायक रही, जिससे देश को एक मजबूत और केंद्रीय सरकार के तहत एक एकीकृत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया जा सका।

●       राष्ट्रीय एकता: रियासतों का एकीकरण भारत के विभिन्न हिस्सों और सांस्कृतिक समूहों को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट करने में मददगार साबित हुआ।

निष्कर्ष

Operation Polo भारतीय सेना की एक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य भारतीय संघ में हैदराबाद रियासत को शामिल करना था। इस सैन्य अभियान ने भारतीय संघ की एकता को मजबूत किया और भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। हालांकि इस अभियान की कार्यवाही पर कुछ विवाद भी रहे, लेकिन इसके परिणामस्वरूप भारतीय संघ की अखंडता को बनाए रखा गया और राष्ट्रीय एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।

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