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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन

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संदर्भ:

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद शासन व्यवस्था में विफलता के कारण अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन:

  • घोषणा:
    • भारत के राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया।
    • यह निर्णय राज्यपाल की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद लिया गया।
  • कारण: राष्ट्रपति इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है।
  • संसदीय स्वीकृति:
    • अनुच्छेद 356(3) के अनुसार, यह घोषणा संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की जाएगी।
    • यदि दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित नहीं की गई, तो यह अधिकतम दो महीने के भीतर समाप्त हो जाएगी।

राष्ट्रपति शासन (President’s Rule):

  • परिभाषा:
    • जब कोई राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ होती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।
    • इस दौरान राज्य सरकार को निलंबित कर दिया जाता है और केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण हो जाता है।
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • अनुच्छेद 356 के तहत लागू किया जाता है।
    • इसे राज्य आपातकालयासंवैधानिक आपातकाल भी कहा जाता है।
  • राष्ट्रपति शासन लगाने के कारण:
    • राज्यपाल की रिपोर्ट या अन्य विश्वसनीय जानकारी के आधार पर राष्ट्रपति को लगता है कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर पा रही है।
    • यदि कोई राज्य केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है।

राष्ट्रपति शासन लगाने की प्रक्रिया:

  1. राज्यपाल की रिपोर्ट: राज्यपाल राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट भेजते हैं, जिसमें बताया जाता है कि राज्य में संवैधानिक मशीनरी विफल हो गई है।
  2. राष्ट्रपति की घोषणा: राज्यपाल की रिपोर्ट या अन्य विश्वसनीय जानकारी के आधार पर, राष्ट्रपति अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन घोषित करते हैं।
  3. संसदीय स्वीकृति: दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) को दो महीने के भीतर इस घोषणा को साधारण बहुमत से मंजूरी देनी होती है।

अवधि और विस्तार:

  • शुरुआत में राष्ट्रपति शासन अधिकतम 6 महीने के लिए लगाया जाता है।
  • इसे अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन हर 6 महीने में संसद की मंजूरी आवश्यक होती है।
  • राष्ट्रपति कभी भी संसद की स्वीकृति के बिना राष्ट्रपति शासन समाप्त कर सकते हैं।

राष्ट्रपति शासन के प्रभाव:

  1. राज्य सरकार के कार्यभार पर नियंत्रण: राष्ट्रपति राज्य सरकार के सभी कार्यों और राज्यपाल की शक्तियों को अपने अधीन ले लेते हैं।
  2. विधानमंडल की शक्तियों का हस्तांतरण: राज्य विधानसभा की शक्तियाँ संसद को सौंप दी जाती हैं, जिससे संसद राज्य से संबंधित कानून बना सकती है।
  3. न्यायपालिका पर कोई प्रभाव नहीं:
    • राष्ट्रपति शासन का उच्च न्यायालय (High Court) के कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
    • न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से कार्य करती रहती है।
  4. R. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994) मामला: न्यायिक समीक्षा (Judicial Review): सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति की घोषणा न्यायिक समीक्षा के अधीन होगी।
  5. राज्य विधानसभा का विघटन:
    • राष्ट्रपति केवल संसद की मंजूरी के बाद ही राज्य विधानसभा को भंग कर सकते हैं।
    • संसदीय स्वीकृति से पहले, विधानसभा केवल निलंबित (suspended) रहेगी, लेकिन भंग (dissolved) नहीं की जा सकती।

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