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सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को एक नया सर्कुलर जारी किया, जिसके अनुसार बुधवार और गुरुवार को रेगुलर सुनवाई वाले मामले सूचीबद्ध नहीं किए जाएंगे।
मुख्य बिंदु
- मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ट्रांसफर याचिकाएं, बेल के मामले और अन्य केस सूचीबद्ध होंगे।
- रेगुलर सुनवाई वाले मामले इन दिनों लिस्ट नहीं किए जाएंगे। बल्कि इनकी जगह ट्रांसफर याचिका, बेल केस और दूसरे मामले लिस्ट होंगे।
- स्पेशल बेंच या आंशिक सुनवाई वाले मामले, चाहे वो मिसलेनियस हों या रेगुलर, इन तीनों दिनों में सूचीबद्ध किए जाएंगे।
- इन मामलों को लंच के बाद या संबंधित अथॉरिटी के निर्देशों के अनुसार लिस्ट किया जाएगा।
वर्तमान प्रैक्टिस:
- नए मामले सोमवार और शुक्रवार को सूचीबद्ध होते हैं, जिन्हें मिसलेनियस डे कहा जाता है।
- मंगलवार-गुरुवार को रेगुलर सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया है, जिसमें मामलों की अंतिम सुनवाई होती है।
भारत के सुप्रीम कोर्ट से जुड़े संवैधानिक प्रावधान (अनुच्छेद 124-147)
भारत के संविधान के भाग V में अनुच्छेद 124 से 147 तक सुप्रीम कोर्ट से जुड़े प्रावधान दिए गए हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट की संरचना, स्वतंत्रता, अधिकार क्षेत्र, शक्तियों और प्रक्रियाओं का उल्लेख है। साथ ही, संसद को यह अधिकार दिया गया है कि वह इन प्रावधानों को व्यवस्थित कर सके।
सुप्रीम कोर्ट की संरचना
- सुप्रीम कोर्ट की शुरुआती संरचना में कुल 8 न्यायाधीश थे, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) शामिल थे।
- अनुच्छेद 124 संसद को यह अधिकार देता है कि वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ा या घटा सकती है।
- संसद ने कई कानून बनाकर न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई है।
- वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट में कुल 34 न्यायाधीश हैं, जिसमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति
- सुप्रीम कोर्ट के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनकी मुहर और हस्ताक्षर के साथ की जाती है।
- नियुक्ति से पहले, राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के अन्य न्यायाधीशों से परामर्श लेते हैं।
- एक न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बना रहता है।
- मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति को मुख्य न्यायाधीश से परामर्श लेना अनिवार्य है।
दूसरा जज केस (1993): इसमें यह निर्णय हुआ कि राष्ट्रपति के लिए मुख्य न्यायाधीश की सलाह बाध्यकारी होगी।
तीसरा जज केस (1998):
- इसमें यह तय किया गया कि मुख्य न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ सलाह-मशविरा करना चाहिए।
- इस प्रक्रिया को कोलेजियम सिस्टम कहा जाता है।
- यदि मुख्य न्यायाधीश बिना कोलेजियम से सलाह लिए सिफारिश करते हैं, तो राष्ट्रपति उस सिफारिश को मानने के लिए बाध्य नहीं होते।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने की योग्यता
अनुच्छेद 124(3):
- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने के लिए व्यक्ति को भारतीय नागरिक होना चाहिए। इसके अलावा:
- व्यक्ति ने किसी उच्च न्यायालय में कम से कम 5 साल न्यायाधीश के रूप में काम किया हो (या दो या अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार)।
- व्यक्ति ने किसी उच्च न्यायालय में कम से कम 10 साल वकील के रूप में प्रैक्टिस की हो (या दो या अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार)।
- राष्ट्रपति की राय में वह व्यक्ति कानून का विशिष्ट ज्ञाता (distinguished jurist) होना चाहिए।
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