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प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना (PMVKY) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों के समग्र विकास को सुनिश्चित करना है। इसे 28 अक्टूबर, 2014 को लॉन्च किया गया था और इसका लक्ष्य है आदिवासी जनसंख्या के सामने आने वाली विशेष चुनौतियों का समाधान करना। भारत में लगभग 8.9% जनसंख्या आदिवासी समुदायों की है, जो विविध क्षेत्रों में फैली हुई हैं और अक्सर सामाजिक-आर्थिक विकास में पीछे रह जाती हैं।
योजना के मुख्य उद्देश्य:
- सशक्तिकरण: आदिवासी समुदायों को उनकी ऐतिहासिक उपेक्षा के खिलाफ सशक्त करना।
- वित्तीय सहायता: वित्तीय सहायता के साथ-साथ सतत विकास के लिए एक रूपरेखा प्रदान करना।
- संस्कृतिक संरक्षण: आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को संरक्षित करना।
- समावेशी विकास: “सबका साथ, सबका विकास” के दृष्टिकोण के तहत विकास करना।
प्रमुख कदम: PMVKY में छह महत्वपूर्ण पहल शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAGY):
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- यह योजना 36,428 गांवों में एकीकृत विकास पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और स्वच्छता को लक्षित किया गया है।
- प्रत्येक गांव को 20.38 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे।
- विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) का विकास:
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- PVTG विकास मिशन का उद्देश्य हाशिए पर पड़े जनजातीय परिवारों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करना है।
- 2023-24 के बजट में इसके लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
- जनजातीय शोध संस्थानों (TRI) को सहायता: यह घटक अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण के प्रयासों को बढ़ावा देता है, जिससे जनजातीय संस्कृतियों और चुनौतियों का ज्ञान बढ़े।
- प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति: यह योजना कक्षा IX और X के आदिवासी छात्रों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, ताकि शिक्षा में कोई बाधा न आए।
- मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति: यह कक्षा 10 के बाद की शिक्षा के लिए आदिवासी छात्रों को सहायता प्रदान करती है, जिससे उनकी शैक्षणिक यात्रा को आगे बढ़ाया जा सके।
- परियोजना प्रबंधन इकाइयों के लिए प्रशासनिक सहायता: यह राज्य सरकारों के भीतर परियोजना प्रबंधन इकाइयों की स्थापना के लिए धन आवंटित करता है, जिससे योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो सके।
जनजातीय कल्याण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
भारत की जनजातीय जनसंख्या की भलाई और विकास के लिए सरकार ने कई प्रभावशाली योजनाएँ और कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PMJVM), और अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST) शामिल हैं। ये पहेलियाँ न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार पर ध्यान केंद्रित करती हैं, बल्कि आदिवासी समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी सुदृढ़ करती हैं।
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (EMRS):
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (EMRS) योजना का उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों के छात्रों को छठी से बारहवीं कक्षा तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इसके तहत, सरकार ने 50% से अधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी वाले प्रत्येक ब्लॉक में एक EMRS स्थापित करने का निर्णय लिया है।
- लक्ष्य: वर्ष 2026 तक पूरे देश में 728 EMRS स्थापित करना।
- छात्र संख्या: इस योजना के तहत लाखों छात्र लाभान्वित होंगे, जो अपनी पढ़ाई को जारी रख पाएंगे।
वित्त पोषण और कार्यान्वयन रणनीतियाँ:
वर्तमान वित्तीय वर्ष (2024-25) में, केंद्र सरकार ने PMVKY (प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना) के अंतर्गत छह योजनाओं के लिए ₹4,300 करोड़ आवंटित किए हैं।
- छात्रवृत्तियाँ: इसमें 27.5 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का प्रावधान शामिल है।
- बुनियादी सुविधाएँ: 5,000 गांवों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार करने के लिए निधि का उपयोग किया जाएगा।
इसके अलावा, जनजातीय शोध संस्थानों, बहुउद्देश्यीय केंद्रों और परियोजना प्रबंधन इकाइयों पर जोर दिया गया है, जो सरकार की स्थायी जनजातीय विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PMJVM): 2021-22 से 2025-26 तक कार्यान्वयन के लिए स्वीकृत, PMJVM को दो मौजूदा योजनाओं को विलय और विस्तारित करके पुनर्गठित किया गया है:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से लघु वन उपज के विपणन के लिए तंत्र।
- जनजातीय उत्पादों के विकास और विपणन के लिए संस्थागत समर्थन।
- उद्देश्य: प्राकृतिक संसाधनों का कुशल और न्यायसंगत उपयोग करते हुए आदिवासी उद्यमिता को बढ़ावा देना।
- केन्द्रीय कार्यान्वयन एजेंसी: भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) है, जो इस पहल का संचालन कर रहा है।
- थीम: “आदिवासियों द्वारा स्थानीय के लिए मुखरता”।
अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST):
DAPST आदिवासी विकास के लिए एक समर्पित वित्त पोषण स्रोत के रूप में कार्य करती है। यह एक बहुआयामी रणनीति है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल आपूर्ति और आजीविका के अवसरों के लिए समर्थन शामिल है।
- भागीदारी: 41 मंत्रालय और विभाग हर साल DAPST के तहत आदिवासी विकास पहलों के लिए अपने कुल योजना बजट का एक प्रतिशत योगदान करते हैं।
- आवंटन: चालू वित्त वर्ष के लिए, 214 योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए ₹1.23 लाख करोड़ से अधिक का आवंटन किया गया है।
निष्कर्ष: प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना और अन्य संबंधित कार्यक्रम भारत के विकास की कहानी में आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण और समावेश की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। ये पहल शिक्षा, स्वास्थ्य, और आजीविका के क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेप प्रदान करके आदिवासी जनसंख्या की भलाई को सुनिश्चित करती हैं। भारत सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता से, आदिवासी समुदायों के लिए भविष्य उज्ज्वल और आशाजनक दिखता है।
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