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PM Internship Scheme 2024

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (PM Internship Scheme 2024) का पायलट चरण गुरुवार को शुरू किया गया, जिसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 1.25 लाख इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्य बिन्दु (Key Points):

  • घोषणा (Announcement) : यह योजना बजट 2024-25 में प्रधानमंत्री रोजगार और कौशल पैकेज (Prime Minister’s Employment and Skill Package) के हिस्से के रूप में घोषित की गई थी।
  • बजट आवंटन (Budget Allocation): इस योजना का कुल बजट ₹2 लाख करोड़ है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹2,000 करोड़ का आवंटन किया गया है।
  • उद्देश्य (Objective): युवा बेरोजगारी को संबोधित करना और अगले पांच वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप प्रदान करना।
  • कार्य अनुभव (Work Experience): इंटर्नशिप का उद्देश्य प्रतिभागियों को मूल्यवान कार्यस्थल अनुभव देना है।
  • रोजगार के अवसर (Employment Opportunities): कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रतिभागियों के लिए नौकरी पाने की संभावना को बढ़ाना।
  • आवेदन प्रक्रिया (Application Process): पात्रता मानदंड पूरा करने वाले आवेदक आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
  • लाभ (Benefits): इंटर्नशिप का अनुभव युवाओं को नौकरी के लिए बेहतर तैयार करेगा।
  • हेल्पलाइन नंबर (Helpline Number): यह योजना शिकायतों के समाधान के लिए एक विशेष तंत्र और विभिन्न भाषाओं में सहायता के लिए एक बहुभाषी हेल्पलाइन (1800-116-090) प्रदान करती है। इससे सभी संबंधित लोगों को सुगम सहायता सुनिश्चित होती है।

 पीएम इंटर्नशिप योजना समयसीमा (PM Internship Scheme 2024 Timeline):

  • पंजीकरण (Registration): 12 अक्टूबर से 25 अक्टूबर 2024 तक।
  • चयन प्रक्रिया (Selection Process): 27 अक्टूबर से 7 नवंबर तक चलेगी।
  • ऑफर लेटर (Offer Letter): इंटर्नशिप के लिए ऑफर पत्र 8 नवंबर से 15 नवंबर के बीच भेजे जाएंगे।
  • प्रथम बैच (First Batch): पहले बैच के इंटर्न अपनी एक वर्षीय इंटर्नशिप 2 दिसंबर 2024 से शुरू करेंगे।
  • अवधि (Duration): इस कार्यक्रम में भारत की प्रमुख कंपनियों में 12 महीने का अनुभव प्रदान किया जाएगा।
  • व्यावहारिक अनुभव (Practical Experience): 12 महीनों में से कम से कम 6 महीने व्यवसायिक माहौल में व्यावहारिक कार्य में समर्पित किए जाएंगे।
  • भाग लेने वाली कंपनियाँ (Participating Companies): इस योजना में भाग लेने वाली कंपनियों का चयन पिछले तीन वर्षों के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) व्यय के आधार पर किया गया है।

पात्रता मानदंड (Eligibility Criteria)

योजना के लिए पात्रता प्राप्त करने के लिए उम्मीदवारों को निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा:

  • आयु सीमा (Age Limit): 21 से 24 वर्ष के बीच होना चाहिए।
  • पूर्णकालिक रोजगार (Full-time Employment): पूर्णकालिक रोजगार में संलग्न नहीं होना चाहिए।
  • परिवारिक स्थिति (Family Status): सरकारी कर्मचारियों के परिवारों से आने वाले व्यक्ति पात्र नहीं हैं।
  • शिक्षा (Education): उम्मीदवारों के पास हाई स्कूल डिप्लोमा, ITI सर्टिफिकेट, या स्नातक डिग्री (जैसे A., B.Sc., B.Com) होनी चाहिए। IITs, IIMs जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से स्नातक या CA/CMA जैसी योग्यताएं रखने वाले लोग शामिल नहीं हैं।
  • अन्य विकल्प (Other Options): औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) और कौशल केंद्रों (Kaushal Kendras) में प्रशिक्षित युवा भी इस योजना के लिए पात्र हैं।

स्टाइपेंड (Stipend Offered):

