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केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मत्स्य विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PM-MSY) के चार सफल वर्षों की उपलब्धि को मनाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया है। यह योजना मई 2020 में शुरू हुई थी, भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार और स्थिरता का प्रदान करती है।
PM-MSY के बारे में:
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PM-MSY) ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र को अभूतपूर्व विकास की दिशा में ले जाने के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाया है।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मछली उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, और मत्स्य उत्पादन के बाद के बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।
- इसके तहत, 20,050 करोड़ रुपये का निवेश कर देश के मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं।
मुख्य सुधार और पहलें:
- बुनियादी ढांचे का विकास: नए बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों के विकास, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों का आधुनिकीकरण, और उत्पादन के बाद की सुविधाओं का प्रावधान।
- आधुनिकीकरण: पारंपरिक मछुआरों के लिए जहाजों के मशीनीकरण और जलीय कृषि के लिए गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ और बीज की आपूर्ति।
- सहायता और बीमा: मछुआरों को मछली पकड़ने पर प्रतिबंध के दौरान आजीविका सहायता, बीमा कवरेज, वित्तीय सहायता, और किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना: ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए PM-MSY ने ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
नीली क्रांति क्या है?
नीली क्रांति एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाना, गुणवत्ता में सुधार करना, मछुआरों की आय बढ़ाना और मत्स्य पालन क्षेत्र को आधुनिक बनाना है। इस योजना के माध्यम से सरकार का लक्ष्य भारत को विश्व का प्रमुख मत्स्य उत्पादक देश बनाना है।
नीली क्रांति के लिए प्रमुख पहल-
- मत्स्य पालन का एकीकृत विकास और प्रबंधन: इस योजना के तहत 2015-20 तक 5000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। इसका उद्देश्य मत्स्य पालन के सभी पहलुओं को एकीकृत करना और मत्स्य संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करना है।
- मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ): इस निधि के तहत 2018-19 से 7,522.48 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। इसका उपयोग मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए किया जाता है, जैसे कि मछली पकड़ने के जहाजों का आधुनिकीकरण, मछली बाजारों का निर्माण और जलीय कृषि का विकास।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई): यह योजना 2020-25 तक 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुरू की गई थी। यह योजना मत्स्य पालन क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए एक व्यापक खाका है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई): यह योजना 2024-25 से शुरू की गई है और इसमें 6,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य मछुआरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों से अवगत कराना है।
नीली क्रांति के लाभ:
- मछली उत्पादन में वृद्धि: नीली क्रांति के कारण भारत में मछली उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- गुणवत्ता में सुधार: मत्स्य उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, जिससे भारत के मत्स्य उत्पादों की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी है।
- मछुआरों की आय में वृद्धि: नीली क्रांति के कारण मछुआरों की आय में वृद्धि हुई है और उन्हें कई प्रकार की सुविधाएं मिल रही हैं।
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि: मत्स्य पालन क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन हुआ है।
- मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण: नीली क्रांति के तहत मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला को आधुनिक बनाया जा रहा है, जिससे मत्स्य उत्पादों का मूल्यवर्धन हो रहा है।
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