संदर्भ:
RBI रेमिटेंस सर्वेक्षण 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 2023-24 रेमिटेंस सर्वेक्षण में एक ऐतिहासिक बदलाव सामने आया है: अब भारत को मिलने वाले रेमिटेंस (विदेशी धन प्रेषण) का 50% से अधिक हिस्सा विकसित अर्थव्यवस्थाओं (Advanced Economies – AEs) से आ रहा है, जो पहली बार खाड़ी देशों (37.9%) से अधिक है। यह बदलाव प्रवास के पैटर्न और आर्थिक प्राथमिकताओं में आ रहे परिवर्तन को दर्शाता है।
RBI रेमिटेंस सर्वेक्षण 2025: भारत में प्रेषण (Remittances) का बढ़ता महत्व
- कुल वृद्धि: भारत को मिलने वाले प्रेषण (Remittances) 2010-11 में $55.6 अरब थे, जो 2023-24 में $118.7 अरब हो गए — दोगुने से अधिक वृद्धि।
शीर्ष प्रेषण स्रोत देश:
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अमेरिका और ब्रिटेन का योगदान:
- 2016-17 में कुल प्रेषण में इनका योगदान 26% था, जो 2023-24 में 40% हो गया।
- अमेरिका बना शीर्ष योगदानकर्ता:
- FY21: 23.4%
- FY24: 27.7%
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यूएई की भूमिका:
- दूसरे स्थान पर, 2023-24 में 19.2% योगदान।
- अधिकतर भारतीय प्रवासी ब्लू–कॉलर नौकरियों (जैसे निर्माण, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि) में कार्यरत।
- सिंगापुर की बढ़ती भागीदारी: FY17 में हिस्सा था 5.5%, जो FY24 में 6.6% तक बढ़ा – अब तक का सबसे ऊँचा स्तर।
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राज्य–वार वितरण (State-wise Distribution)
- महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु को मिलते हैं लगभग 50% कुल प्रेषण।
- हरियाणा, गुजरात और पंजाब का हिस्सा 5% से कम।
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प्रेषण की राशि के अनुसार वितरण
- ₹5 लाख से अधिक की राशि वाले प्रेषण: 28.6%
- ₹16,500 या उससे कम की राशि वाले प्रेषण: 40.6%
स्रोतों में बदलाव (2023-24)
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प्रमुख परिवर्तन:
- विकसित देश (Advanced Economies – AEs) अब भारत को भेजे जाने वाले अधिकांश प्रेषण (>50%) का स्रोत बन गए हैं।
- पहले यह भूमिका GCC देशों (जैसे UAE, सऊदी अरब) की थी।
- प्रमुख AEs: संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया
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GCC देशों की गिरावट:
- यूएई का हिस्सा: 2016-17 में 26.9% → 2023-24 में 19.2%
- सऊदी अरब और कुवैत की हिस्सेदारी में भी गिरावट
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GCC देशों में गिरावट के कारण:
- Covid-19 के प्रभाव– नौकरी में छंटनी, वेतन में कटौती
- “सऊदीकरण” नीति– स्थानीय लोगों को प्राथमिकता, विदेशी कामगारों की संख्या में कटौती
- आर्थिक मंदी के कारण प्रेषण भेजने की क्षमता में कमी
AEs से प्रेषण में वृद्धि के कारण:
- उच्च वेतन (Higher wages) और अधिक खरीद शक्ति (Purchasing power)
- प्रति व्यक्ति प्रेषण (Per capita remittance) अधिक
- Skilled Migration– STEM, वित्त, स्वास्थ्य क्षेत्रों में पेशेवर भारतीयों की संख्या बढ़ी
- भारतीय छात्रों की भूमिका– पढ़ाई के लिए विदेश गए छात्र प्रेषण भेजते हैं (Loan repayment, परिवार को सहयोग)
निष्कर्ष (Conclusion):
- भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रेषण प्राप्तकर्ता बन चुका है।
- प्रेषण का स्रोत अब GCC से AEs की ओर स्थानांतरित हो गया है।
- Skilled migration और छात्रों की संख्या में वृद्धि से भविष्य में यह प्रवृत्ति और भी मजबूत होगी।