  • मासिक स्टाइपेंड (Monthly Stipend): चयनित प्रतिभागियों को सरकार द्वारा प्रति माह ₹4,500 का स्टाइपेंड दिया जाएगा, और कंपनियों द्वारा CSR पहलों के अंतर्गत अतिरिक्त ₹500 प्रदान किए जाएंगे।
  • अतिरिक्त वित्तीय सहायता (Additional financial assistance): आवेदकों को ₹6,000 की एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाएगी ताकि आकस्मिक खर्चों को कवर किया जा सके।
  • बीमा कवरेज (Insurance coverage): सरकार सुनिश्चित करेगी कि इंटर्न पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना और पीएम सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमित हों, और प्रीमियम लागत का वहन करेगी।

पंजीकरण की प्रक्रिया (Registration Process) ?

  • पात्र उम्मीदवारों को पोर्टल (https://pminternship.mca.gov.in/) पर स्वयं को पंजीकृत करना होगा। पंजीकरण के दौरान दिए गए जानकारी के आधार पर, पोर्टल द्वारा एक रिज्यूमे जनरेट किया जाएगा।
  • सुविधाएँ (Features): उम्मीदवारों को पसंदीदा क्षेत्रों, कार्यात्मक भूमिकाओं, स्थानों और अन्य मानदंडों के लिए एक ब्राउज़िंग सुविधा प्रदान की जाएगी।
  • आवेदन प्रक्रिया (Application Process): उम्मीदवार अपनी पसंद के अनुसार पांच (5) इंटर्नशिप अवसरों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसमें स्थान (राज्य, जिला), क्षेत्र, कार्यात्मक भूमिका और योग्यताएँ शामिल हैं।

उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग कैसे की जाएगी? (How Will the Candidates Be Shortlisted)?

  • शॉर्टलिस्टिंग प्रक्रिया (Shortlisting Process): उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग प्रक्रिया उनकी प्राथमिकताओं और कंपनियों द्वारा पोस्ट की गई आवश्यकताओं के आधार पर होगी।
  • समावेशिता (Inclusivity): इस प्रक्रिया में ऐसे मानदंडों को प्राथमिकता दी जाएगी जो कम रोजगार योग्यता को ध्यान में रखते हुए और आवेदक आधार में व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेंगे।
  • प्रतिनिधित्व उपकरण (Representation Tools): पोर्टल ऐसे उपकरणों का उपयोग करेगा जो सभी जनसंख्या समूहों का प्रतिनिधित्व देंगे, जैसे अनुसूचित जातियाँ, अनुसूचित जनजातियाँ, अन्य पिछड़ा वर्ग, और विकलांग व्यक्ति।
  • चयन प्रक्रिया (Selection Process): प्रत्येक इंटर्नशिप के लिए ऑफ़रों की संख्या के आधार पर, लगभग दोगुने/तीगुने नामों के साथ उम्मीदवारों के रिज्यूमे कंपनियों को चयन के लिए भेजे जाएंगे।
  • कंपनी चयन (Company Selection): कंपनियाँ अपने चयन मानदंडों और प्रक्रियाओं के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करेंगी और इंटर्नशिप के लिए ऑफ़र करेंगी।
  • स्वीकृति प्रक्रिया (Acceptance Process): जब कंपनी द्वारा उम्मीदवार को ऑफ़र भेजा जाएगा, तो उम्मीदवार पोर्टल के माध्यम से स्वीकृति व्यक्त कर सकेगा।

महत्व (Significance):

  • व्यावहारिक अनुभव में वृद्धि (Increased practical experience): यह योजना युवाओं के लिए व्यावहारिक अनुभव को बढ़ाती है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में सुधार होता है।
  • कौशल विकास (Skill development): यह विभिन्न क्षेत्रों जैसे फार्मा, ऑटो, और कृषि में वास्तविक नौकरी के वातावरण में कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • आत्मनिर्भरता का समर्थन (Support to self-reliance): यह योजना सरकार के आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के दृष्टिकोण का समर्थन करती है, जिससे कुशल मानव संसाधन का विकास होता है।
  • नवीनतम तकनीकों का ज्ञान (Knowledge of latest technologies): इंटर्नशिप के दौरान युवाओं को नवीनतम तकनीकों और उद्योग की आवश्यकताओं के बारे में जानकारी मिलती है।
  • नेटवर्किंग के अवसर (Networking opportunities): यह योजना युवाओं को विभिन्न कंपनियों और पेशेवरों के साथ नेटवर्किंग का मौका देती है, जो भविष्य में नौकरी के अवसरों को बढ़ा सकती है।
  • स्वतंत्रता और आत्मविश्वास (Independence and confidence): कार्य अनुभव के माध्यम से युवाओं में स्वतंत्रता और आत्मविश्वास का विकास होता है, जिससे वे अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए बेहतर तैयार होते हैं।

