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मरणोपरांत सहायक प्रजनन: अक्टूबर 2024 में, दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अविवाहित मृतक युवक के माता-पिता को उसके संरक्षित वीर्य का उपयोग कर संतान उत्पन्न करने की अनुमति दी। युवक ने कीमोथेरेपी के दौरान वीर्य संरक्षित किया था और 2020 में निधन हो गया। कोर्ट ने माना कि इस तरह के मामलों को नियंत्रित करने के लिए वर्तमान कानून, जैसे ART अधिनियम 2021 और इसके नियम 2022, पर्याप्त नहीं हैं।
मरणोपरांत सहायक प्रजनन (Posthumous Assisted Reproduction – PAR):
मरणोपरांत सहायक प्रजनन (PAR) एक चिकित्सा और नैतिक प्रक्रिया है, जिसमें मृत व्यक्ति के प्रजनन सामग्री (जैसे शुक्राणु, अंडाणु या भ्रूण) का उपयोग उनके निधन के बाद संतान उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
PAR की मुख्य विशेषताएं:
- प्रजनन सामग्री का उपयोग:
- शुक्राणु, अंडाणु या भ्रूण जो मृत्यु से पहले संरक्षित किए गए हों या मरणोपरांत निकाले गए हों।
- मरणोपरांत शुक्राणु निकासी (Posthumous Sperm Retrieval) आम है, जहां मृत्यु के तुरंत बाद चिकित्सा प्रक्रियाओं के माध्यम से शुक्राणु प्राप्त किए जाते हैं।
- सहायक प्रजनन तकनीकें: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) या इंट्रा यूटेराइन इंसेमिनेशन (IUI) जैसी तकनीकों का उपयोग गर्भधारण के लिए किया जाता है।
- उद्देश्य: आमतौर पर जीवित साथी या परिवार द्वारा शुरू किया जाता है, ताकि मृतक व्यक्ति की जैविक संतान होने की इच्छा पूरी हो सके।
विभिन्न देशों की प्रथाएं:
- उरुग्वे: मरणोपरांत प्रजनन की अनुमति केवल लिखित सहमति के साथ दी जाती है।
- यह सहमति मृत्यु के बाद एक वर्ष तक वैध रहती है।
- बेल्जियम : मृत्यु के बाद छह महीने की प्रतीक्षा अवधि के बाद मरणोपरांत प्रजनन की अनुमति।
- अनुरोध मृत्यु के दो वर्षों के भीतर किया जाना चाहिए।
- विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया : लिखित या मौखिक सहमति, जो दो गवाहों की उपस्थिति में दी गई हो, आवश्यक है।
- निर्णय एक पेशेंट रिव्यू पैनल द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
- इसमें शामिल माता-पिता को काउंसलिंग कराई जाती है।
- कनाडा और यूके: मरणोपरांत प्रजनन के लिए लिखित सहमति अनिवार्य है।
- इज़राइल (Israel): माता-पिता को मृत व्यक्ति के शुक्राणु (sperm) का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
चुनौतियां:
- कानूनी चुनौतियां:
- स्पष्ट कानूनों का अभाव: मरणोपरांत जनन सामग्री (gametes) के उपयोग पर स्पष्ट कानूनी प्रावधान नहीं हैं।
- सहमति का प्रश्न: मृत व्यक्ति की सहमति और अभिभावकता (parentage) के अधिकारों को लेकर असमंजस।
- उत्तराधिकार: संपत्ति और उत्तराधिकार से जुड़े सवालों को सुलझाना जटिल होता है।
- नैतिक चिंताएं:
- नैतिकता का प्रश्न: मृत व्यक्ति के आनुवंशिक सामग्री के उपयोग की नैतिकता पर सवाल उठते हैं।
- मानव ऊतक का व्यवसायीकरण: मानव ऊतक के व्यावसायिक उपयोग और इसके मूल्य को लेकर नैतिक विवाद।
- पारिवारिक प्रभाव: जीवित परिवार के सदस्यों पर इसका भावनात्मक और नैतिक प्रभाव।
- सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं:
- बच्चों पर प्रभाव: मरणोपरांत जन्मे बच्चों को अपने मृत अभिभावक को न जान पाने की समस्या हो सकती है।
- जीवित साथी की मानसिक स्थिति: दु:ख, अपराधबोध, और विवादों के कारण परिवार में तनाव।
- पारिवारिक संबंध: मृत व्यक्ति की इच्छाओं को लेकर विवाद से पारिवारिक रिश्ते जटिल हो सकते हैं।
भारत में सहायक प्रजनन तकनीक (ART) का नियमन:
ART (नियमन) अधिनियम, 2021:
- उद्देश्य: ART क्लीनिक और बैंकों के नियमन और पर्यवेक्षण के लिए।
- मुख्य प्रावधान:
- ART सेवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम।
- ART सेवाओं का सुरक्षित और नैतिक रूप से संचालन।
सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021
- उद्देश्य: वाणिज्यिक सरोगेसी पर रोक और इसे दंडनीय बनाना।
- मुख्य प्रावधान:
- केवल परोपकारी (अल्ट्रुइस्टिक) सरोगेसी की अनुमति।
- वाणिज्यिक सरोगेसी पर पूर्ण प्रतिबंध।