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भारत को अपने पर्यावरणीय संकट और भूमि क्षरण से निपटने के लिए यूरोपीय संघ (EU) के प्रकृति पुनर्स्थापन कानून से प्रेरित एक व्यापक कानून की आवश्यकता है।
प्रकृति बहाली कानून:
- प्रकृति पुनर्स्थापना कानून (NRL) जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और पर्यावरण क्षरण के तिहरे संकट का सामना करने के लिए एक महत्वपूर्ण यूरोपीय संघ (EU) कानून है।
- उद्देश्य: इस कानून का लक्ष्य 2050 तक यूरोप के 80% खराब आवासों की मरम्मत करना है।
- कानूनी लक्ष्य: प्रत्येक सदस्य राज्य के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
- विस्तार: 2030 तक यूरोपीय संघ के कम से कम 20% भूमि और समुद्री क्षेत्रों को पुनर्स्थापन उपायों के तहत लाने की योजना है, और 2050 तक सभी पारिस्थितिकी तंत्र में इसे लागू करने का लक्ष्य है।
भारत में पुनर्स्थापन कानून की आवश्यकता:
- भूमि क्षरण: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, 2018-19 में भारत की लगभग 29.7% भूमि क्षरण से प्रभावित हुई है।
- वैश्विक प्रतिबद्धताएं: भारत ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को पुनः स्थापित करने का संकल्प लिया है।
- जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता: क्षरित भूमि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बढ़ाती है, जिससे सूखे, बाढ़ और अन्य जलवायु संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ता है।
बहाली के लाभ:
- आर्थिक लाभ: प्रकृति पुनर्स्थापन से 2030 तक वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 10 ट्रिलियन डॉलर तक का आर्थिक लाभ हो सकता है।
- कृषि उत्पादकता: बंजर भूमि को बहाल करने से कृषि उत्पादकता बढ़ेगी और जल सुरक्षा में सुधार होगा, जिससे लाखों नौकरियां पैदा होंगी।
- सतत विकास लक्ष्य (SDG): यह कानून भारत को सतत विकास लक्ष्यों के तहत वनों के प्रबंधन और मरुस्थलीकरण से निपटने में मदद करेगा।
- जलवायु लचीलापन: पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौते: अपने पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करके, भारत पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकता है।
भारत की पहल:
- हरित भारत मिशन: 5 मिलियन हेक्टेयर वन एवं वृक्ष आवरण बढ़ाना।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना: सिंचाई कवरेज में सुधार और जल उपयोग दक्षता को बढ़ाना।
- एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम: प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और विकास।
- राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम: वनरोपण और क्षीण वनों का पुनर्स्थापन।
पुनर्स्थापना लक्ष्य:
- 2030 लक्ष्य: भारत को 2030 तक अपनी 20% क्षरित भूमि को पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
- 2050 लक्ष्य: सभी पारिस्थितिकी प्रणालियों को पुनर्स्थापित करना।
- आर्द्रभूमि की बहाली: महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों का संरक्षण, जैसे सुंदरबन और चिल्का झील।
- कृषि में जैव विविधता: कृषि वानिकी और संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- शहरी हरित क्षेत्र: शहरी वनों को बढ़ावा देना और हरित क्षेत्रों की हानि को रोकना।
निष्कर्ष: यूरोपीय संघ का प्रकृति पुनर्स्थापन कानून एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। भारत में भूमि क्षरण और जैव विविधता की हानि के गंभीर स्तर को देखते हुए, ऐसा कानून भारत के बिगड़े हुए पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद करेगा।
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