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लघु वित्त बैंकों के लिए आरबीआई के संशोधित PSL दिशानिर्देश (RBI Revised PSL Guidelines for Small Finance Banks) | UPSC

RBI Revised PSL Guidelines for Small Finance Banks

RBI Revised PSL Guidelines for Small Finance Banks

RBI Revised PSL Guidelines for Small Finance Banks – 

संदर्भ:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने छोटे वित्तीय बैंकों (Small Finance Banks – SFBs) के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र (Priority Sector Lending – PSL) में ऋण देने का लक्ष्य 75% से घटाकर 60% कर दिया है। इस निर्णय का उद्देश्य इन बैंकों को ऋण वितरण में अधिक लचीलापन और लाभप्रदता प्रदान करना है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFBs) के लिए प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) लक्ष्य को घटाया

उद्देश्य: RBI के संशोधित PSL मानदंडों का उद्देश्य SFBs के लिए ऋण देने की बाध्यता को कम करना, ऋण विविधीकरण की सुविधा देना और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार लाना है।

पहले के PSL मानदंड:

  • SFBs को अपनी समायोजित शुद्ध बैंक ऋण (ANBC) का 75% हिस्सा प्राथमिक क्षेत्र को देना अनिवार्य था।
  • इससे उच्च गुणवत्ता वाले उधारकर्ताओं की तलाश में कठिनाई और लाभ मार्जिन में कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं।

नए PSL मानदंड:

  • कुल PSL लक्ष्य 75% से घटाकर 60% कर दिया गया है।
  • अतिरिक्त PSL घटक 35% से घटाकर 20% किया गया है।
  • SFBs को अब भी अपने ANBC का 40% विशिष्ट प्राथमिक क्षेत्र उपक्षेत्रों में निवेश करना अनिवार्य होगा।

स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFBs):

परिचय:

  • SFBs भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमन के अंतर्गत कार्य करते हैं और बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 के अधीन आते हैं (समय-समय पर संशोधित)।
  • ये बैंक कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के रूप में पंजीकृत होते हैं और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 व RBI अधिनियम, 1934 द्वारा शासित होते हैं।
  • इन पर वाणिज्यिक बैंकों के लिए निर्धारित CRR (कैश रिज़र्व रेशियो) और SLR (स्टैच्यूटरी लिक्विडिटी रेशियो) जैसे RBI के prudential norms लागू होते हैं।

उद्देश्य:

  • समाज के वंचित वर्गों जैसे छोटे व्यापारी, किसान, सूक्ष्म उद्योग और असंगठित क्षेत्र को कम लागत और तकनीकी सहायता से बैंकिंग सेवाएँ और ऋण प्रदान करना।

 

पात्रता:

  • पात्र प्रवर्तकों में वे निवासी व्यक्ति शामिल हैं जिनके पास बैंकिंग/वित्त का 10 वर्षों का अनुभव हो।
  • निवासी स्वामित्व वाली कंपनियाँ/समितियाँ, और पूर्ववर्ती NBFCs, MFIs तथा LABs भी पात्र हैं।
  • प्रवर्तकों का 5 वर्षों से अधिक का सशक्त ट्रैक रिकॉर्ड होना आवश्यक है।

सेवाओं की सीमा (Scope):

  • SFBs बेसिक बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं जैसे:
    • बचत खाता (Savings Account)
    • चालू खाता (Current Account)
    • सावधि जमा (Fixed Deposit)
    • आवर्ती जमा (Recurring Deposit)
    • ऋण सेवाएँ (Loans)

पूंजी आवश्यकताएँ:

  • न्यूनतम भुगतान की गई इक्विटी पूंजी ₹100 करोड़ होनी चाहिए।
  • प्रवर्तकों को प्रारंभ में कम से कम 40% पूंजी योगदान देना होता है, जिसे 12 वर्षों में घटाकर 26% करना अनिवार्य है।
  • विदेशी शेयरधारिता निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए लागू FDI नीति के अनुसार होती है।

प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL):

स्थापना: PSL की अवधारणा 1970 के दशक में शुरू की गई थी।

अवधारणा: यह RBI द्वारा शुरू किया गया एक नियामकीय ढाँचा है, जिसके तहत बैंकों को अपने समायोजित शुद्ध बैंक ऋण (ANBC) का एक निश्चित प्रतिशत प्राथमिक क्षेत्रों को अनिवार्य रूप से देना होता है।

ANBC में शामिल:

  • नेट बैंक क्रेडिट (NBC)
  • बैंक का गैर-वैधानिक तरलता अनुपात बॉन्ड्स में निवेश, आदि।

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