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समुद्री घास

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संदर्भ:

समुद्री घास: Nature Reviews Earth & Environment में प्रकाशित एक हालिया समीक्षा में वैश्विक स्तर पर समुद्री घास की गिरती स्थिति को रेखांकित किया गया है, जो मानवीय गतिविधियों के कारण प्रति वर्ष 1-2% की दर से घट रही है।

समुद्री घास (Seagrass) के बारे में:

  • परिचय
    • ये समुद्री फूलने वाले पौधे हैं, जो उथले और तटीय जल में उगते हैं।
    • इन्हें “समुद्र के फेफड़े” कहा जाता है, क्योंकि ये प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।
    • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है।
  • समुद्री घास का वितरण:
    • विश्व स्तर पर: ये सभी महाद्वीपों में पाए जाते हैं, केवल अंटार्कटिका को छोड़कर।
    • भारत में प्रमुख स्थान:
      • पूर्वी तट: मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) और पाल्क खाड़ी (Palk Bay)।
      • पश्चिमी तट: कच्छ की खाड़ी (Gulf of Kachchh)।
      • द्वीप क्षेत्र: लक्षद्वीप (Lakshadweep) और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह

समुद्री घास का महत्व:

  1. कार्बन अवशोषण और जलवायु संरक्षण::
    • समुद्री घास को “समुद्र के फेफड़े” कहा जाता है, क्योंकि यह वायुमंडलीय कार्बन को अवशोषित करती है।
    • यह उष्णकटिबंधीय वर्षावनों  की तुलना में 35 गुना तेज कार्बन संग्रहित कर सकती है।
  2. जैव विविधता और समुद्री जीवन संरक्षण
    • समुद्री घास का मैदान कई मछलियों और समुद्री जीवों के लिए प्राकृतिक आवास (Habitat) और नर्सरी का काम करता है।
    • यह संकटग्रस्त और लुप्तप्राय समुद्री प्रजातियों को भी आश्रय प्रदान करता है।
  3. तटीय सुरक्षा:
    • समुद्री घास प्राकृतिक अवरोध (Barrier) की तरह काम करती है, जो तूफानों और कटाव (Erosion) से तटीय समुदायों की रक्षा करती है।
    • इससे प्राकृतिक आपदाओं का खतरा कम होता है।
  4. आर्थिक महत्व:
    • समुद्री घास के मैदानों का वैश्विक आर्थिक मूल्य लगभग 6.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष आंका गया है।
    • ये मत्स्य पालन (Fisheries) और पर्यटन (Tourism) को बढ़ावा देकर तटीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हैं।

समुद्री घास को होने वाले खतरे:

  • शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट (Run-off) का समुद्र में प्रवाह
  • तटीय विकास (Coastal Development) और खुदाई (Dredging)
  • अनियंत्रित मत्स्य पालन (Unregulated Fishing) और नौका गतिविधियाँ (Boating Activities)
  • जलवायु परिवर्तन (Climate Change)

समुद्री घास की सुरक्षा हेतु पहल:

  1. वैश्विक स्तर पर संरक्षण प्रयास:
    • UNEP Community Manual – संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा समुद्री घास संरक्षण के लिए सामुदायिक मार्गदर्शिका।
    • Seagrass Watch – यह एक सहयोगी कार्यक्रम है, जो स्वयंसेवकों और संगठनों को समुद्री घास के आवासों की निगरानी और संरक्षण में प्रशिक्षित करता है।
    • Blue Carbon Initiative – तटीय पारिस्थितिकी तंत्र (Coastal Ecosystems) को कार्बन अवशोषण (Carbon Sequestration) और जलवायु परिवर्तन शमन (Climate Change Mitigation) के लिए प्रोत्साहित करता है।
  2. भारत में समुद्री घास संरक्षण के प्रयास:
    • राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य नीति (National Policy on Marine Fisheries) – इसमें समुद्री घास, मैंग्रोव (Mangroves) और प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) के महत्व को रेखांकित किया गया है।
    • जलवायु सहनशीलता परियोजना (Climate Resilience Project) – आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, विशेषकर समुद्री घास के संरक्षण और पुनर्स्थापना के लिए शुरू की गई, जो ग्लोबल क्लाइमेट फंड (GCF) से समर्थित है।

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