भारत में बेरोजगारी की स्थिति (Unemployment Situation in India):

  • केन्द्रीय निगरानी भारतीय अर्थव्यवस्था केंद्र (Central Centre for Monitoring Indian Economy – CMIE): मार्च 2024 में बेरोजगारी दर 4 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2024 में 8.1 प्रतिशत हो गई।
  • एनएसएसओ डेटा (NSSO Data): राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा जारी की गई कैलेंडर वर्ष 2023 की पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, बेरोजगारी दर 1% रही, जबकि वैश्विक बेरोजगारी दर 2023 में 5.1% थी।
  • शहरी और ग्रामीण बेरोजगारी दर (Urban and Rural Unemployment Rate): कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए शहरी बेरोजगारी दर (2%) ग्रामीण बेरोजगारी दर (2.4%) से अधिक थी।
  • महिलाओं की श्रम बल भागीदारी (Labor Force Participation of Women): PLFS के अनुसार, महिलाओं की श्रम बल भागीदारी दर 41% थी।
  • विश्व बैंक रिपोर्ट (The World Bank report): “दक्षिण एशिया विकास अद्यतन: सहनशीलता के लिए रोजगार” रिपोर्ट में भारत में महिलाओं के लिए औसत से नीचे रोजगार अनुपात का उल्लेख किया गया है।
  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) रिपोर्ट (The International Labour Organisation (ILO) report): “भारत रोजगार रिपोर्ट 2024” में यह बताया गया है कि हर तीन बेरोजगार व्यक्तियों में से एक युवा है।

भारत में बेरोजगारी के कारण (Causes of Unemployment in India):

  1. उच्च जनसंख्या वृद्धि (High Population Growth):
  • विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि भारत सहित दक्षिण एशिया क्षेत्र अपने जनसंख्या लाभ का सही उपयोग नहीं कर रहा है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000-2023 के बीच रोजगार में हर साल 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कामकाजी आयु की जनसंख्या में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  1. कौशल अंतर और कौशल विकास में चुनौतियाँ (Skills Gap and Challenges in Skill Development):
  • भारतीय श्रम बल का केवल 7% ने किसी औपचारिक कौशल प्रशिक्षण में भाग लिया है।
  • राष्ट्रीय कौशल विकास निगम ने 2010 से 2014 के बीच कौशल अंतर का अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि 82 करोड़ श्रमिकों को कौशल प्रदान करने, पुनः कौशल देने और अपस्किलिंग की आवश्यकता है।
  • कौशल प्रशिक्षण के विस्तार में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे गरीब क्षेत्रों में प्रशिक्षण क्षमता कम होना और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सामाजिक-आर्थिक समावेश की कमी।
  1. स्वचालन और प्रौद्योगिकी का नौकरी के बाजार पर प्रभाव (Impact of Automation and Technology on the Job Market):
  • विनिर्माण क्षेत्र अधिक पूंजी-गहन और स्वचालित होता जा रहा है, जो वृद्धि प्रदान करता है लेकिन बड़े पैमाने पर रोजगार नहीं देता।
  • कुछ अनुमानों के अनुसार, 69% नौकरियों को स्वचालन के खतरे का सामना करना पड़ सकता है।
  1. अशिक्षा (Illiteracy):
  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा के उच्च स्तर पर हासिल की गई प्रगति के बावजूद, गुणवत्ता एक चिंता का विषय है।
  • यह रोजगार के लिए एक चुनौती है।
  1. कुछ उद्योगों में मौसमी रोजगार (Seasonal Employment in Some Industries):
  • 2022-23 के दौरान कुल श्रमिकों का लगभग 76% कृषि (मौसमी रोजगार) और संबद्ध क्षेत्र में लगा हुआ है।
  1. अनौपचारिक और आकस्मिक श्रम (Informal and Casual Labour):
  • नौकरियों की कमी के कारण, व्यक्तियों को अक्सर अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार का सहारा लेना पड़ता है, जो कम और असंगत वेतन की विशेषता होती है।
  • भारत का श्रम बाजार मुख्य रूप से अनौपचारिक रोजगार से युक्त है (लगभग 90 प्रतिशत वयस्क और युवा श्रमिक)।
  1. संस्थानिक उपायों का कार्यान्वयन (Implementation of Institutional Measures):
  • शारदा प्रसाद समिति द्वारा सुझाए गए कौशल भारत सुधारों के तहत संस्थागत उपायों का कार्यान्वयन आवश्यक है।

