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भारत की सीमाओं में बढ़ता GPS हस्तक्षेप

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वैश्विक स्तर पर GPS हस्तक्षेप, जिसमें स्पूफिंग हमले भी शामिल हैं, के मामले बढ़ गए हैं, खासकर भारत की पाकिस्तान और म्यांमार सीमा के पास। इससे विमानन सुरक्षा को गंभीर खतरा होता है, क्योंकि इससे नेविगेशन की सटीकता और उड़ान संचालन प्रभावित हो सकते हैं।

GPS हस्तक्षेप और स्पूफिंग:

  1. GPS हस्तक्षेप: नेविगेशन के लिए उपयोग किए जाने वाले GPS संकेतों की सटीकता में विघटन।
  2. स्पूफिंग:
    • एक साइबर हमला, जिसमें झूठे GPS संकेत भेजे जाते हैं ताकि नेविगेशन सिस्टम को गुमराह किया जा सके।
    • हमलावर वास्तविक GPS संकेतों की नकल करता है, जिससे सिस्टम गलत स्थान, गति या ऊंचाई का अनुमान लगाता है।
  3. प्रभाव:
    • विमानों और ड्रोन के लिए नेविगेशन की सटीकता में विघटन।
    • गलत गति या भू-भाग चेतावनियाँ उत्पन्न होती हैं।
    • आधुनिक युद्ध और संघर्ष क्षेत्रों में शत्रुओं को गुमराह करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  4. प्रभावित क्षेत्रों के उदाहरण:
    • भारत-पाकिस्तान और भारत-म्यांमार सीमाओं पर अक्सर घटनाएँ।
    • अज़रबैजान एयरलाइंस दुर्घटना में योगदान।
  5. नए हॉटस्पॉट (2023 से):
    • उत्तरी इराक (बगदाद क्षेत्र)।
    • काला सागर क्षेत्र।
    • पश्चिमी रूस और बाल्टिक क्षेत्र।
    • उत्तर और दक्षिण कोरिया सीमा क्षेत्र।
    • भारत-पाकिस्तान और भारत-म्यांमार सीमाएँ।

इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम (IRS):

  • परिभाषा: यह एक स्वतंत्र नेविगेशन सिस्टम है जो GPS जैसे बाहरी संकेतों के बिना स्थिति, गति और उन्मुखीकरण प्रदान करता है।
  • घटक:
    1. जाइरोस्कोप: कोणीय गति मापते हैं।
    2. एक्सेलरोमीटर: रैखिक त्वरण को ट्रैक करते हैं।

कार्यप्रणाली:

  • जाइरोस्कोप और एक्सेलरोमीटर से प्राप्त डेटा को एकीकृत करके स्थिति की गणना करता है, जो एक ज्ञात प्रारंभिक बिंदु से संबंधित होती है।
  • बाहरी संकेतों से स्वतंत्र रूप से काम करता है, जिससे GPS-विरुद्ध वातावरण में विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है।
  • अगर GPS विफल हो जाए, तो यह पांच घंटे तक सुरक्षित रूप से कार्य कर सकता है।

महत्व:

  • यह नेविगेशन की सटीकता बनाए रखने के लिए एक अतिरिक्त तंत्र के रूप में कार्य करता है।
  • GPS जैमिंग या स्पूफिंग हमलों के दौरान विमान की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

हालिया घटनाएँ और प्रभाव:

  • अज़रबैजान एयरलाइंस क्रैश:
    • 25 दिसंबर 2024 को हुई इस दुर्घटना में 38 लोगों की मृत्यु हुई।
    • इसका कारण GPS हस्तक्षेप से जुड़ा था, जिसमें रूसी वायु रक्षा ऑपरेशन और यूक्रेनी ड्रोन शामिल थे।
  • GPS स्पूफिंग की वृद्धि: जनवरी 2024 में प्रतिदिन 300 घटनाएँ दर्ज की गईं, जो अगस्त 2024 तक बढ़कर 1,500 हो गईं।

प्रभावित क्षेत्र और रिपोर्टिंग:

  • दिल्ली का एयरस्पेस:
    • एक महीने में 316 उड़ानें GPS स्पूफिंग से प्रभावित हुईं।
    • अमृतसर और उत्तर भारत से अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों की उड़ानों पर पायलट अक्सर हस्तक्षेप की रिपोर्ट करते हैं।
  • DGCA के निर्देश: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयरलाइंस को सुरक्षा प्रोटोकॉल स्थापित करने का सुझाव दिया है।
    • हालांकि, घटनाओं की रिपोर्टिंग कम है और डेटा का खुलासा नहीं किया गया है।

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