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खाद्य बनाम कार: फॉस्फोरिक एसिड की दुविधा

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“खाद्य बनाम ईंधन” के बाद, अब “खाद्य बनाम कार” की समस्या सामने आ रही है, जो मुख्य रूप से फॉस्फोरिक एसिड के उपयोग को लेकर है। फॉस्फोरिक एसिड डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का प्रमुख घटक है, जो भारत में दूसरा सबसे अधिक खपत वाला उर्वरक है और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरियों में भी प्रयोग होता है।

फॉस्फोरिक एसिड: कृषि और इलेक्ट्रिक वाहनों का साझा संसाधन

  • DAP में 46% फॉस्फोरस (पी) होता है, जो फसलों के जड़ों और टहनियों के विकास के लिए आवश्यक है। यह फॉस्फोरिक एसिड से आता है, जिसे रॉक फॉस्फेट अयस्क से पीसकर और सल्फ्यूरिक एसिड के साथ प्रतिक्रिया करके बनाया जाता है।
  • फॉस्फोरिक एसिड का उपयोग लिथियम-आयरन-फॉस्फेट (LFP) बैटरियों में भी किया जाता है।
  • 2023 में वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षमता की मांग का 40% से अधिक हिस्सा LFP बैटरियों द्वारा पूरा किया गया।
  • इन बैटरियों में आयरन फॉस्फेट का उपयोग कैथोड सामग्री के रूप में किया जाता है, जो अधिक महंगे निकल और कोबाल्ट के विकल्प के रूप में उभर रहा है।

फॉस्फोरिक एसिड के बारे में : फॉस्फोरिक एसिड एक खनिज अकार्बनिक अम्ल है जिसका रासायनिक सूत्र H₃PO₄ होता है। यह एक रंगहीन, गंधहीन और चिपचिपा तरल होता है। इसका उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है ।

भारत में फॉस्फोरिक एसिड की स्थिति:

  • भारत में प्रतिवर्ष 5-11 मिलियन टन DAP का उपयोग होता है, जो यूरिया के बाद दूसरी सबसे बडी मात्रा है।
  • इसका आधा से अधिक हिस्सा चीन, सऊदी अरब, मोरक्को, रूस और अन्य देशों से आयात किया जाता है।
  • 2022-23 में, भारत ने 7 मीट्रिक टन DAP, 2.7 मीट्रिक टन फॉस्फोरिक एसिड और 3.9 मीट्रिक टन रॉक फॉस्फेट का आयात किया।
  • इन आयातों की कुल राशि 10 बिलियन डॉलर से अधिक थी।
  • अब, फॉस्फोरिक एसिड का उपयोग EV बैटरियों में कैथोड सामग्री के रूप में बढ़ रहा है।
  • चीन ने 2023 में बिकने वाले दो-तिहाई EV में LFP बैटरियां लगाई थीं।
  • चीन भारत के लिए एक प्रमुख DAP आपूर्तिकर्ता है, और जैसे-जैसे इसका फॉस्फोरिक एसिड LFP बैटरियों में चला जाएगा, उर्वरकों के निर्माण के लिए इसकी उपलब्धता कम हो सकती है।

भारत के लिए संभावित चुनौतियाँ:

  • LFP बैटरियों की बढ़ती मांग के कारण फॉस्फेट उर्वरकों की आपूर्ति में कमी हो सकती है।
  • अप्रैल-अगस्त 2024 के दौरान भारत का DAP आयात 59 मीट्रिक टन था, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 3.25 मीट्रिक टन से 51% कम था। इसका कारण चीन द्वारा लगाए गए निर्यात प्रतिबंध थे।
  • मोरक्को भी LFP बैटरियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • भारत को अपनी फॉस्फोरिक एसिड और रॉक फॉस्फेट की अधिकांश जरूरतें मोरक्को, रूस, और सऊदी अरब से पूरी करनी पड़ती हैं।
  • भारत को वैश्विक बाजार की बदलती गतिशीलता के प्रति संवेदनशील रहना होगा, चाहे वह युद्ध से प्रेरित आपूर्ति झटके हों या फॉस्फोरिक एसिड के विविधीकरण के कारण हो।

भारत का भविष्य और समाधान:

DAP के कम आयात का असर आगामी रबी फसल सीजन में महसूस किया जा सकता है। किसानों ने पहले ही DAP को कम पी वाले कॉम्प्लेक्स उर्वरकों से बदलना शुरू कर दिया है। भारत को विदेशी संयुक्त उद्यमों और बाय-बैक व्यवस्थाओं के माध्यम से फॉस्फेट की आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इसके लिए अधिक संयंत्रों की आवश्यकता हो सकती है, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता बनी रहे।

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