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हाल ही में, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) द्वारा जुलाई 2023 से जून 2024 की अवधि के लिए बेरोजगारी दर और रोजगार परिदृश्य पर एक रिपोर्ट जारी की गई है।
मुख्य बिंदु:
मुख्य निष्कर्ष (जुलाई 2023 – जून 2024)
- श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate – LFPR):
- सामान्य स्थिति (PS + SS) में:
- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए LFPR 60.1% रहा।
- पुरुषों के लिए LFPR 78.8%।
- महिलाओं के लिए LFPR 41.7%।
- पिछले वर्ष (जुलाई 2022 – जून 2023) में, यह दर 57.9% से बढ़कर 60.1% हो गई।
- महिलाओं के लिए, LFPR 37.0% से बढ़कर 41.7% हो गया।
- पुरुषों के लिए, LFPR 78.5% से बढ़कर 78.8% हो गया।
- सामान्य स्थिति (PS + SS) में:
- श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio – WPR):
- सामान्य स्थिति (PS + SS) में:
- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए WPR 58.2% था।
- पुरुषों के लिए WPR 76.3%।
- महिलाओं के लिए WPR 40.3%।
- महिलाओं के लिए, WPR 35.9% से बढ़कर 40.3% हो गया।
- पुरुषों के लिए, WPR 56.0% से बढ़कर 58.2% हो गया।
- सामान्य स्थिति (PS + SS) में:
- बेरोजगारी दर (Unemployment Rate – UR):
- सामान्य स्थिति (PS + SS) में:
- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों और महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर 3.2% रही।
- पुरुषों के लिए, बेरोजगारी दर 3.3% से घटकर 3.2% हो गई।
- महिलाओं के लिए, बेरोजगारी दर 2.9% से बढ़कर 3.2% हो गई।
- सामान्य स्थिति (PS + SS) में:
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) क्या है?
- परिभाषा: यह भारत में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को मापने के लिए सांख्यिकी तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा किया जाने वाला सर्वेक्षण है।
- इतिहास: NSO ने अप्रैल 2017 में रोजगार और बेरोजगारी सर्वेक्षण (EUS) की जगह PLFS शुरू किया।
PLFS का उद्देश्य:
- प्रमुख रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों (जैसे श्रमिक जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर, बेरोजगारी दर) का अनुमान लगाना:
- अल्पकालिक शहरी फोकस: वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS) का उपयोग करके हर तीन महीने में शहरी क्षेत्रों के लिए प्रमुख संकेतकों का अनुमान लगाना।
- वार्षिक ग्रामीण और शहरी मूल्यांकन: सामान्य स्थिति और CWS दोनों का उपयोग करके, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए सालाना रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना।
निष्कर्ष:
इस सर्वेक्षण से यह स्पष्ट होता है कि भारत में बेरोजगारी की स्थिति गंभीर बनी हुई है, और विशेषकर युवा बेरोजगारी में कोई सुधार नहीं हुआ है। महिला कार्यबल की भागीदारी में वृद्धि को एक सकारात्मक पहलू माना जा सकता है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में स्थिरता की कमी चिंता का विषय है।
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