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मणिपुर सरकार ने घोषणा की है कि केंद्र सरकार ने मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में फिर से संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था (Protected Area Regime – PAR) लागू कर दी है। ये तीनों राज्य म्यांमार की सीमा से सटे हुए हैं।
मुख्य बिंदु:
- फैसले का कारण: बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के कारण यह निर्णय लिया गया।
- पर्यटन पर प्रभाव:
- 2010 से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दी गई छूट खत्म कर दी गई।
- अब विदेशी पर्यटकों को इन राज्यों में आने से पहले संरक्षित क्षेत्र परमिट (PAP) लेना अनिवार्य होगा।
- प्रासंगिक आदेश: विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश, 1958 के तहत दी गई छूट को तुरंत प्रभाव से वापस लिया गया।
क्या है संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था?
- परिचय:
- यह व्यवस्था विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश, 1958 के तहत लागू की गई है, जो विदेशी अधिनियम, 1946 का हिस्सा है।
- इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास स्थित संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशियों की आवाजाही को नियंत्रित करना है।
- लागू क्षेत्र:
- यह आंतरिक रेखा (Inner Line) और अंतरराष्ट्रीय सीमा के बीच के क्षेत्रों पर लागू होती है।
- मुख्य रूप से मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों में, जो म्यांमार की सीमा से सटे हैं।
- उद्देश्य:
- राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी नागरिकों की गतिविधियों को सीमित करना।
संरक्षित क्षेत्र परमिट (PAP) कैसे प्राप्त करें?
प्राप्ति के स्रोत: विदेशी नागरिक निम्नलिखित जगहों से संरक्षित क्षेत्र परमिट (PAP) प्राप्त कर सकते हैं:
- भारतीय मिशन (Indian Missions Abroad)।
- गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs – MHA)।
- राज्य के गृह आयुक्त (State Home Commissioners)।
- विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय
- विशेष शर्तें: अफगानिस्तान, चीन, और पाकिस्तान के नागरिकों तथा उनके मूल के व्यक्तियों को MHA से पूर्व स्वीकृति लेनी अनिवार्य है।
- अनिवार्य पंजीकरण: इन तीन राज्यों में आने वाले सभी विदेशी नागरिकों को विदेशी पंजीकरण अधिकारी (FRO) के पास आगमन के 24 घंटे के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
- म्यांमार के नागरिकों के लिए विशेष नियम: म्यांमार के नागरिक, जिन्हें पहले छूट दी गई थी, अब उन्हें भी आगमन के 24 घंटे के भीतर FRRO के पास अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा।
संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था (PAR) क्यों लागू की गई?
- अवैध प्रवासियों का आगमन:
- मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम म्यांमार की सीमा से सटे हैं, जहां 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से अस्थिरता बनी हुई है।
- म्यांमार के कुकी–चिन–जो जातीय समूह के 40,000 से अधिक शरणार्थी मिजोरम में आ चुके हैं, और हजारों मणिपुर में भी हैं।
- इन शरणार्थियों और स्थानीय समुदायों के बीच जातीय संबंधों के कारण सुरक्षा बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- मणिपुर में जातीय हिंसा:
- 3 मई, 2023 से मणिपुर में कुकी–जो आदिवासी समुदाय और मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष हो रहे हैं।
- इन हिंसाओं में अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं।
- राज्य सरकार को इन संघर्षों में “विदेशी ताकतों” की संलिप्तता का संदेह है।
- सीमा प्रबंधन और मुक्त आवागमन व्यवस्था का निलंबन: भारत और म्यांमार के बीच 1,643 किमी लंबी सीमा है।
- मुक्त आवागमन व्यवस्था (Free Movement Regime – FMR) के तहत 16 किमी के दायरे में बिना किसी रोक-टोक के आवाजाही की अनुमति थी।
- इस व्यवस्था के निलंबन ने सुरक्षा जोखिम और सीमा नियंत्रण संबंधी चिंताओं को और बढ़ा दिया है।
प्रभाव:
- विदेशी नागरिकों पर प्रभाव:
- इन क्षेत्रों में आने के लिए विशेष परमिट और सरकारी स्वीकृति अनिवार्य।
- इससे पर्यटन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- पर्यटन और विकास पर प्रभाव:
- अंतरराष्ट्रीय पर्यटन और निवेश में कमी आ सकती है।
- पहले दी गई छूट के कारण हुए लाभ समाप्त हो सकते हैं।
- सुरक्षा में सुधार: विदेशी नागरिकों की गतिविधियों पर सख्त निगरानी से अवैध प्रवास को रोका जा सकेगा।
- सीमा प्रबंधन: सीमावर्ती क्षेत्रों में अनधिकृत गतिविधियों और घुसपैठ को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।