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जयपुर जिले में सांभर झील के आसपास हाल ही में 40 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मृत्यु होने के बाद, क्षेत्र में अधिकारियों में चिंता बढ़ गई है। यह घटना झील के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति एक गंभीर संकेत है, विशेष रूप से प्रवासी पक्षियों के लिए जो सर्दियों के मौसम में यहां आते हैं।
सांभर झील का परिचय:
- स्थान: यह भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय नमक झील है, जो राजस्थान के नागौर और जयपुर जिलों में स्थित है।
- आकार और भूगोल: अण्डाकार आकार की इस खारी आर्द्रभूमि की लंबाई 35.5 किमी है, जबकि चौड़ाई 3 किमी से 11 किमी के बीच है। इसका कुल क्षेत्रफल 200 वर्ग किलोमीटर से अधिक है और यह अरावली पहाड़ियों से घिरी हुई है।
- प्राकृतिक जल स्रोत: मेंढा और रन्पणगढ़ नामक दो प्रमुख अल्पकालिक नदियाँ इस झील को जल प्रदान करती हैं। इनके अलावा, कई छोटी नदियाँ और सतही अपवाह भी झील की जल आपूर्ति को बनाए रखते हैं।
पर्यावरणीय महत्व:
- रामसर स्थल: वर्ष 1990 में सांभर झील को रामसर स्थल घोषित किया गया, जो इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता प्रदान करता है।
- प्रवासी पक्षी: सर्दियों के दौरान यहां विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षी, विशेषकर फ्लेमिंगो (फोनिकोनायस माइनर और फोनीकोप्टेरस रोजियस) का आगमन होता है। फुलेरा और डीडवाना के साथ, यह स्थल कच्छ के रण के बाहर फ्लेमिंगो के लिए भारत का सबसे प्रमुख शीतकालीन क्षेत्र है। अन्य प्रवासी पक्षियों में पेलिकन, कॉमन शेल्डक, रेडशैंक, कॉमन सैंडपाइपर, ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट, केंटिश प्लोवर, रिंग्ड प्लोवर, रफ, और सोशिएबल लैपविंग शामिल हैं।
आर्थिक महत्त्व:
- नमक उत्पादन: सांभर झील प्रतिवर्ष लगभग 2,10,000 टन नमक का उत्पादन करती है, जिससे राजस्थान भारत के शीर्ष तीन नमक उत्पादक राज्यों में से एक बन गया है।
सांभर झील का पारिस्थितिकी तंत्र और इसका आर्थिक योगदान इसे एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल बनाते हैं। पक्षियों की हालिया मृत्यु से झील के जल की गुणवत्ता और जैव विविधता पर नज़र रखना आवश्यक है ताकि इस महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।.
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