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केंद्रीय सहकारिता मंत्री द्वारा सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने की पहल

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20 सितंबर 2024 को केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने 2 लाख नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के लिए एक कार्य योजना की शुरुआत की। यह पहल सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने और देशभर में सहकारिता के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है।

PACS की महत्वपूर्ण पहल और योजनाएं:

  1. PACS: ये समितियाँ अल्पकालिक सहकारी ऋण संरचना की जमीनी स्तर की शाखाएँ हैं और किसानों को ऋण, कृषि उत्पादों की खरीद और भंडारण जैसी सुविधाएं प्रदान करती हैं।
  2. श्वेत क्रांति 2.0′ के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP): यह पहल मुख्य रूप से डेयरी क्षेत्र के विकास के माध्यम से महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित है। इसके तहत 2029 तक दूध की खरीद बढ़ाकर 1,000 लाख किलोग्राम प्रतिदिन करने का लक्ष्य रखा गया है।
  3. सहकारी समितियों के बीच सहयोगके लिए SOP: इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है। इस पहल के तहत सहकारी समितियों के सदस्यों के लिए सहकारी बैंक खाते खोले गए हैं, जिससे उन्हें वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो सके।

सहकारी क्षेत्र का महत्व:

  1. असमानता को दूर करना: सहकारी समितियाँ पूंजी-केंद्रित न होकर व्यक्ति-केंद्रित होती हैं, जिससे वे धन का वितरण अधिक निष्पक्ष तरीके से करती हैं और असमानता को कम करती हैं।
  2. किसानों का सशक्तिकरण: नेफेड, इफको और अमूल जैसी सहकारी समितियों ने किसानों के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  3. वित्तीय समावेशन: सहकारी बैंक अपने सदस्यों को कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं, जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं।
  4. महिला सशक्तिकरण: सहकारी समितियाँ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती हैं, जिससे उनके प्रतिनिधित्व और आय में वृद्धि होती है।

श्वेत क्रांति (दुग्ध क्रांति) के बारे में:

  • श्वेत क्रांति भारत में 1970 में ऑपरेशन फ्लड के तहत शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना और इसे सहकारी प्रणाली के माध्यम से संगठित करना था।
  • ऑपरेशन फ्लड तीन चरणों में क्रियान्वित हुआ:
    1. पहला चरण (1970-80): दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, और चेन्नई से 18 प्रमुख दूध शेडों को जोड़ा गया।
    2. दूसरा चरण (1981-85): 43,000 ग्राम सहकारी समितियों की स्थापना की गई और दूध पाउडर का उत्पादन 22,000 टन से बढ़कर 140,000 टन हुआ।
    3. तीसरा चरण (1985-96): 30,000 नई सहकारी समितियाँ जोड़ी गईं, और पशु स्वास्थ्य व अनुसंधान पर जोर दिया गया।

वर्तमान स्थिति:

भारत 2022-23 में 230.58 मिलियन टन दूध का उत्पादन करके दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन चुका है, और इस पहल से उत्पादन में और वृद्धि की उम्मीद है।

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