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संदर्भ:
भारत अपने 2016 के द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) मॉडल में सुधार करने की तैयारी कर रहा है, ताकि विदेशी निवेशकों को बेहतर सुरक्षा प्रदान की जा सके। यह कदम अमेरिका–चीन व्यापार युद्ध के कारण बदलती वैश्विक व्यापारिक परिस्थितियों और पश्चिमी व्यापारिक साझेदारों की चिंताओं के जवाब में उठाया जा रहा है।
द्विपक्षीय निवेश संधि (Bilateral Investment Treaties – BITs) क्या हैं?
- BITs दो देशों के बीच हुए समझौते होते हैं, जो एक-दूसरे के क्षेत्रों में निवेश की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए बनाए जाते हैं।
- ये विदेशी निवेशकों को सुरक्षित माहौल प्रदान करते हैं, जिससे वे नए बाजारों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
- BITs से अर्थव्यवस्था के समग्र विकास और प्रगति में योगदान होता है।
द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs) का उद्देश्य:
BITs विदेशी निवेश की सुरक्षा के लिए मेज़बान देश (Host State) पर कुछ शर्तें लागू करती हैं, जिससे विदेशी निवेशकों के अधिकारों में अनुचित हस्तक्षेप न हो।
मुख्य उद्देश्य:
- निष्पक्ष और समान व्यवहार (Fair & Equitable Treatment – FET): मेज़बान देश को विदेशी निवेश के साथ भेदभाव न करने और उचित व्यवहार सुनिश्चित करने की शर्त लागू होती है।
- लाभ की वापसी (Repatriation of Profits): निवेशक अपने लाभ को शर्तों के अनुसार मूल देश में स्थानांतरित कर सकते हैं।
- मेज़बान देश के खिलाफ कानूनी अधिकार: यदि मेज़बान देश की नीतियाँ BIT के अनुरूप नहीं होतीं, तो निवेशक मुआवजे के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
द्विपक्षीय निवेश संधियों (BITs) की प्रमुख विशेषताएँ:
- निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा:
- मॉडल BIT विदेशी निवेशकों को निष्पक्ष और समान व्यवहार (FET) प्रदान करता है, लेकिन इसकी परिभाषा सीमित रखी गई है।
- पारंपरिक BITs की तुलना में, भारत का मॉडल BIT निवेशकों के लिए मनमाने व्यवहार का दावा करना कठिन बनाता है।
- राष्ट्रीय उपचार और MFN नियम:
- राष्ट्रीय उपचार (National Treatment) – विदेशी निवेशकों को घरेलू निवेशकों के समान सुविधाएँ मिलेंगी।
- MFN प्रावधान हटाया गया – जिससे विदेशी निवेशक अन्य संधियों का लाभ उठाकर अतिरिक्त सुविधाएँ न ले सकें।
- अधिग्रहण–विरोध (Non-Expropriation):
- सरकार केवल जनहित में और उचित प्रक्रिया के तहत निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती है।
- निवेशकों को उचित मुआवजा मिलेगा, लेकिन सरकार को स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक कल्याण से जुड़े क्षेत्रों में नियमन का अधिकार होगा।
- विनियमन का अधिकार (Right to Regulate):
- भारत का मॉडल BIT सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा में सरकार के हस्तक्षेप को वैध मानता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि सरकार की जनहित में बनाई गई नीतियाँ संधि का उल्लंघन न मानी जाएँ।
- निवेशकों की जिम्मेदारियाँ:
- विदेशी निवेशकों को मेज़बान देश के कानूनों और विनियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।
- पर्यावरण और सामाजिक मानकों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी निवेशकों पर होगी।
UAE BIT का नया दृष्टिकोण:
- संपत्ति–आधारित सुरक्षा:पहले निवेश को इकाई-आधारित (entity-based) माना जाता था, जिसमें भारत में पंजीकरण जरूरी था। अब इसे संपत्ति-आधारित (asset-based) बनाया गया है।
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को संरक्षण:अब BIT सुरक्षा मिलेगी, जिससे निवेशकों के हित को बढ़ावा मिलेगा।
- लचीला विवाद समाधान:“Fork-in-the-road” क्लॉज लागू – निवेशक घरेलू अदालत या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में से किसी एक को चुन सकते हैं, लेकिन यह फैसला अंतिम होगा।
- इससे भारत निवेशकों पर कोई बाध्यता नहीं डालता, और कुछ निवेशक घरेलू अदालतों को प्राथमिकता दे सकते हैं ताकि सरकार से टकराव न हो।