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संदर्भ:
रूसी सरकारी कंपनी रोसाटॉम ने तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में स्थापित हो रहे कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की छठी और अंतिम इकाई को एक विशेष जहाज के माध्यम से भेजा है।
मुख्य बिंदु:
- रिएक्टर निर्माण और आपूर्ति:
- रिएक्टर वेसल का निर्माण एटोममाश प्लांट (Rosatom की मशीन बिल्डिंग डिवीजन) में किया गया।
- इसे न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) को भेजा गया।
- कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट (KKNPP):
- रूसी डिजाइनके अनुसार चार नए न्यूक्लियर पावर यूनिट्स का निर्माण चल रहा है।
- इस पावर स्टेशन का डिजाइन, निर्माण और उपकरणों की आपूर्ति Rosatom की इंजीनियरिंग डिवीजन द्वारा की जा रही है।
- कुल उत्पादन क्षमता:
- कुडनकुलम में 6 पावर यूनिट्स का निर्माण हो रहा है।
- हर यूनिट में VVER-1000 रिएक्टर होंगे।
- कुल स्थापित क्षमता:6,000 मेगावाट।
- पहले चरण के यूनिट्स:
- यूनिट 1 और 2: 2013 और 2016 में राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़े गए।
- ये यूनिट्स दक्षिणी भारत में बिजली की आपूर्ति करते हैं।
- वर्तमान प्रगति:
- यूनिट 3 और 4: निर्माण और स्थापना कार्य लगभग पूरा।
- यूनिट 5 और 6: तीसरे चरण के तहत निर्माण कार्य शुरू।
कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र:
- समझौता और शुरुआत:
- 1988 में भारत सरकार और सोवियत संघ के बीच 6000 मेगावाट क्षमता के परमाणु बिजली संयंत्र की स्थापना के लिए एक समझौता किया गया था।
- यह संयंत्र तमिलनाडु के कुडनकुलम में स्थित होगा और यह भारत का सबसे बड़ा परमाणु बिजली संयंत्र होगा।
- संयंत्र की संरचना: इस संयंत्र में 6 यूनिट होंगे, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1000 मेगावाट है।
- समझौते का अद्यतन:
- 1998 में भारत और सोवियत संघ के उत्तराधिकारी राज्य रूस के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत भारत को परमाणु रिएक्टर से निकला हुआ spent fuel (व्ययित ईंधन) भारत में ही रखने की अनुमति प्राप्त हुई।
भारत के परमाणु बिजली संयंत्र:
- भारत में परमाणु ऊर्जा का महत्व: परमाणु ऊर्जा भारत में बिजली का चौथा सबसे बड़ा स्रोत है, जो थर्मल, जलविद्युत और नवीकरणीय स्रोतों के बाद आता है।
- वर्तमान स्थिति: भारत में 7 परमाणु बिजली संयंत्रों में 21 रिएक्टर संचालित हो रहे हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 5780 मेगावाट है।
- इन संयंत्रों से कुल 30,292.91 GWh बिजली उत्पादन होता है।
- निर्माणाधीन रिएक्टर: 6 और रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, जो 4,300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन करने की संभावना रखते हैं।
- भविष्य की योजनाएँ: भारत का लक्ष्य 2032 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता 63,000 मेगावाट तक पहुंचाना है, जो इसके ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि करेगा।
भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लाभ:
- कम कार्बन उत्सर्जन:पर्यावरण के लिए स्वच्छ ऊर्जा।
- ऊर्जा दक्षता:कम ईंधन से अधिक ऊर्जा उत्पादन।
- ऊर्जा सुरक्षा:आयातित जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम।
- सतत विद्युत आपूर्ति:स्थिर और निरंतर ऊर्जा।
- लंबी अवधि में लागत प्रभावी:संचालन और ईंधन खर्च कम।
- प्रौद्योगिकी उन्नति:अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा।
- रोजगार के अवसर:निर्माण, संचालन, और रखरखाव में नौकरियां।
- देशी संसाधनों का उपयोग:थोरियम भंडार का लाभ।
भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की चुनौतियां:
- उच्च प्रारंभिक लागत:निर्माण और तकनीकी निवेश महंगे।
- जन विरोध:सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण प्रतिरोध।
- नाभिकीय ईंधन आपूर्ति:यूरेनियम आयात पर निर्भरता।
- अपशिष्ट प्रबंधन:रेडियोधर्मी कचरे का सुरक्षित निपटान कठिन।