Rising North East Investors Summit
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में ‘राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट‘ का उद्घाटन किया। यह महत्वपूर्ण आयोजन पूर्वोत्तर भारत के समग्र विकास को गति देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और साझेदारियों को बढ़ावा दिया जाएगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER):
- राज्य: पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में कुल आठ राज्य शामिल हैं — अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा।
- सांस्कृतिक विविधता: यह क्षेत्र सांस्कृतिक और जातीय रूप से अत्यंत विविध है, जहाँ 200 से अधिक जातीय समूह निवास करते हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट भाषाएँ, बोलियाँ और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान है।
- भौगोलिक क्षेत्रफल: यह क्षेत्र देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 7.97% कवर करता है।
- जनसंख्या: यहाँ देश की कुल जनसंख्या का लगभग 3.78% निवास करता है।
- अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ: पूर्वोत्तर क्षेत्र की कुल 5,484 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जो निम्न देशों के साथ लगती है:
- बांग्लादेश: 1,880 किमी
- म्यांमार: 1,643 किमी
- चीन: 1,346 किमी
- भूटान: 516 किमी
- नेपाल: 99 किमी
(Rising North East Investors Summit) शिखर सम्मेलन की प्रमुख विशेषताएँ:
- समयावधि: यह शिखर सम्मेलन दो दिवसीय आयोजन है, जिसमें विभिन्न सत्र आयोजित किए जा रहे हैं:
- मंत्रिस्तरीय चर्चाएँ
- B2B (व्यवसाय से व्यवसाय) और B2G (व्यवसाय से सरकार) बैठकें
- निवेश अवसरों को प्रदर्शित करने वाला प्रदर्शनी क्षेत्र
- लक्षित क्षेत्र:
- पर्यटन एवं आतिथ्य
- कृषि-खाद्य प्रसंस्करण एवं संबद्ध उद्योग
- वस्त्र, हथकरघा एवं हस्तशिल्प
- स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा एवं कौशल विकास
- सूचना प्रौद्योगिकी एवं IT-समर्थित सेवाएँ
- अवसंरचना एवं लॉजिस्टिक्स
- ऊर्जा
- मनोरंजन एवं खेल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन:
- प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को “अष्टलक्ष्मी“ कहा, जो आठ गुना समृद्धि और अवसर का प्रतीक है।
- सरकार की नीति “लुक ईस्ट” से “ऐक्ट ईस्ट“ में रूपांतरण ने वास्तविक विकास को गति दी है, जिससे यह क्षेत्र सीमा क्षेत्र से विकास इंजन में परिवर्तित हुआ है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) का महत्व–
भौगोलिक–सामरिक महत्व:
- अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ: यह क्षेत्र चीन, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल से जुड़ी सीमाएँ साझा करता है, जो इसे रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है।
- आसियान का द्वार: यह भारत की “एक्ट ईस्ट नीति” का केंद्रीय हिस्सा है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया से संपर्क का सेतु है।
- भारत–आसियान व्यापार: वर्तमान में लगभग $125 अरब, जो $200 अरब से अधिक तक पहुँचने का अनुमान है।
- सैन्य दृष्टिकोण से महत्व: चीन की निकटता के कारण यह क्षेत्र रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण है।
आर्थिक एवं व्यापारिक संभावनाएँ:
- सीमा–पार व्यापार:
- कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट
- भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग
- ये परियोजनाएँ दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार को प्रोत्साहित करती हैं।
- प्राकृतिक संसाधन और अप्रयुक्त बाजार: ऊर्जा, कृषि, पर्यटन और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में प्रारंभिक निवेशकों के लिए अपार अवसर।
स्वास्थ्य, आरोग्य एवं पर्यटन:
- स्वच्छ वायु, जैविक खाद्य, शांत प्राकृतिक दृश्य, और समृद्ध जनजातीय संस्कृति इस क्षेत्र अद्वितीय बनाते हैं।
- आरोग्य पर्यटन, इको-टूरिज्म और साहसिक पर्यटन के लिए आदर्श स्थल।
नृत्य, संगीत, त्योहारों जैसी सांस्कृतिक विविधता सांस्कृतिक कूटनीति और सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देती है।