रोजगार सृजन की दिशा में उठाए गए कदम (Steps taken towards employment generation):

  1. आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (Aatmanirbhar Bharat Rojgar Yojana – ABRY):
  • यह नियोक्ताओं को नए रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करता है और सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करता है।
  1. प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (Pradhan Mantri Mudra Yojana – PMMY):
  • यह सूक्ष्म/छोटे व्यवसायों और व्यक्तियों को 10 लाख रुपये तक की बिना संपत्ति के ऋण प्रदान करती है।
  • यह व्यापार गतिविधियों की स्थापना या विस्तार के लिए सहायक है।
  1. प्रधान मंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi Scheme):
  • यह स्ट्रीट वेंडरों (street vendors) को कार्यशील पूंजी के लिए बिना संपत्ति के ऋण प्रदान करती है।
  • यह उन व्यवसायों को फिर से शुरू करने में सहायता करती है जो कोविड-19 महामारी के दौरान प्रभावित हुए थे।
  1. प्रधान मंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Scheme):
  • यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को अंत-से-अंत समर्थन प्रदान करती है।
  • इसका उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा को मजबूत करना और पोषित करना है।
  1. दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM):
  • यह ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत एक योजना है।
  • यह ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करती है।
  1. प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana):
  • यह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा शुरू की गई है और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा लागू की जाती है।
  • यह कौशल प्रमाणन योजना युवाओं को उद्योग से संबंधित कौशल प्रशिक्षण लेने में सक्षम बनाती है।
  1. अन्य योजनाएं (Others):
  • Make in India: स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए।
  • Start-up India: नए उद्यमों को सृजन और विकास के लिए प्रोत्साहित करने के लिए।
  • Stand-up India: अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए।
  • Digital India: डिजिटल ढांचे में सुधार के लिए।
  • Smart City Mission: शहरी क्षेत्रों की विकास योजनाओं के लिए।
  • रोज़गार मेले (Rozgar Melas): रोजगार सृजन और लोगों को अवसर प्रदान करने के लिए।

भारत में बेरोजगारी को संबोधित करने के लिए कार्यक्रम, नीतियाँ और उपाय:

कार्यक्रम/नीति

वर्ष

उद्देश्य/उपाय

ग्रामीण युवा स्व-रोजगार प्रशिक्षण (TRYSEM)

1979

यह योजना 18 से 35 वर्ष के बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को स्व-रोजगार के लिए कौशल प्राप्त करने में सहायता करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP)

1980

इस कार्यक्रम का उद्देश्य गरीबों को रोजगार के अवसर प्रदान करना और उनके कौशल विकास के अवसर उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी जीवन स्थितियों में सुधार हो सके।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम

1980

यह खाद्य कार्य कार्यक्रम का पुनर्गठित रूप था, जिसका उद्देश्य कम रोजगार वाले व्यक्तियों को अतिरिक्त रोजगार प्रदान करना था।

RSETI/RUDSETI

1982

यह योजना युवाओं में बेरोजगारी की समस्या को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसे श्री धर्मस्थला मंजीनाथेश्वर शैक्षणिक ट्रस्ट, सिंडिकेट बैंक और केनरा बैंक द्वारा स्थापित किया गया था। वर्तमान में, इसे बैंकों द्वारा संचालित किया जाता है।

जवाहर रोजगार योजना (JRY)

