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प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) ने अक्टूबर 2024 में 1000 करोड़ रुपये की बिक्री करके एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह पिछले वर्ष की तुलना में महत्वपूर्ण प्रगति है, और यह लक्ष्य दिसंबर 2023 में पूरा किया गया था। यह उपलब्धि सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं पर लोगों के बढ़ते भरोसे और निर्भरता को दर्शाती है।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP)
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) को नवंबर 2008 में भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा शुरू किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सभी को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध कराना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन औषधि केंद्रों के रूप में जाने जाने वाले समर्पित आउटलेट खोले गए हैं, जो सस्ती कीमतों पर जेनेरिक दवाएँ प्रदान करते हैं।
प्रमुख बिंदु:
- जनता का समर्थन: यह सफलता केवल नागरिकों के अटूट समर्थन से संभव हो पाई है, जिन्होंने देशभर में 14,000 से अधिक जन औषधि केंद्रों से दवाइयां खरीदकर इस पहल को अपनाया है।
- स्वास्थ्य सेवा की सुलभता: यह वृद्धि स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ और सस्ती बनाने की पीएमबीआई की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हाल ही में, पीएमबीआई ने सितंबर 2024 में एक ही महीने में 200 करोड़ रुपये की दवाइयां बेची थीं।
- केन्द्रों की वृद्धि: पिछले 10 वर्षों में जन औषधि केंद्रों की संख्या में 170 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। ये केंद्र 2014 में केवल 80 थे, जो अब बढ़कर 14,000 से अधिक केन्द्र हो गए हैं, जो देश के लगभग सभी जिलों में फैले हुए हैं।
- भविष्य की योजनाएँ: अगले 2 वर्षों में देश में 25,000 जन औषधि केंद्र होने का अनुमान है।
- उत्पाद समूह: PMBJP के उत्पाद समूह में 2047 दवाइयां और 300 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं। ये दवाएं प्रमुख चिकित्सीय समूहों जैसे:
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- कार्डियोवैस्कुलर
- एंटी-कैंसर
- एंटी-डायबिटिक्स
- एंटी-इंफेक्टिव्स
- एंटी-एलर्जिक
- गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल
- न्यूट्रास्युटिकल्स
इत्यादि की श्रेणी में आती हैं।
- उपयोगकर्ता संख्या: लगभग 1 मिलियन लोग प्रतिदिन इन लोकप्रिय जन-हितैषी केंद्रों पर जा रहे हैं।
उद्देश्य और लक्ष्य:
- समानता सुनिश्चित करना: जनसंख्या के सभी वर्गों, विशेषकर गरीब और वंचित लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना।
- जागरूकता बढ़ाना: शिक्षा और प्रचार के माध्यम से जेनेरिक दवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना, ताकि यह धारणा टूट सके कि गुणवत्ता केवल उच्च कीमत का पर्याय है।
- रोजगार सृजन: PMBJP केंद्र खोलने में व्यक्तिगत उद्यमियों को शामिल करके रोजगार पैदा करना।
मुख्य विशेषताएँ:
- संचालन: यह योजना सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ निजी उद्यमियों द्वारा भी संचालित की जाती है।
- प्रोत्साहन राशि: केन्द्र मालिकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि मौजूदा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5.00 लाख रुपये कर दी गई है। यह राशि मासिक खरीद के 15% की दर से दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा 15,000 रुपये प्रति माह होगी।
- विशेष प्रोत्साहन: पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी क्षेत्रों, द्वीप क्षेत्रों और नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिले के रूप में उल्लिखित पिछड़े क्षेत्रों में खोले गए PMBJP केंद्रों को फर्नीचर और फिक्स्चर तथा कंप्यूटर और प्रिंटर के लिए 00 लाख रुपये की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
- कम कीमतें: जन औषधि दवाओं की कीमतें खुले बाजार में ब्रांडेड दवाओं की कीमतों से 50%-90% कम हैं।
- गुणवत्ता नियंत्रण: उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दवाएं केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन – अच्छे विनिर्माण अभ्यास (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी) प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदी जाती हैं।
- परीक्षण प्रक्रिया: दवा के प्रत्येक बैच का परीक्षण राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में किया जाता है, जिससे सर्वोत्तम गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
निष्कर्ष: प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना ने सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह पहल न केवल दवाइयों की उपलब्धता को बढ़ाती है, बल्कि स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन में भी सहायक है। पीएमबीजेपी के माध्यम से, भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि हर नागरिक को आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों।
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