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रुपया और डॉलर स्वैप नीलामी

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संदर्भ:

रुपया और डॉलर स्वैप नीलामी: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपने इतिहास की सबसे बड़ी $10 बिलियन डॉलर/रुपये खरीदबिक्री स्वैप नीलामी आयोजित करने जा रहा है। इसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में बनी हुई तरलता की कमी को दूर करना है।

रुपया और डॉलर स्वैप नीलामी (Rupee & Dollar Swap Auctions):

परिचय

  • यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण है, जिससे अर्थव्यवस्था में तरलता (Liquidity) प्रबंधन और मुद्रा विनिमय दर (Currency Volatility) स्थिर की जाती है।
  • इस प्रक्रिया में बैंक RBI को अमेरिकी डॉलर (USD) बेचते हैं और रुपये (INR) प्राप्त करते हैं, तथा एक निश्चित अवधि के बाद डॉलर को पुनः खरीदने का समझौता करते हैं।
  • RBI इसे अपनी मौद्रिक नीति (Monetary Policy) के हिस्से के रूप में लागू करता है।

स्वैप नीलामी की प्रक्रिया:

  1. पहला चरण (Buy Phase): बैंक RBI को अमेरिकी डॉलर (USD) बेचते हैं और बदले में भारतीय रुपये (INR) प्राप्त करते हैं।
  2. दूसरा चरण (Sell Phase): समय सीमा समाप्त होने पर, बैंक पूर्व-निर्धारित मूल्य (Pre-Determined Price) पर RBI से डॉलर पुनः खरीदते हैं।

स्वैप की विशेषताएँ:

  • अवधि (Tenor): यह 6 महीने (Short-term) से लेकर 3 वर्ष या अधिक (Long-term) तक हो सकता है।
  • तरलता प्रबंधन (Liquidity Management): यह अतिरिक्त तरलता (Excess Liquidity) को सोखने या बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग (Forex Reserve Utilization): RBI अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का उपयोग मुद्रा प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए करता है।
  • विनिमय दर पर प्रभाव (Impact on Exchange Rate): यह रुपये में अस्थिरता (Rupee Volatility) को कम करने और डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिरता बनाए रखने में सहायक होता है।

रुपया और डॉलर स्वैप नीलामी के लाभ एवं चुनौतियाँ

लाभ:

  • बाज़ार में तरलता बढ़ाता है (Enhances Market Liquidity):यह बैंकों को दीर्घकालिक तरलता प्रदान करता है, जिससे ऋण प्रवाह में सुधार होता है।
  • रुपये की स्थिरता सुनिश्चित करता है: यह विदेशी मुद्रा बहिर्वाह के दौरान रुपये पर दबाव को कम करने में सहायक होता है।
  • बैंकों के लिए नकदी प्रवाह पूर्वानुमेय बनाता है (Predictable Cash Flows for Banks):इससे बैंकों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन और तरलता योजना में मदद मिलती है।
  • अत्यधिक अस्थिरता को रोकता है (Prevents Excessive Volatility):यह मुद्रा विनिमय दर में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे निवेशक विश्वास बढ़ता है।

चुनौतियाँ:

  • विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव (Impact on Forex Reserves):बड़े पैमाने पर स्वैप नीलामी करने से RBI के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ सकता है।
  • बाहरी कारकों पर निर्भरता (Dependence on External Factors):इसकी प्रभावशीलता वैश्विक बाज़ार की स्थिति, पूंजी प्रवाह, और ब्याज दरों के अंतर पर निर्भर करती है।
  • बाज़ार प्रतिक्रिया की अनिश्चितता (Market Reaction Uncertainty):यदि इसे रणनीतिक रूप से नहीं लागू किया गया, तो यह मुद्रा सट्टेबाज़ी को बढ़ावा दे सकता है।
  • दीर्घकालिक समाधान की सीमितता (Limited Long-Term Solution): यह केवल अस्थायी समाधान प्रदान करता है, जबकि तरलता प्रबंधन के लिए संरचनात्मक सुधार की आवश्यकता बनी रहती है।

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