1989

यह राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम और ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम के विलय के द्वारा शुरू की गई। इसका उद्देश्य विशेष रूप से पिछड़े जिलों में प्रति व्यक्ति 90-100 दिन रोजगार प्रदान करना था।

सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना

2001

यह रोजगार आश्वासन योजना और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना के प्रावधानों को मिलाकर शुरू की गई। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को रोजगार और भोजन प्रदान करना है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

2005

यह योजना 2005 में शुरू की गई, जिसका उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, जिसमें परिवारों के वयस्क सदस्यों के लिए साल में न्यूनतम 100 दिन का भुगतान किया गया काम सुनिश्चित किया जाता है।

दीन दयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय आजीविका मिशन (NRLM)

2013

इस योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों को स्व-रोजगार और कुशल वेतन रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करके उनकी आजीविका में सुधार करना है।

राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन

2014

यह ‘कौशल इंडिया’ एजेंडे को मिशन मोड में संचालित करने के लिए शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य कौशल प्रशिक्षण पहलों को समेकित करना है।

प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)

2015

यह योजना बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को उद्योग से संबंधित कौशल प्रशिक्षण लेने में सक्षम बनाना है।

राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS)

2015

यह परियोजना मंत्रालय श्रम एवं रोजगार द्वारा शुरू की गई, जिसका उद्देश्य देश भर में त्वरित और कुशल करियर संबंधी सेवाएं प्रदान करना है।

प्रधान मंत्री मुद्रा योजना

2015

इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म वित्त संस्थानों को कम ब्याज वाले ऋण प्रदान करना है। इसका एक उद्देश्य रोजगार के स्रोत उत्पन्न करना और जीडीपी में वृद्धि करना है।

स्टार्टअप इंडिया योजना

2016

इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य स्टार्टअप का प्रचार, रोजगार का सृजन और संपत्ति का निर्माण करना है।

प्रधान मंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना

2016-17

यह योजना नियोक्ताओं को रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से है, जिसमें सरकार नए कर्मचारियों के लिए 8.33 प्रतिशत का कर्मचारी पेंशन योजना हिस्सा चुकाती है।

आगे का रास्ता (Way Forward):

  • उत्पादन और विकास को अधिक रोजगार-उन्मुख बनाना (Making production and growth more employment-oriented): निर्माण और उभरते सेवा क्षेत्रों में गैर-कृषि रोजगार को बढ़ावा देना।
  • सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) पर ध्यान केंद्रित करना (Focus on micro, small and medium enterprises (MSMEs): MSMEs की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए अवसंरचना में निवेश करना (जैसे स्टोर, परिवहन आदि)।
  • कृषि उत्पादकता बढ़ाना (Increasing agricultural productivity): उद्यमिता को बढ़ावा देना।
  • श्रम और कर विनियमों का सरलीकरण (Simplifying labour and tax regulations): स्टार्ट-अप्स के लिए बाधाओं को दूर करना।
  • नई तकनीकों का लाभ उठाने के लिए नीतियों को अपनाना (Adopting policies to leverage new technologies): नौकरियों की गुणवत्ता में सुधार करना।
  • उभरती देखभाल और डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में निवेश (Investing in the emerging care and digital economies): प्रवासियों, महिलाओं और गरीब परिवारों के श्रमिकों की जरूरतों को ध्यान में रखने वाली समावेशी शहरी नीतियों की आवश्यकता है।
  • कौशल प्रशिक्षण की चुनौतियाँ (Skills training challenges): गुणवत्ता वाले कौशल प्रशिक्षण को शिक्षा प्रणाली में शामिल करना।
  • सामाजिक-आर्थिक समूहों और क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण में व्यापक विषमताएँ दूर करना।
  • श्रम बाजार असमानताओं का समाधान (Addressing labour market inequalities): आईसीटी पहुंच में सुधार और डिजिटल विभाजन को पाटना।
  • महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी बढ़ाना (Increasing women’s labour force participation): वेतन सब्सिडी या कर लाभ जैसे मौद्रिक प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • लड़कों और लड़कियों की शिक्षा की गुणवत्ता में अंतर को कम करना।
  • महिलाओं की वित्त और अन्य संसाधनों तक पहुंच को बढ़ाना।

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